चीन दुश्मन देशों की क्षमताओं को रोकने और बाधित करने के लिए साइबर हमलों और जासूसी जैसे इलेक्ट्रानिक और नेटवर्क केंद्रित युद्ध तकनीकों का व्यापक तौर पर इस्तेमाल करता है, जिसे इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रानिक वारफेयर के रूप में भी जाना जाता है।
पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे दुष्प्रचार अभियानों में भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष, भारत में मुस्लिम समुदाय के साथ कथित दुर्व्यवहार और कश्मीर मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया है। सूचना युद्ध में डिजिटल और सोशल मीडिया के माध्यम से राजनीतिक विमर्श, जनमत और सामाजिक परंपराओं को प्रभावित या नियंत्रित करने के लिए विभिन्न रणनीतियों और तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है।
चीन का सूचना युद्ध
भारत के खिलाफ चीन का सूचना युद्ध उसके व्यापारिक एवं सैन्य रणनीति के निर्माण का अहम हिस्सा है। चीन दुश्मन देशों की क्षमताओं को रोकने और बाधित करने के लिए साइबर हमलों और जासूसी जैसे इलेक्ट्रानिक और नेटवर्क केंद्रित युद्ध तकनीकों का व्यापक तौर पर इस्तेमाल करता है, जिसे इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रानिक वारफेयर के रूप में भी जाना जाता है।
चीन ने सैन झोंग झांफा के माध्यम से सभी डिजिटल सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नियंत्रण स्थापित किया है और इनकी निगरानी कर रहा है। चीन ने सभी डिजिटल सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है और सैन झोंग झांफा के जरिए इन पर निगरानी रख रहा है। सैन झोंग झांफा एक त्रिस्तरीय रणनीति है, जिसे वह जनमत/संचार युद्ध, मनोवैज्ञानिक युद्ध और कानूनी युद्ध के लिए इस्तेमाल करता है। इस रणनीति में प्रिंट और सोशल मीडिया का इस्तेमाल, निवेश एवं छात्रवृत्ति के जरिए साफ्ट पावर का प्रदर्शन करना, देश के भीतर विचारों के प्रसार को नियंत्रित एवं प्रभावित करना और नफरत फैलाना शामिल है।
दुष्प्रचार के तौर-तरीके
कोरोना के दौरान चीन ने भारतीय टीकों को कमतर बताने के लिए दुष्प्रचार किया। चीनी राज्य के स्वामित्व वाली मीडिया जैसे ग्लोबल टाइम्स ने महामारी से प्रभावी ढंग से निपटने में भारत की कथित विफलता को लेकर बार-बार फर्जी खबरें दिखाई हैं। कुछ रपट में यह तक कहा गया कि भारत ने चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर विवाद खड़े करके महामारी से ध्यान भटकाने की कोशिश की थी।
2017 के डोकलाम सीमा विवाद के दौरान चीन ने घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया। चीनी राज्य के स्वामित्व वाली मीडिया जैसे ग्लोबल टाइम्स ने महामारी से प्रभावी ढंग से निपटने में भारत की कथित विफलता का दावा करते हुए बार-बार फर्जी एवं संदिग्ध खबरें दिखार्इं।
चीन ने दुष्प्रचार के लिए सोशल मीडिया मंचों का भी इस्तेमाल किया। जून 2020 में ट्विटर ने 150,000 खातों के एक संगठित नेटवर्क से जुड़े 23,750 खातों को डिलीट कर दिया क्योंकि वे झूठी खबरें फैला रहे थे। वे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के पक्ष में भू-राजनीतिक धारणाओं का प्रचार कर रहे थे।
चीन की तरह पाकिस्तान
भारत विरोधी भावनाओं को भड़काते हुए पाकिस्तान भी भारत के सूचना तंत्र को अस्थिर करने के लिए कई झूठे साधनों का सहारा लेते हुए दुष्प्रचार अभियान चलाता है। आधिकारिक पाकिस्तानी सोशल मीडिया हैंडल, आइटी सेल, बोट, ट्रोल अकाउंट के जरिए सोशल मीडिया मंचों पर भ्रामक सूचनाएं फैलाई जाती हैं।
पाकिस्तान के अभियानों में भारत के साथ सैन्य संघर्षों, भारत में मुस्लिम समुदाय के साथ कथित दुर्व्यवहार और कश्मीर मुद्दे को लेकर भ्रामक प्रचार छेड़ा जाता है। वर्ष 2019 के बालाकोट हवाई हमले के दौरान भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में अपने मिग 21 बाइसन के दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले पाकिस्तान वायु सेना के एफ-16 लड़ाकू जेट को मार गिराया था।
पाकिस्तानी सेना के खंडन को एक अमेरिकी प्रकाशन, फारेन पालिसी, का समर्थन मिला। उसमें प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी हथियार बेड़े में एफ-16 विमानों की संख्या से पता चलता है कि उनमें से कोई विमान लापता नहीं है। 27 फरवरी 2023 को बालाकोट हवाई हमले की चौथी वर्षगांठ पर पाकिस्तान ने सूचना युद्ध के उन्हीं पुराने हथकंडों को हुए अपने कई ट्विटर हैंडल के जरिए कई ट्वीट किए, जिनके जरिए कई मीम जारी किए गए। कश्मीर को लेकर, पाकिस्तान ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल, जिनमें आइएसपीआर, प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय की वेबसाइट, विदेशी मीडिया और सोशल मीडिया ट्रोल शामिल हैं के माध्यम से लगातार यह दुष्प्रचार किया है कि भारतीय सेना ने कश्मीर में युद्ध अपराध किए हैं।
क्या कर रहा है भारत
भारत ने दुष्प्रचार का मुकाबला करने और डिजिटल साक्षरता बढ़ाने के लिए ‘सत्यमेव जयते‘, प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान और राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से बचाव संबंधी उपाय किए हैं। सूचना युद्ध के मोर्चे पर भारतीय सेना ने दो साल पहले एक महानिदेशक (सूचना युद्ध प्रणाली)के पद की स्थापना की थी, ताकि चीन और पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे दुष्प्रचार अभियानों पर नजर रखी जा सके।
भारतीय सेना सूचना युद्ध में निवेश कर रही है लेकिन मनोवैज्ञानिक कार्रवाई, इलेक्ट्रानिक और साइबर युद्ध पर अलग से जोर दिया जा रहा है। साथ ही, कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी नई तकनीकों के इस्तेमाल से भारत के पक्ष में धारणाओं का प्रसार करना चाहिए।
क्या कहते हैं जानकार
इसमें कतई संदेह नहीं है कि हम चीन को रोक सकते हैं, बशर्ते हममें अगले दस साल में सुधार करने की राजनैतिक और सैन्य इच्छाशक्ति हो। इसकी बेहतरीन मिसाल यह है कि यूक्रेन में 2014 से किए गए सुधारों की वजह से 2022 में रूस को रोका जा सका।
- लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एचएस पनाग, रक्षा विशेषज्ञ
कानूनी युद्ध का उपयोग पड़ोसी देशों को धमकाने के लिए किया जाता है। भारत के लिए चीन की सूचना युद्ध रणनीति से पड़ने वालों प्रभावों को समझना प्रभावी जवाबी नीति विकसित करने और अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण है।
- मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) पीके सहगल, रक्षा विशेषज्ञ