Trump Zelenskyy Showdown: रूस के साथ युद्ध के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की का अपने पुराने सहयोगी अमेरिका से टकराव हो गया है। जेलेंस्की अमेरिका दौरे पर थे और व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के साथ उनकी बहस वैश्विक चर्चा का विषय बन गई है।
जेलेंस्की से साथ हुई बहस को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यह शोरगुल शानदार टेलीविजन शो बन गया है। इसका परिणाम ये कि यूक्रेन के राष्ट्रपति के लिए शांति की उम्मीद और ज्यादा दूर की बात लगने लगी है। ऐसे में व्हाइट हाउस में देखी गई दो राष्ट्रपतियों के बीच की यह सार्वजनिक बहस कुछ अहम बिंदुओं के लिहाज से अहम हो गई है।
1- वैश्विक मानदंडों के विपरीत है ट्रंप का व्यवहार
सबसे पहले, विश्व नेता के व्यवहार से जुड़े वैश्विक मानदंडों में से किसी की भी ट्रंप से उचित रूप से अपेक्षा नहीं की जा सकती। उनका भाषण, व्यवहार, टिप्पणियाँ और सोशल मीडिया पोस्ट उन मानदंडों के विपरीत हैं।
2- ट्रंप अपने लोगों के बीच पाना चाहते हैं सम्मान
दुनिया अब एक ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति से निपट रही है, जो कि सबसे पहले अपने देश के लोगों के बीच सम्मान पाना चाहता है, और उनके इस रवैए को दुनिया के जिन नेताओं ने समझ लिया है, वे अपना घमंड छोड़ चुके हैं। कुछ ऐसा ही जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय के साथ हुआ, जब ट्रम्प ने गाजा के लिए अपनी योजना के बारे में बात की। राजा ने राष्ट्रपति की बात का खंडन नहीं किया और न ही टीवी क्रू के सामने उन्हें उकसाया। इसके बजाय उन्होंने व्हाइट हाउस से बाहर निकलने के बाद एक ट्वीट के माध्यम से योजना को खारिज करते हुए एक बयान जारी किया।
जेलेंस्की ने ट्रंप के सामने तेवर दिखाकर सही किया या गलत? रूस-यूक्रेन युद्ध पर पड़ेगा क्या असर
इतना ही नहीं, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो और यहां तक कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर जैसे अन्य नेता भी कुशल और सम्मानजनक रहे हैं। फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने मुस्कुराते हुए राष्ट्रपति ट्रंप का हाथ थामा, लेकिन उन्होंने यूक्रेन के युद्ध प्रयास में यूरोप के योगदान के बारे में विनम्रता से उन्हें करेक्ट भी किया।
3- अब सभी को रखना होगा अपने हितों का ध्यान
वहीं ट्रम्प-ज़ेलेंस्की टकराव ने दिखा दिया है कि अब हर देश अपने दम पर है। द्विपक्षीय लेन-देन अब अपने चरम पर है। नया वाशिंगटन अतीत के मानदंडों और नियमों का सम्मान नहीं करता है। प्रत्येक देश को अपने हितों का ध्यान रखना होगा, वे अब अमेरिका या उसके नेतृत्व पर निर्भर नहीं रह सकते। अमेरिकी प्रतिष्ठान और शक्ति की विश्वसनीयता अब नहीं रही।
4- भारत ने सफलता से किया ट्रंप को हैंडल
साउथ ब्लॉक इस बात से राहत की सांस ले रहा होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले महीने व्हाइट हाउस की अपनी यात्रा के दौरान इन उतार-चढ़ाव भरे हालातों से निपटने में सफल रहे। अवैध आव्रजन और उच्च टैरिफ के विवादास्पद मुद्दों को सम्मानपूर्वक उठाया गया और भारतीय पक्ष ट्रंप की गोली को चकमा देने में सफल रहा।
5- बैक-चैनल वार्ता का अधिक महत्व
बंद दरवाजों के पीछे कूटनीति के पुराने नियम का महत्व अब स्पष्ट होता जा रहा है। कूटनीति का मतलब है कि वह कमरे के भीतर बातचीत और संवाद, कैमरों के लिए तमाशा नहीं। इसका मतलब यह होगा कि सार्वजनिक बयानों और दिखावे की तुलना में बैक-चैनल वार्ता का अधिक महत्व है।
ना कभी ऐसा देखा ना सुना… व्हाइट हाउस में हुई जेलेंस्की-ट्रंप की नोकझोंक की पूरी कहानी
6- भारत अब वैश्विक स्तर पर खुलकर नहीं करेगा समर्थन
अब यह और भी कम संभावना है कि भारत किसी भी देश के लिए समर्थन व्यक्त करेगा। अधिकारियों ने कहा कि भारत हमेशा से ही मुश्किल राह पर चला है, और वह किसी भी एक पक्ष से पहले दूर ही रहा है। भारत केवल अपनी घोषित स्थिति की ओर इशारा करेगा, जो कि यही है कि बातचीत और कूटनीति ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है, और युद्ध के मैदान में समाधान नहीं खोजा जा सकता है।
शुक्रवार को, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने अंतर्राष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों और क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान के आधार पर न्यायसंगत और स्थायी शांति के लिए समर्थन व्यक्त किया था। इस हफ्ते की शुरुआत में भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन के मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से खुद को दूर रखा था, जिसमें तनाव कम करने, शत्रुता को शीघ्र समाप्त करने तथा शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया गया था।
7-राष्ट्रपति व्लादिमीर के लिए फायदा
व्हाइट हाउस में चल रहे इस नाटक का सबसे बड़ा लाभार्थी रूस और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हैं । एक यूरोपीय राजनयिक ने कहा कि मुझे लगता है कि पुतिन इससे ज्यादा खुश नहीं हो सकते, वे आज रात क्रेमलिन में सीधे बोतल से वोदका पी रहे हैं। इसकी वजह यह है कि अमेरिकी और यूक्रेन के बीच टकराव बढ़ सकता है, और यह मास्को के लिए सबसे सहज स्थिति होगी। व्हाइट हाउस में ट्रंप और जेलेंस्की के बीच क्या-क्या विवाद हुआ, लिंक पर क्लिक करके पढ़ें पूरी खबर…