Trump-Putin Alaska Summit: अलास्का में हुई अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात का कोई नतीजा नहीं निकला। इस मुलाकात का मुख्य मकसद रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को लेकर सीजफायर को लेकर डील करना था। ट्रंप ने मुलाकात से पहले सीजफायर को लेकर रूस पर दबाव बनाने की कोशिश की थी लेकिन पुतिन ने झुकने से इनकार कर दिया।

सीधी बात यह है कि यह बैठक बेनतीजा साबित हुई। अलास्का से लगभग 15 हजार किलोमीटर दूर नई दिल्ली की भी नजर इस बैठक पर थी।

भारत को इस बात की उम्मीद थी कि अगर ट्रंप और पुतिन के बीच किसी तरह का समझौता हो जाता है तो अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए 25% एडिशनल टैरिफ से उसे राहत मिल सकती है।

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अमेरिका के टैरिफ का जवाब दे चुका है भारत

अमेरिका ने भारत पर यह एडिशनल टैरिफ लगाते हुए कहा था कि क्योंकि वह रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहा है और इससे मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ जंग में हो रहा है, इसलिए उसने यह कार्रवाई की है। भारत का कहना है कि अमेरिका के द्वारा इस तरह का टैरिफ लगाया जाना पूरी तरह गलत है।

भारत को अभी भी उम्मीद है कि अमेरिका ने जो 25% एडिशनल टैरिफ लगाया है, उसे या तो वह वापस ले ले या फिर इसे लागू करने की 27 अगस्त की जो डेडलाइन है, उसे टाल दिया जाए।

ट्रेड डील को लेकर अमेरिका की शर्त नहीं मानेगा भारत

भारत इस बात को जानता है कि उस पर जो एडिशनल टैरिफ लगाया गया है वह उसके जरिए रूस पर और साथ ही उस पर भी दबाव बनाने की रणनीति है क्योंकि उसने ट्रंप की शर्तों पर अमेरिका के साथ कोई ट्रेड डील नहीं की है। इसके अलावा भारत ने पाकिस्तान के साथ हुए सीजफायर को लेकर ट्रंप के द्वारा किए गए दावों को भी बार-बार खारिज किया है।

रूस ने फरवरी, 2022 में जब यूक्रेन पर हमला किया तब भारत मॉस्को से 2% से भी कम तेल खरीदता था लेकिन जब पश्चिम के देशों ने रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद किया तो रूस ने जो देश उससे तेल खरीदना चाहते थे, उन्हें छूट देना शुरू कर दिया। भारत ने इस मौके का फायदा उठाया और कुछ ही महीनों के अंदर भारत रूस से बड़े पैमाने पर कच्चा तेल खरीदने लगा।

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मौजूदा वक्त में भारत में जितना कुल तेल आता है उसमें रूस की हिस्सेदारी 35 से 40% है और उस वक्त अमेरिका की तत्कालीन बाइडेन सरकार के प्रशासन ने भी भारत को रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए प्रेरित किया था लेकिन अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कहते हैं कि भारत को रूस से कच्चा तेल नहीं खरीदना चाहिए।

ट्रंप का दावा- रूस से तेल नहीं खरीदेगा भारत

पुतिन के साथ बैठक के बाद ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिए गए इंटरव्यू में इस बात का दावा किया कि रूस ने तेल खरीदने वाले अपने सबसे बड़े कस्टमर के रूप में भारत को खो दिया (अमेरिका के द्वारा लगाए गए एडिशनल टैरिफ के बाद) है।

ट्रंप-पुतिन की मुलाकात से पहले अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने चेतावनी दी थी कि अगर पुतिन-ट्रंप के बीच बैठक का कोई नतीजा नहीं निकलता है तो टैरिफ को और बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने यूरोप के देशों से अपील की थी कि ऐसे देश जो रूस के साथ व्यापार करते हैं, उन पर प्रतिबंध लगाने के मामले में अमेरिका का साथ दे।

भारत स्पष्ट रूप से कह चुका है कि रूस के द्वारा कच्चे तेल की खरीद को लेकर उसे निशाना बनाया जाना पूरी तरह गलत है। भारत लंबे वक्त से कहता रहा है कि क्योंकि वह ऊर्जा के आयात के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है इसलिए उसे जहां से फायदा होगा वह वहां से तेल खरीदेगा।

अमेरिका के टैरिफ का तेल के आयात पर कोई असर नहीं

भारत में पब्लिक सेक्टर की रिफाइनरियों के अफसरों ने कहा है कि उन्हें रूस से तेल के आयात को लेकर सरकार से कोई निर्देश नहीं मिला है और अमेरिका के 25% एडिशनल टैरिफ का रूस से आयात होने वाले तेल पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ा है।

ट्रंप-पुतिन की मुलाकात बेनतीजा रहने से भारत के सामने क्या मुश्किल खड़ी होगी?

अब भारत की नजर इस बात पर है कि यूक्रेन को लेकर अमेरिका और रूस किस तरह आगे बढ़ते हैं और आने वाले दिनों में वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच रिश्ते कैसे बने रहेंगे?

(सुकल्प शर्मा के इनपुट के साथ)