न्यूजीलैंड पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था पिछले डेढ़ साल में दूसरी बार मंदी की चपेट में आई है। न्यूजीलैंड की आधिकारिक सांख्यिकी एजेंसी स्टैट्स एनजेड ने बृहस्पतिवार को घोषणा करते हुए कहा दिसंबर तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था में 0.1 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसके अलावा प्रति व्यक्ति के हिसाब से 0.7 प्रतिशत की गिरावट आई है।

जीडीपी के आंकड़े नेगेटिव

स्टैट्स एनजेड के अनुसार पिछले पांच तिमाहियों में से चार में जीडीपी के आंकड़े नेगेटिव रहे हैं। इसके अलावा इसकी वार्षिक वृद्धि दर केवल 0.6 प्रतिशत है। न्यूज़ीलैंड के केंद्रीय बैंक द्वारा पहले ही इसकी भविष्यवाणी की गई थी। न्यूजीलैंड की महंगाई दर 6 प्रतिशत तक बढ़ गई है। देश में कृषि, विनिर्माण, परिवहन और सेवाओं सभी में गिरावट देखने को मिली है।

पिछली पांच तिमाहियों में प्रति व्यक्ति आंकड़ों में औसतन 0.8 प्रतिशत की गिरावट आई है। न्यूज़ीलैंड की अर्थव्यवस्था को झटका रिकॉर्ड माइग्रेशन के कारण हुआ 2023 में यह 141,000 आंकड़ा रहा। आने वाले समय में भी गिरावट जारी रहेगी।

विनियमन मंत्री डेविड सेमुर ने कहा कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों के कारण देश के आगामी बजट में कटौती होगी, जिसमें सरकारी कर्मचारियों की संख्या में कटौती भी शामिल है। डेविड सेमुर ने कहा, “हम मंदी में हैं। लेकिन यह आपके लिए खबर नहीं है क्योंकि आप पहले से ही इसमें रह रहे हैं।”

कोरोना के कारण भी आई थी मंदी

न्यूजीलैंड में 2020 में पहली बार मंदी आई थी। 2020 में कोरोना महामारी की वजह से देश की सीमाओं को बंद करना पड़ा था और इसी वजह से निर्यात बंद हो गया था। इसके कारण मंदी आई थी।

वहीं इसके बाद 2023 में दूसरी बार मंदी आई। वहां के सेंट्रल बैंक (Reserve Bank of New Zealand (RBNZ) ने अक्टूबर 2021 के बाद ब्याज दरों में खूब इजाफा किया और ब्याज की दरें 14 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। इसका परिणाम यह हुआ कि पूरी अर्थव्यवस्था ही मंदी की गिरफ्त में चली गई है। ऐसा माना जाता है कि ऊंची ब्याज दरों की वजह से ही दूसरी बार न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था मंदी में गई थी।