कोरोना वायरस महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रखा है। एक तरफ, बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमण के कारण मौतें हो रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ, इससे उबरने के बाद भी लोगों को तरह-तरह की बीमारियां घेर ले रही हैं। कोरोना के मानव शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को लेकर कई अध्ययन सामने आ रहे हैं। इसी तरह के एक नई स्टडी में सामने आया है कि कोरोना के कारण पुरुषों की स्पर्म क्वालिटी काफी समय तक खराब रहती है। इस चौंकाने वाले खुलासे ने पुरुषों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
फर्टिलिटी एंड स्टेरिलिटी जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रिसर्चर्स ने पाया है कि कोरोना का पुरूषों के स्पर्म काउंट पर लंबे समय तक असर रहता है। इस स्टडी में पाया गया कि पुरूषों की स्पर्म क्वालिटी कोविड-19 से रिकवर होने के बाद महीनों तक खराब रहती है।
हालांकि, कोरोना संक्रमण की गंभीरता से स्पर्म काउंट पर असर नहीं दिखाई दिया। यानी कोरोना संक्रमण का जिन पर ज्यादा असर था और जिनमें मामूली लक्षण थे, दोनों ही मामलों में स्पर्म की क्वालिटी एक जैसी थी। वहीं, स्टडी के दौरान इस बात को स्वीकार किया गया कि यौन संबंध के जरिए कोरोना नहीं फैलता है।
इस स्टडी के लिए बेल्जियम के 35 वर्ष की औसत उम्र के 120 पुरुषों के सैंपल लिए गए थे। साथ ही इसका ध्यान रखा गया था कि इन लोगों को कोरोना से उबरे हुए कम से कम एक हफ्ते और औसतन 2 दो महीने हो चुके हों। इस स्टडी के दौरान पाया गया कि कोरोना के कारण पुरुषों में उनके स्पर्म काउंट के साथ-साथ स्पर्म मोटिलिटी पर भी असर पड़ा है।
स्टडी के दौरान रिसर्चर्स ने पाया कि जिन पुरुषों को कोरोना से संक्रमित हुए एक महीने से कम वक्त हुआ था, उनका स्पर्म काउंट 37 फीसदी घटा था और स्पर्म की गतिशीलता 60 फीसदी तक घट गई थी। जिनको संक्रमित हुए एक से दो महीने हुए थे, उनके स्पर्म काउंट में 29 फीसदी की कमी आई थी और स्पर्म मोटिलिटी 37 फीसदी घट गई थी।
जबकि, दो महीने बाद स्पर्म काउंट 6 फीसदी घटा था और स्पर्म मोटिलिटी 28 फीसदी कम हुआ था। रिसर्चर्स का कहना था कि क्या कोरोना बच्चे पैदा करने की क्षमता पर लंबा असर डाल सकता है या नहीं? इसका पता लगाने के लिए अभी और अध्ययन करने की जरूरत है।
इस स्टडी के सामने आने के बाद रिसर्चर्स ने बेबी प्लान करने की इच्छा रखने वाले कपल्स को चेतावनी दी है कि कोरोना संक्रमण के बाद स्पर्म क्वालिटी और स्पर्म काउंट में कमी आ सकती है। वहीं, ये स्टडी पुरुषों की बच्चा पैदा करने की क्षमता प्रभावित होने की आशंका की तरफ इशारा कर रही है।