अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में, खासकर पाकिस्तान में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति के प्रति आगाह करते हुए कहा है कि उसने भारतीय सीमा पर अपनी रक्षा क्षमताओं में इजाफा किया है और ज्यादा सैनिक तैनात किए हैं। पूर्वी एशिया के उप रक्षामंत्री अब्राहम एम. डेनमार्क ने एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों को बताया, ‘‘हमने भारत की सीमा के निकट के इलाकों में चीनी सेना की ओर से क्षमता और बल मुद्रा में इजाफा पाया है।’’ यह संवाददाता सम्मेलन ‘चीनी जनवादी गणराज्य की सेना और सुरक्षा घटनाक्रम’ पर अमेरिकी कांग्रेस में पेंटागन की ओर से वार्षिक 2016 रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद आयोजित किया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के साथ चीन के लंबे समय से दोस्ताना रिश्ते हैं और इनके समान सामरिक हित भी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘बहुत संभव है कि चीन उन देशों में अतिरिक्त नौसैनिक साजो-सामान केंद्र स्थापित करना चाहेगा जिसके साथ उसके दीर्घकालीन दोस्ताना रिश्ते और समान सामरिक हित हैं जैसे पाकिस्तान।’’ पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय सीमा के निकट चीनी सैन्य निर्माण पर चिंता जताई। उसने कहा, ‘‘चीन-भारत सीमा के विवादित हिस्सों पर तनाव बना रहा जहां दोनों पक्ष सैन्य बलों के साथ गश्त लगाते हैं।’’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘उत्तरी लद्दाख के बुर्त्से में सितंबर 2015 में पांच दिनों की सैन्य तनातनी के बाद भारत और चीन ने वरिष्ठ स्तर की फ्लैग-आफिसर बैठक आयोजित की और शांति बनाए रखने पर सहमति जताई और दोनों पक्षों के लिए परस्पर रूप के स्वीकार्य बिंदुओं पर लौट गए।’’
Read Also : साउथ चाइना सी में 3200 एकड़ जमीन पर चीन ने जमाया कब्जा, सैन्य तैयारी से अमेरिका भी घबराया
पेंटागन ने कहा कि दोनों देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक रिश्तों के बावजूद अरूणाचल प्रदेश :जिसके बारे में चीन तिब्बत का, और इस तरह अपना हिस्सा होने का दावा करता है: और तिब्बती पठार के पश्चिमी छोर पर अक्साइ चिन इलाके के मुद्दे पर 4,057 किलोमीटर लंबी साझी सीमा पर भारत के साथ चीन का तनाव है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने यह बात स्वीकार की है कि उसने वर्ष 2014 में हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन का परीक्षण किया था। देश के आधिकारिक मीडिया में भी पीएलएएसएएफ (पीपल्स लिबरेशन आर्मी सेकेंड आर्टिलरी फोर्स) के प्रशिक्षण अभ्यासों से जुड़ी खबरें कई बार सामने आईं। नई पीढ़ी की मिसाइलों की बढ़ी हुई गतिशीलता के साथ ये प्रौद्योगिकि और प्रशिक्षण में बढ़ोतरी चीन की परमाणु शक्ति को मजबूत करती हैं और हमले की रणनीतिक क्षमताओं को बढ़ावा देती हैं।
भारत की एटमी ताकत की वजह से परमाणु आधुनिकीकरण कर रहा चीन
पेंटागन ने यह भी खुलासा किया है कि अमेरिका, रूस और भारत की रक्षा क्षमताएं उन प्रमुख कारणों में से एक हैं, जो चीन को उसकी परमाणु ताकत और हमला बोलने की रणनीतिक क्षमताओं के आधुनिकीकरण के लिए प्रेरित कर रहे हैं।