Capitol Hill Riot: अमेरिकी संसद पर हुए भीड़ के हमले की जांच में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर कई खुलासे हुए हैं। जांच समिति ने पाया है कि डोनाल्ड ट्रंप ने समर्थकों को रोकने या हिंसा की निंदा करने जैसी अपीलों को ठुकरा दिया था और अमेरिकी संसद पर अपने समर्थकों के हमले को टीवी पर देखते रहे थे।

जांच समिति ने पाया है कि डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सहयोगियों और यहां तक कि परिवार के अनुरोधों को ठुकरा कर संसद भवन में छह जनवरी को हुई हिंसा को रोकने से इनकार कर दिया था। उन्होंने अपने सिलसिलेवार आक्रामक ट्वीट से आग में घी डालने का काम किया था। उन्होंने ट्वीट कर झूठे दावे किए थे कि चुनावों में धांधली हुई है।

एक वीडियो संबोधन में ट्रंप ने भीड़ को उकसाते हुए कहा था कि वे कितने खास हैं। उन्हें एक वीडियो में यह कहते हुए सुना जा सकता है, “मैं यह नहीं कहना चाहता कि चुनाव खत्म हो गया है।” अमेरिकी संसद पर भीड़ द्वारा किए गए हमले की जांच कर रही समिति ने डोनाल्ड ट्रंप का एक वीडियो जारी किया है। दावा है कि इस वीडियो को पहले कभी नहीं देखा गया और इसमें सात जनवरी 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप के लिए तैयार किए गए भाषण के अंश हैं।

ट्रंप पर लगे गंभीर आरोप

जांच समिति ने 187 मिनट के इस घटनाक्रम को बयां किया है कि ट्रंप के एक रैली के मंच से अपने समर्थकों को कैपिटल हिल में भेजने से लेकर रोज गार्डन वाले वीडियो में उनके दिखाई देने तक एक हारे हुए राष्ट्रपति को कोई भी उनकी हार के लिए मना नहीं पाया और वह व्हाइट हाउस में बैठकर टीवी पर हिंसा की घटना को देखते रहे। ट्रंप ने चुनावों में धांधली के बेबुनियादी दावे किए।

व्हाइट हाउस की पूर्व सहायक कैसिडी हचिंसन ने पहले गवाही दी थी कि वह भाषण में दंगाइयों को माफ करने का भी जिक्र करना चाहते थे। रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य लेकिन ट्रंप के आलोचक एडम किनजिंगर ने कहा, “तत्कालीन राष्ट्रपति एक्शन लेने में नाकाम नहीं रहे बल्कि उन्होंने एक्शन न लेने का विकल्प चुना।” बता दें कि इस दंगे में पांच लोगों की मौत हो गई थी।