यह सुनकर भले ही आपको भरोसा न हो लेकिन सच है। टेक्नोलाजी में पूरी दुनिया को लोहा मनवाने वाला चीन अब अपना चांद बनाने की तैयारी कर रहा है। इस आश्चर्य भरे काम को हकीकत बनाने में दो साल का समय है। चीन 2020 तक चांद से रौशनी लेने लगेगा। इसका मुख्य उद्देश्य बिजली बचाना होगा।

खुद का चांद बनाने के बाद चीन की सड़कें इसी की रौशनी से ही जगमगाएंगी। चेंगदु प्रांत के अंतरिक्ष वैज्ञानिक अगले दो साल यानी कि 2020 तक आकाश में इलुमिनेशन सेटेलाइट नाम से उपग्रह भेजने की तैयारी में हैं। इससे 50 मील (करीब 80 किलोमीटर) के दायरे को रौशन करेगा। इस सैलेटाइट को चेंगदु के एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम रिसर्च इंस्टीट्यूट कंपनी लिमिटेड के वैज्ञानिक बनाएंगे।

चीन के अपना चांद बनाने पर वैज्ञानिकों ने बताया कि, यह असली चंद्रमा से आठ गुना ज्यादा रोशनी देगा। इसे शाम और रात की बीच के आकाश के रंग की छटा बिखेरने के लिए बनाया गया है। यह सड़कों पर कृत्रिम रोशनी फैलाएगा। इसे बनाने वालों ने दावा किया है कि इससे बिजली की बचत होगी। असली चांद के साथ यह सैटेलाइट इतना उजाला होगा कि सड़कों पर स्ट्रीट लाइट लगाने की जरूरत नहीं होगी।

इससे पहले भी ऐसे आश्चर्य को हकीकत में बदलने के प्रयास हुए हैं। नार्वे में 2013 में जुकान प्रांत पर तीन विशालकाय शीशे लगाए गए थे, जो कम्यूटर से कंट्रोल होते थे। इनका काम सूर्य के उजाले को परावर्तित कर प्रांत की सड़कों को रोशनी देना है। 1990 के दशक रूस ने भी असफल प्रयास किया था। रूस ने सूर्य को रोशनी को धरती पर परावर्तित करने वाला उपग्रह लांच किया था। जो फेल हो गया।

चीन के नकली चांद बनाने पर पर्यावरणविद प्रकाश प्रदूषण के बढ़ने की संभावना जता रहे हैं। इस पर उनका कहना है कि सैटेलाइट से निकलने वाला प्रकाश दिमाग को रात होने का अहसास ही नहीं कराता। इससे स्लीप हार्मोन मेलाटोनिन पैदा होता है। इससे मोटापे, डायबिटीज टाइप 2, दिल के रोग और कैंसर तक हो सकता है।