अमेरिका और इजराइल के रिश्तों में इस वक्त जबरदस्त तनाव है। हालात ये हो चुके हैं कि इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने तमाम कैबिनेट मंत्री को साफ आदेश दिया है कि बिना उनकी इजाजत अमेरिका के किसी राजदूत या मंत्री से मुलाकात न करें। मीडिया रपट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच इस तनाव की वजह 29 मार्च को दिया गया अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का एक बयान बना था। तब इजराइल में न्यायिक सुधार बिल के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे।
नेतन्याहू के पीएम बने पांच महीने बाद भी बाइडेन से मुलाकात नहीं
बाइडेन ने मीडिया से बातचीत में कहा था- नेतन्याहू को जिद छोड़कर यह बिल वापस लेना चाहिए। लोकतंत्र की हिफाजत जरूरी है। दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के चारों कारण हैं। नेतन्याहू को पांचवी बार प्रधानमंत्री बने करीब आठ महीने हो चुके हैं। इस दौरान बाइडेन से उनकी एक भी बार मुलाकात नहीं हुई। मीडिया रपट के मुताबिक, डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति बाइडेन को यह पसंद नहीं आया कि नेतन्याहू इजराइल के कट्टरपंथी और अरब विरोधी नेताओं की पार्टियों से अलायंस करें और सरकार बनाएं। यह रवैया नेतन्याहू को गवारा नहीं था।
पंद्रह मार्च को इजराइल की कट्टरपंथी सरकार ने एक बिल पास किया। इसमें 2005 की उस समझौते को रद्द कर दिया गया, जिसमें कहा गया था कि इजराइली फौज वेस्ट बैंक के एक खास हिस्से से हट जाएंगी और वहां फिलिस्तीन का कब्जा होगा। इससे अमेरिका और अरब देश नाराज हो गए। हद तो तब हो गई जब 22 मार्च को अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इस मामले में विरोध जताने के लिए इजराइली राजदूत को तलब कर लिया। यह पहली बार था। इसके बाद न्यायिक सुधार के लिए नेतन्याहू सरकार बिल लाई। हजारों नागरिकों ने सड़कों पर इसका विरोध किया और यह अब भी जारी है।
बाइडेन ने नेतन्याहू से इस बिल को वापस लेने को कहा। नाराज नेतन्याहू ने कहा- ये हमारा अंदरूनी मामला है। इसमें कोई दखलंदाजी न करे। पिछले दिनों इजराइल के विदेश मंत्री रोम में लीबियाई विदेश मंत्री से मिले। खबर इजराइली खेमे ने ही लीक की। इस वजह से लीबियाई विदेश मंत्री को निलंबित कर दिया गया। वो देश छोड़कर भी चली गईं। अमेरिकी राजनायिक ने इसे भरोसा तोड़ने वाली हरकत बताया। रपट के मुताबिक- बाइडेन प्रशासन की नजर में नेतन्याहू सरकार वहां के इतिहास की सबसे कट्टरपंथी सरकार है।
अमेरिका अगर इस पर दबाव डालेगा तो रिश्ते बद से बदतर हो जाएंगे और घाटा अमेरिका का ही होगा। वो एक ताकतवर और भरोसेमंद दोस्त खो देगा। सऊदी अरब के मामले में बाइडेन की गलती उन्हें पहले ही भारी पड़ रही है। सऊदी अब चीन के करीब जाने लगा है। बाइडेन ने न्यायिक सुधार बिल के पास होने पर नेतन्याहू की खुलेआम आलोचना की थी। इजराइली प्रधानमंत्री ने इसे अंदरूनी मामलों में दखलंदाजी बताया था। एक महीने पहले इजराइली संसद ने न्यायिक सुधार से जुड़ा अहम बिल पास किया था।
इस बिल के पास होने के बाद देश की कोई भी अदालत मोटे तौर पर सरकार या किसी मंत्री द्वारा दिए गए आदेश पर रोक नहीं लगा सकेगी। इजराइल में ज्यादातर सरकारें गठबंधन वाली होती हैं। इसकी वजह ये है कि कई छोटी-बड़ी पार्टियां हैं और किसी एक को बहुमत मिलना बहुत मुश्किल होता है। दूसरी बात यह है कि अगर सरकार या कोई मिनिस्टर कोई ऑर्डर जारी करता है तो उन्हें फौरन कोर्ट में चैलेंज कर दिया जाता है और इसकी वजहें सियासी ज्यादा होती हैं।