जलवायु परिवर्तन को एक बड़ी वैश्विक चुनौती बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को यहां कहा कि ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लिए व्यापक, न्यायसंगत और दीर्घकालिक समझौते पर सहमति के लिए दुनिया को इसे बेहद जरूरी मानते हुए काम करना होगा। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से इतर एक बेबाक उद्बोधन में मोदी ने जीवनशैली में बदलाव की भी वकालत की ताकि धरती पर बोझ कम हो। उन्होंने कहा कि कुछ की जीवनशैली से विकासशील देशों के लिए अवसर समाप्त नहीं होने चाहिए।

नरेंद्र मोदी ने पेरिस में जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन से अलग अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात की। इससे पहले मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ मिले और कुछ देर तक बातचीत की। इस बातचीत का खुलासा नहीं किया गया है। ओबामा ने जलवायु सम्मेलन के लिए जमा हुए दुनिया के नेताओं से मानवता के लिहाज से एक सुनिश्चित भविष्य के नाते फौरन कार्रवाई करने का आह्वान किया।ओबामा ने सम्मेलन में एकत्रित 150 नेताओं से कहा, भविष्य ऐसी चीज है जिसे हम बिल्कुल अभी और यहीं बदल सकते हैं, लेकिन उसके लिए इसी क्षण खड़ा होना होगा।

इससे पूर्व मोदी ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से लड़ने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दर्शाने वाले एक विशेष भारतीय पवेलियन का यहां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन स्थल पर उद्घाटन करते हुए कहा, जलवायु परिवर्तन एक बड़ी वैश्विक चुनौती है। लेकिन यह हमारी बनाई हुई नहीं है। उन्होंने सम्मेलन से निकलने वाले परिणाम को अहम बताते हुए कहा, हम चाहते हैं कि दुनिया अत्यावश्यक आधार पर काम करे।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में और ‘फाइनेंशियल एक्सप्रेस’ अखबार के संस्करण में विचार वाले हिस्से में लिखे एक लेख, दोनों ही जगह जीवनशैली में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने पवेलियन में उपस्थित श्रोताओं से कहा, मैं जीवनशैली में बदलाव का भी आह्वान करूंगा ताकि हम अपनी धरती पर बोझ कम कर सकें। हमारे प्रयासों की स्थाई सफलता हमारे रहने और सोचने के तरीके पर निर्भर करेगी।

मोदी ने अपने लेख में लिखा, कुछ की जीवनशैली से उन कई देशों के लिए अवसर समाप्त नहीं होने चाहिए जो अब भी विकास की सीढ़ी पर पहले पायदान पर हैं। इस बात का उल्लेख करते हुए कि शिखर बैठक का नतीजा बहुत महत्त्वपूर्ण है, प्रधानमंत्री ने कहा, हम चाहते हैं कि विश्व तात्कालिकता के साथ काम करे। उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति हमारी नियति और हमारी जनता का अधिकार है। लेकिन हमें जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने में भी अगुवाई करनी होगी। प्रधानमंत्री ने विकसित देशों को चेतावनी भी दी कि अगर वे उत्सर्जन कम करने का बोझ भारत जैसे विकासशील देशों पर डालते हैं तो यह ‘नैतिक रूप से गलत’ होगा और विकासशील देशों को भी अपनी अर्थव्यवस्थाओं की प्रगति के लिए कार्बन दहन का अधिकार है।

जलवायु परिवर्तन सम्मेलन को ‘ऐतिहासिक’ करार देते हुए मोदी ने कहा कि भारत के भविष्य के नाते सम्मेलन का बहुत महत्त्व है। उन्होंने कहा, विकसित देशों को आकांक्षा और उम्मीद के बीच रहने वाले लोगों के साथ संसाधनों और प्रौद्योगिकी को साझा करना चाहिए। इसका यह भी मतलब होगा कि विकासशील दुनिया अपने विकास पथ पर कार्बन की हल्की छाप छोड़ने का प्रयास करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा, हम चाहते हैं कि दुनिया का संकल्प ऐसी स्थितियां बनाने के प्रयासों से मेल खाएं जिनमें हम सफल हो सकें क्योंकि हमारी चुनौती दबाव डाल रही है, इसलिए हमारे प्रयास अत्यावश्यक स्तर पर होने चाहिए। उन्होंने कहा कि सम्मेलन के आखिर में होने वाले समझौते में मानवता और प्रकृति के बीच संतुलन बहाल होना चाहिए। हमें विरासत में क्या मिला और हम क्या छोड़ेंगे, इसके बीच भी संतुलन बहाल होना चाहिए।

