लश्कर-ए-तय्यबा के संदिग्ध बम विशेषज्ञ अब्दुल करीम टुंडा और तीन अन्य को शनिवार को दिल्ली की एक अदालत ने सबूतों के अभाव में आतंकवादी हमला करने के लिए 1997 में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी आतंकवादियों को भारत में घुसाने में मदद करने के आरोप से मुक्त कर दिया।

 74 वर्षीय टुंडा को अदालत ने आरोप मुक्त कर दिया। अदालत ने कहा कि उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्रथम दृष्टया साक्ष्य नहीं है। टुंडा उन 20 आतंकवादियों में से एक था जिसे भारत ने मुंबई हमले के बाद पाकिस्तान से भारत को सौंपने को कहा था।

यह दिल्ली पुलिस द्वारा टुंडा के खिलाफ दायर चौथा और अंतिम मामला था जिसमें उसे आरोप मुक्त किया गया है। इससे पहले 1996 में टुंडा के खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था।

टुंडा के अलावा अदालत ने उसके ससुर मोहम्मद जकारिया और उनके दो कथित करीबी सहायकों अलाउद्दीन और बशीरूद्दीन को मामले में आरोप मुक्त कर दिया। टुंडा आतंक से संबंधित मामलों के सिलसिले में फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।

दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 121 (देश के खिलाफ जंग छेड़ने), धारा 121 ए (राज्य के खिलाफ कुछ अपराध करने की साजिश रचने), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, विदेशी अधिनियम और शस्त्र अधिनियम के तहत अपराधों के लिए आरोप पत्र दायर किया था।