पूरी दुनिया ने कोरोनो वायरस के कहर को झेला है। लाखों लोगों की जानें गयी हैं, कई देशों की आर्थिक स्थिति को तक इस वायरस ने हिला कर रख दिया था। सबसे ज़्यादा नुकसान चीन को हुआ, जिसके शहर वुहान से इस गंभीर बीमारी की पहली खबर आम हुई थी। अब जब दुनिया इस बुरे दौर से गुज़र कर पटरी पर लौट रही है तो कोरोना  के उपजने के सवाल पर कई बातें हो रही हैं।  एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वुहान में चीनी सेना के साथ काम करने वाले वैज्ञानिक  एक खतरनाक प्रयोग कर रहे थे जिसके रहते कोरोना का जन्म हुआ। 

 द संडे टाइम्स के मुताबिक रिपोर्ट का दावा है कि चीनी वैज्ञानिक एक खतरनाक सीक्रेट प्रयोगशाला चला रहे थे जिसके कारण वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से रिसाव कोविड पूरी दुनिया में फैल गया। 

इस रिपोर्ट का दावा सैकड़ों दस्तावेजों पर आधारित है, जिसमें कई सीक्रेट रिपोर्ट्स, इंटरनल मेमो, वैज्ञानिक कागजात और ईमेल संदेश शामिल हैं।

इस दावे के पीछे मौजूद लोगों में से एक का कहना है कि यह स्पष्ट हो गया है कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी कोविड  -19 महामारी के फैलने के पीछे है। 

उन्होने कहा कि इस काम पर कोई पब्लिश रिपोर्ट नहीं आ पाई है क्योंकि यह चीनी सेना के शोधकर्ताओं के सहयोग से किया गया था। चीनी सेना इसके पीछे थी। जांचकर्ताओं का मानना है कि चीन जैविक हथियारों का पीछा कर रहा है।

ऐसी रिपोर्ट्स पहली बार सामने नहीं आई है जब चीन से जुड़ा ऐसा दावा साझा किया गया है जिसमें  इस तरह के शोध में चीन शामिल दिखाई दे रहा है। 

वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने 2003 में सार्स वायरस की शुरुआत का पता लगाना शुरू किया था और वह दक्षिणी चीन में बैट गुफाओं से इकट्ठा किए गए कोरोनविर्यूज़ पर जोखिम भरे प्रयोगों में लगा शामिल था। 

इसका निष्कर्ष शुरू में सार्वजनिक किए गए थे। 2016 में, शोधकर्ताओं ने युन्नान प्रांत के मोजियांग में एक खदान में सार्स के समान एक नए प्रकार का कोरोनावायरस पाया था।  चीन ने इन मौतों की सूचना नहीं दी थी लेकिन तब पाए गए वायरस को अब कोविड के परिवार के एकमात्र सदस्य के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है।