मोदी ने कहा, इसका मतलब ऐसी साझेदारी होगा जिसमें पसंद की सुविधा और प्रौद्योगिकी की क्षमता रखने वाले अपने कार्बन उत्सर्जन में तेजी से कमी लाने के लिए सामंजस्य करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि पर्यावरण पर भारत के नेतृत्व में 1975 में स्टॉकहोम में हुए कॉप सम्मेलन से लेकर 2009 में कोपेनहेगन में हुए सम्मेलनों में भारत के नेताओं और सरकारों का दृष्टिकोण शामिल रहा है। उन्होंने कहा, हम अपने राष्ट्रीय प्रयास को पूरी तरह नए स्तर पर ले जा रहे हैं। और हम अपनी अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को तेज कर रहे हैं। इसलिए हम अपनी प्रतिबद्धता के साथ पेरिस आए हैं, लेकिन हम उम्मीद के साथ भी आए हैं। इस मौके पर मोदी ने कहा, हम जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की रूपरेखा के समझौते के तहत बातचीत साझेदारी की भावना के साथ करते हैं, जो समान और साझा लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों के सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए। मैं जीवनशैली में बदलाव के लिए भी आह्वान करूंगा, ताकि हम अपनी धरती पर बोझ कम कर सकें। हमारे प्रयासों की दीर्घकालिक सफलता हमारे रहने और सोचने के तरीके पर निर्भर करेगी।

पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के साथ भारतीय प्रधानमंत्री ने पवेलियन के विभिन्न स्टॉलों का मुआयना किया और बाद में पर्यावरण संरक्षण पर एक पुस्तक का विमोचन किया। जावड़ेकर ने कहा, हमारा पवेलियन जलवायु परिवर्तन से लड़ने की हमारी प्रतिबद्धता दर्शाता है। पवेलियन में भारत के अपनाए गए अनुकूलन उपायों पर फिल्में भी दिखाई जाएंगी। यहां अधिकारियों ने कहा कि यहां स्क्रीन पर लगातार करीब 40 फिल्में चलती रहेंगी जिनमें अनुकूलन पर करीब 21 जीबी सूचना होगी।

यहां आने वाले दर्शकों को इस संबंध में जानकारी देने के लिए टच स्क्रीन भी लगाए गए हैं कि भारत ने चार क्षेत्रों में अनुकूलन उपाय किस तरह अपनाए हैं जिनमें मन्नार की खाड़ी में प्रवालभित्ति का संरक्षण, लद्दाख में ग्लेशियर का संरक्षण, अहमदाबाद में ग्रीष्म कार्रवाई योजना शामिल हैं।

इससे पहले 150 देशों के नेताओं ने यहां जलवायु पर संयुक्त राष्ट्र के 12 दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस मौके पर मोदी ने कहा, हमारे सामूहिक उपक्रम की आधारशिला समान लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों के सिद्धांत पर होनी चाहिए।

अमेरिका के नेतृत्व में विकसित देश इस बात पर जोर देते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग को दो डिग्री सेल्सियस से कम सीमित करने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पड़ने वाले बोझ को और अधिक समान तरीके से साझा किया जाना चाहिए। यह मुद्दा पृथ्वी पर गर्मी को नियंत्रित करने के लिए एक वैश्विक करार में बड़ी बाधा है।

मोदी ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति से मुलाकात की:

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांद से मुलाकात की और कहा कि संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में भारत सकारात्मक और रचनात्मक सोच रखेगा। फ्रांसीसी राष्ट्रपति के साथ बातचीत में मोदी ने कहा कि सम्मेलन में देशों द्वारा जलवायु परिवर्तन से निपटने की प्रतिबद्धताओं की विश्वसनीयता एक सफल जलवायु समझौते के लिए महत्त्वपूर्ण होगी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति ओलांंद से मुलाकात कर कॉप 21 में सहभागिता दर्ज कराई। मोदी ने राष्ट्रपति ओलांद से मुलाकात की और संदेश दिया कि कॉप 21, पेरिस के लिए वैश्विक नेताओं की बैठक विश्वास बहाली के बारे में है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति ओलांद से कहा- भारत कॉप 21 में रचनात्मक पहल, महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों और सकारात्मक सोच के साथ आया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देशों द्वारा प्रतिबद्धता की विश्वसनीयता कॉप 21 में सफल परिणामों के लिए महत्त्वपूर्ण है।

मोदी के अलावा 21वें कॉप सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत अन्य वैश्विक नेता आए हैं।