अफगान सरकार और तालिबान के बीच स्थगित शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की कोशिशों के तहत यहां शुरू हुई चार पक्षीय समूह की महत्त्वपूर्ण बैठक के बीच पाकिस्तान ने कहा कि वार्ता के लिए पहले से कोई शर्त नहीं थोपी जानी चाहिए। इस चार पक्षीय समूह में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन और अमेरिका शामिल हैं। सोमवार को यहां विदेश मामलों पर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के सलाहकार सरताज अजीज ने बैठक में कहा-‘यह महत्त्वपूर्ण है कि मेल-मिलाप प्रक्रिया के लिए कोई पूर्व शर्त नहीं थोपी जानी चाहिए, क्योंकि इससे तालिबान को वार्ता की मेज पर लाने में कठिनाई होगी।’

युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में मेल-मिलाप प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए पिछले साल चार पक्षीय समूह की स्थापना हुई थी। अजीज ने कहा कि मेल-मिलाप प्रक्रिया का पहला मकसद तालिबान को वार्ता की मेज पर लाने की स्थितियां पैदा करना और उसे इस बारे में प्रेरित करना है कि वे हिंसा को त्याग दे। उन्होंने कहा-‘इसलिए यह महत्त्वपूर्ण है कि मेल-मिलाप प्रक्रिया में कोई पूर्व शर्त नहीं जोड़ी जाए।’

अजीज ने कहा कि वार्ता प्रक्रिया में उचित तारतम्यता की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समूह के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के इस्तेमाल की धमकी से बाधाएं उत्पन्न होंगी। उन्होंने कहा-‘मैं यह फिर से कहना चाहता हूं कि अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान अपने भाईचारे और पड़ोसी संबंधों को महत्व देता है और वह अफगानिस्तान में दीर्घकालिक शांति एवं स्थिरता के लिए गंभीर प्रयास जारी रखने को कटिबद्ध है।’ अफगानिस्तान ने उम्मीद जताई कि पाकिस्तान उन विद्रोहियों की सूची साझा करेगा जो शांति वार्ता के लिए तैयार हैं। पहले दौर की वार्ता जुलाई में हुई थी। लेकिन तालिबान प्रमुख मुल्ला उमर की मौत की खबर के बाद प्रक्रिया निलंबित हो गई थी।

इस्लामाबाद के नजदीक मुर्री में तालिबान और अफगान सरकार के प्रतिनिधियों के बीच हुई पहले दौर की वार्ता के दौरान पाकिस्तान, चीन और अमेरिका के अधिकारी भी मौजूद थे। अधिकारियों के अनुसार अगर चारों देश वार्ता के न्यूनतम एजंडे पर सहमत हो जाते हैं तो वार्ता का दूसरा दौर जनवरी के अंत में आयोजित हो सकता है।