पीएम नरेंद्र मोदी ने बीते साल सितंबर में  अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में ‘हाउडी मोदी’ इवेंट को संबोधित किया था, जिसमें 50,000 लोग उमड़े थे। अब अमेरिका के ही कई शहरों में उनकी सरकार की ओर से लाए गए संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें टेक्सास प्रांत भी शामिल है, जहां ‘हाउडी मोदी’ का आयोजन हुआ था। बीते महीने में हार्वर्ड से लेकर सैन फ्रांसिस्को तक में इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं, जिनमें पीएम नरेंद्र मोदी को विभाजनकारी राजनीति करने वाला बताया गया है।

पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न का शिकार हुए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने वाले कानून को प्रदर्शनकारी मुस्लिमों और संविधान के खिलाफ बता रहे हैं। अमेरिका में रहने वालीं 50 वर्षीय समाजशास्त्री निधि ने बताया, ‘भले ही अभी संख्या कम है, लेकिन यह सच है कि मोदी सरकार से लोगों का कुछ मोह भंग हुआ है।’

5 साल की उम्र में परिजनों के साथ अमेरिका आईं निधि खुद भी संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन में शामिल थीं। निधि ने कहा कि यदि हम भारतीय मूल के लोग ही इस कानून के खिलाफ नहीं खड़े होते हैं तो यह नैतिक रूप से गलत होगा।

गणतंत्र दिवस पर दूतावास के बाहर विरोध: अमेरिका में संशोधित नागरिकता कानून को लेकर भारतीय दूतावास के बाहर भी गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रदर्शन हुआ था। कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों में छात्र, अकादमिक जगत के विद्वान और अल्पसंख्यक शामिल हैं।

तब मोदी से बेहद खुश थे भारतीय अमेरिकी: गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार पहली बार 2014 में जब बड़े बहुमत के साथ सत्ता में आई थी, तब अमेरिका में बसे भारतीय मूल के लोगों ने स्वागत किया था। उनका कहना था कि पीएम नरेंद्र मोदी भारत को आर्थिक महाशक्ति बना सकते हैं। हालांकि ग्रामीण स्तर पर कमजोर मांग और बैंकिंग सिस्टम के चरमराने की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुजर रही है।