बांग्लादेश में आम चुनाव का ऐलान हो चुका है। इस चुनाव का एक बड़ा पहलू यह है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग इसमें हिस्सा नहीं ले पा रही है क्योंकि पार्टी पर प्रतिबंध लगा हुआ है। मौजूदा राजनीतिक हालात, लोकतंत्र की स्थिति और भारत की भूमिका को लेकर द इंडियन एक्सप्रेस ने शेख हसीना के बेटे सजीब वाजिद से ईमेल के जरिए बातचीत की।
सवाल: आप और आपकी मां शेख हसीना इस समय बांग्लादेश में नहीं हैं। खालिदा जिया की तबीयत खराब है और उनके बेटे तारिक रहमान भी देश से बाहर हैं। क्या इसे बांग्लादेश के बड़े राजनीतिक परिवारों के अंत के तौर पर देखा जाना चाहिए?
जवाब: मैं खालिदा जिया के परिवार पर टिप्पणी नहीं कर सकता। लेकिन मेरी मां ने कभी भी पारिवारिक विरासत के कारण राजनीति नहीं की। वे राजनीति में तब आईं, जब मेरे दादा की हत्या कर दी गई और हमारे पूरे परिवार को निशाना बनाया गया। यह न्याय की लड़ाई थी। आज हम फिर वैसा ही दौर देख रहे हैं। हालात बहुत तेजी से बदल रहे हैं और कोई नहीं जानता कि आगे क्या होगा।
सवाल: 12 फरवरी को होने वाले चुनाव से अवामी लीग को बाहर कर दिया गया है। क्या पार्टी का अस्तित्व बना रहेगा? आपका पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए क्या संदेश है?
जवाब: यह याद रखना जरूरी है कि अवामी लीग को हमेशा करीब 40 फीसदी वोट मिलते रहे हैं। हमारे हजारों कार्यकर्ता हैं। आधी आबादी के समर्थन को ऐसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अवामी लीग कहीं नहीं जाने वाली। वह बांग्लादेश की राजनीति में एक अहम ताकत बनी रहेगी। हम लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। हम अभी नहीं तो बाद में जरूर वापस आएंगे।
सवाल: क्या आपको लगता है कि बांग्लादेश में मौजूदा हालात में सेना की कोई भूमिका है?
जवाब: मुझे नहीं लगता कि सेना की कोई सक्रिय भूमिका है। इस समय सेना एक मूक दर्शक बनकर बैठी हुई है।
सवाल: क्या आप इस समय अपनी मां शेख हसीना के संपर्क में हैं? क्या आप दिल्ली में उनसे मिलने गए थे? उन्होंने आपको क्या जिम्मेदारी दी है?
जवाब: मैं अपनी मां से रोज फोन पर बात करता हूं। एक बार दिल्ली भी गया था और आगे भी जाने वाला हूं। मेरा संदेश बिल्कुल साफ है-मेरे परिवार के खिलाफ दिए गए फर्जी फैसलों को पूरी दुनिया के सामने उजागर करना और मोहम्मद यूनुस की सरकार में कमजोर होते लोकतांत्रिक मूल्यों की ओर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचना।
सवाल: अगर शेख हसीना बांग्लादेश वापस नहीं लौट पातीं, तो क्या अवामी लीग को नए नेतृत्व की जरूरत पड़ेगी?
जवाब: यह फैसला पार्टी के कार्यकर्ता करेंगे। हम एक लोकतांत्रिक दल हैं और नेतृत्व का फैसला पूरी पार्टी मिलकर करती है। फिलहाल पार्टी के सभी कार्यकर्ता मेरी मां के प्रति पूरी तरह वफादार हैं, इसलिए वही हमारी नेता हैं।
सवाल: बांग्लादेश में लोकतंत्र बहाल करने के लिए भारत की भूमिका क्या होनी चाहिए?
जवाब: मेरा मानना है कि भारत को और ज्यादा सक्रिय भूमिका निभानी होगी। भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय को साथ लाकर बांग्लादेश में लोकतंत्र के समर्थन में खड़ा होना चाहिए।
सवाल: बांग्लादेश ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर भारत से अपील की है। भारत सरकार से आपकी क्या अपेक्षा है?
जवाब: किसी भी कानूनी प्रत्यर्पण के लिए नियमों का पालन जरूरी होता है, लेकिन बांग्लादेश में इसकी भारी कमी है। मेरी मां को तो अपने वकील तक को वहां भेजने का मौका नहीं दिया गया। ऐसे में मुझे नहीं लगता कि भारत को इस दिशा में कुछ करने की जरूरत है।
सवाल: मौजूदा बांग्लादेश सरकार और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकियों को आप कैसे देखते हैं?
जवाब: यह भारत के लिए बड़ी चिंता की बात होनी चाहिए। जब अवामी लीग की सरकार थी, तब हमने भारत के पूर्वी इलाकों को आतंकवाद से सुरक्षित रखा था। हमारी सरकार से पहले बांग्लादेश का इस्तेमाल भारत में उग्रवाद के लिए किया जाता था। एक बार फिर वैसी स्थिति बन सकती है।
सवाल: आपने कहा था कि बांग्लादेश एक इस्लामिक स्टेट बनता जा रहा है। ऐसा क्यों मानते हैं?
जवाब: मोहम्मद यूनुस की सरकार ने कट्टर इस्लामिक और दूसरी धार्मिक पार्टियों को खुली छूट दे रखी है। सच्चाई यह है कि बांग्लादेश में इन दलों को कभी पांच फीसदी से ज्यादा वोट नहीं मिले, लेकिन इस बार चुनाव पूरी तरह प्रभावित है और स्वतंत्र दलों पर प्रतिबंध है। इसी वजह से मैं कह रहा हूं कि यूनुस सरकार बांग्लादेश को इस्लामिक स्टेट बनाने की कोशिश कर रही है।
सवाल: क्या आपको लगता है कि छात्र आंदोलन से आपकी मां की सरकार बेहतर तरीके से निपट सकती थी?
जवाब: मुझे नहीं लगता कि सरकार के स्तर पर कोई विफलता थी। सोशल मीडिया के जरिए लीडरशिप को पहले ही सूचना दी गई थी, लेकिन पुरानी पीढ़ी के लोग सोशल मीडिया से आने वाले फीडबैक को अक्सर गंभीरता से नहीं लेते।
सवाल: अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अब आपकी क्या योजना है?
जवाब: मेरे दादाजी ने बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई लड़ी और देश की नींव रखी। मेरी मां ने बांग्लादेश को स्थिरता दी, सुरक्षा मजबूत की और अप्रत्याशित विकास हुआ। ऐसे में उनकी लेगेसी पहले से ही दुनिया में स्थापित है। आज दुनिया भर में रहने वाले बांग्लादेशी कह रहे हैं कि शेख हसीना का कार्यकाल सबसे बेहतर था।
