चीन की अर्थव्यवस्था ने पिछले साल 2024 के आखिरी तीन महीनों में रफ़्तार पकड़ी। चीन ने शुक्रवार को बताया कि उसकी अर्थव्यवस्था 5 फीसदी की दर से आगे बढ़ रही है। जिससे सरकार को 2024 में 5% के अपने विकास लक्ष्य को पूरा करने की अनुमति मिली, बीजिंग ने शुक्रवार को घोषणा की। हालांकि यह दशकों में विकास की सबसे धीमी दरों में से एक है। चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन लंबे समय से चले आ रहे संपत्ति संकट, हाई लोन और युवा बेरोजगारी से उबरने के लिए संघर्ष कर रही है।
चीन ने कहा कि 2024 में चीन की आर्थिक उपलब्धियां कड़ी मेहनत से हासिल की गईं। विशेषज्ञों ने भी मोटे तौर पर 5 फीसदी के विकास दर की भविष्यवाणी की थी। विश्व बैंक ने कहा कि कम उधारी लागत और बढ़ते निर्यात का मतलब होगा कि चीन 4.9% की वार्षिक वृद्धि हासिल कर सकता है।
BBC की स्पेशल रिपोर्ट के अनुसार निवेशक खुद को टैरिफ के लिए तैयार कर रहे हैं। 500 बिलियन डॉलर मूल्य के चीनी सामानों पर डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ का खतरा बड़ा है। फिर भी यह सब चीन के अगले वर्ष विकास लक्ष्य हासिल करने की राह में बाधक नहीं है। व्यवसाय और उपभोक्ता का विश्वास कम है और चीनी करेंसी युआन कमजोर होता रहेगा क्योंकि बीजिंग विकास को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती करता है।
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टैरिफ से पहले से ही चीनी निर्यात को नुकसान
इस बात की चेतावनी बढ़ती जा रही हैं कि 2025 में चीन की अर्थव्यवस्था धीमी हो जाएगी। पिछले साल की वृद्धि का एक प्रमुख कारण अब खतरे में है और वह निर्यात है। चीन ने मंदी से बाहर निकलने में मदद के लिए विनिर्माण पर भरोसा किया है और इसलिए वह रिकॉर्ड संख्या में इलेक्ट्रिक वाहन, 3डी प्रिंटर और औद्योगिक रोबोट का निर्यात कर रहा है। अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय संघ ने चीन पर बहुत अधिक सामान बनाने का आरोप लगाया है और घरेलू नौकरियों और व्यवसायों की रक्षा के लिए चीनी आयात पर शुल्क लगाया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी निर्यातक अब दुनिया के अन्य हिस्सों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। लेकिन उन देशों के उभरते बाजारों में होने की संभावना है, जिनकी मांग का स्तर उत्तरी अमेरिका और यूरोप के समान नहीं है। इससे उन चीनी व्यवसायों पर असर पड़ सकता है जो विस्तार की उम्मीद कर रहे हैं। बदले में ऊर्जा और कच्चे माल के आपूर्तिकर्ताओं पर असर पड़ सकता है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग 2035 तक चीन को सस्ते सामान की दुनिया की फैक्ट्री से हाई-टेक पावरहाउस में बदलना चाहते हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि बढ़ते टैरिफ के बावजूद विनिर्माण इतना बड़ा ग्रोथ ड्राइवर कैसे बना रह सकता है।
ज्यादा खर्च नहीं कर रहे नागरिक
चीन में घरेलू संपत्ति बड़े पैमाने पर संपत्ति बाजार में निवेश की जाती है। रियल एस्टेट संकट से पहले यह चीन की अर्थव्यवस्था का लगभग एक तिहाई हिस्सा था। बिल्डरों और डेवलपर्स से लेकर सीमेंट उत्पादकों और इंटीरियर डिजाइनरों तक लाखों लोगों को रोजगार देता था। बीजिंग ने प्रॉपर्टी मार्केट को स्थिर करने के लिए कई नीतियां लागू की हैं और वित्तीय बाजार पर नजर रखने वाली संस्था, चीन सिक्योरिटीज रेगुलेटरी कमीशन (CSRC) ने कहा है कि वह सुधारों का सख्ती से समर्थन करेगा।
लेकिन अभी भी बहुत सारे खाली घर और कमर्शियल प्रॉपर्टी हैं, और अत्यधिक आपूर्ति के कारण कीमतों में गिरावट जारी है। संपत्ति बाजार में मंदी इस साल अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है, लेकिन वॉल स्ट्रीट बैंकिंग दिग्गज Goldman Sachs का कहना है कि यह मंदी चीन की आर्थिक वृद्धि पर कई वर्षों तक दबाव डालेगी।
खर्च पर पहले से ही भारी असर पड़ा है। 2024 के आखिरी तीन महीनों में घरेलू खपत ने चीन की आर्थिक गतिविधि में केवल 29% का योगदान दिया, जो महामारी से पहले 59% से कम है। यही एक कारण है कि बीजिंग ने निर्यात बढ़ाया है। यह नई कारों और लगभग हर चीज पर सुस्त घरेलू खर्च को संतुलित करने में मदद करना चाहता है।
लेकिन विशेषज्ञों को आश्चर्य हो रहा कि क्या अर्थव्यवस्था में गहरे मुद्दों को संबोधित किए बिना इस प्रकार के उपाय अकेले पर्याप्त हैं। उनका कहना है कि लोगों को खर्च अधिक करवाने के लिए कोविड से पहले वाली स्थिति में अपनी जेब में अधिक पैसे की आवश्यकता होगी। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में ग्रेटर चीन और उत्तरी एशिया के मुख्य अर्थशास्त्री शुआंग डिंग ने कहा, “चीन को जनसंख्या की एनिमल स्पिरिट को वापस लाने की जरूरत है और हम अभी भी उससे बहुत दूर हैं। यदि निजी क्षेत्र निवेश करना और इनोवेट करना शुरू कर दे तो इससे इनकम और नौकरी के परिदृश्य में वृद्धि हो सकती है। भारी सरकारी लोन और बेरोजगारी ने भी बचत और खर्च को प्रभावित किया है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि युवा बेरोजगारी दर महामारी से पहले की तुलना में अधिक बनी हुई है और वेतन वृद्धि रुकी हुई है।”
पहले की तरह चीन में नहीं आ रहा व्यापर
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अत्याधुनिक उद्योगों में निवेश करने का वादा किया है जिन्हें सरकार नई उत्पादक ताकतें कहती है। अब तक इससे चीन को सौर पैनल और इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी जैसे नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादों जैसे सामानों में आगे रहने में मदद मिली है। पिछले सा, चीन दुनिया के सबसे बड़े कार निर्यातक के रूप में जापान से भी आगे निकल गया।
लेकिन कमजोर आर्थिक तस्वीर, टैरिफ पर अनिश्चितता और अन्य भूराजनीतिक अनिश्चितताओं का मतलब है कि चीन में निवेश के लिए विदेशी व्यवसायों की भूख कम हो गई है। वेल्थ मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म स्टैशअवे की स्टेफ़नी लेउंग ने कहा, “यह विदेशी या घरेलू निवेश के बारे में नहीं है। बात यह है कि व्यवसायों को उज्ज्वल भविष्य नहीं दिख रहा है।”