पंजाब नेशनल बैंक के करीब 13000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के बाद भगोड़े मेहुल चोकसी को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है। बेल्जियम की एक अदालत ने मेहुल चोकसी को करारा झटका दिया है। बेल्जियम की एक अदालत ने फैसला सुनाया है कि भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को प्रत्यर्पण के बाद भारत में निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलने का कोई खतरा नहीं है।

भारत में मेहुल चोकसी को कोई खतरा नहीं- बेल्जियम की अदालत

अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मेहुल चोकसी यातना, अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार का कोई गंभीर खतरा साबित करने में विफल रहा है। कोर्ट ने 29 नवंबर, 2024 को एंटवर्प जिला न्यायालय के पूर्व-परीक्षण कक्ष द्वारा जारी आदेशों में कोई खामी नहीं पाई है, जिसमें चोकसी के प्रत्यर्पण की अनुमति दी गई थी।

जिला न्यायालय ने मुंबई की एक विशेष अदालत द्वारा 23 मई, 2018 और 15 जून, 2021 को जारी गिरफ्तारी वारंट को प्रवर्तनीय करार दिया था, जिसे अपील न्यायालय ने 17 अक्टूबर के अपने आदेश में बरकरार रखा है। सबूतों के गायब होने से संबंधित तीसरा वारंट बेल्जियम की अदालत ने स्वीकार नहीं किया। अपील न्यायालय ने माना है कि मेहुल चोकसी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ उसके इस दावे की पुष्टि नहीं करते कि वह राजनीतिक मुकदमे का विषय है। कोर्ट ने कहा कि यह चोकसी पर निर्भर है कि वह ऐसे ठोस आधार प्रस्तुत करे जिससे यह माना जा सके कि प्रत्यर्पण पर दुर्व्यवहार का वास्तविक जोखिम है।

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मेहुल चोकसी ने तर्क दिया था कि भारत प्रत्यर्पित किए जाने पर उसे निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिल सकती। इसे खारिज करते हुए अपील न्यायालय ने कहा कि उसके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ इस बात को ठोस रूप से सबूत बनाने के लिए अपर्याप्त हैं कि वह व्यक्तिगत रूप से भारत में न्याय से घोर इनकार, यातना या अमानवीय एवं अपमानजनक व्यवहार का वास्तविक, वर्तमान और गंभीर जोखिम का सामना कर रहा है।

कोर्ट ने खारिज किया चोकसी का दावा

मेहुल चोकसी ने ये भी दावा किया कि उसे भारतीय एजेंसियों ने एंटीगुआ और बारबुडा से अगवा किया था और डोमिनिका में प्रताड़ित किया गया था। इसपर भी न्यायालय से समर्थन नहीं मिला। न्यायालय ने कहा कि भगोड़े व्यवसायी द्वारा प्रस्तुत रिकॉर्ड निर्णायक रूप से संकेत नहीं देते कि वह भारतीय अधिकारियों द्वारा आदेशित एंटीगुआ में अपहरण का शिकार था। इंटरपोल फाइलों के नियंत्रण आयोग (CCF) के आदेश (जिसने कथित अपहरण के आधार पर चोकसी के खिलाफ इंटरपोल रेड नोटिस को रद्द करने की अनुमति दी थी) का हवाला बेल्जियम में भगोड़े व्यवसायी ने यह दावा करने के लिए दिया था कि भारत में उसे प्रताड़ित किया जा सकता है।

अपील न्यायालय ने कहा कि CCF का 12 अक्टूबर, 2022 का निर्णय इस मामले पर कोई स्पष्टता प्रदान नहीं करता है और इसे सावधानीपूर्वक और सशर्त रूप से तैयार किया गया है। न्यायालय ने कहा कि चोकसी ने किसी भी ऐसे ठोस दस्तावेज़ का हवाला नहीं दिया जिससे अभियोग कक्ष यह निष्कर्ष निकाल सके कि भारतीय न्यायाधीशों की कथित स्वतंत्रता की कमी के कारण निष्पक्ष सुनवाई के उसके अधिकार के उल्लंघन का वास्तविक जोखिम है।

नीरव मोदी भी जेल में बंद

अदालत के आदेश ने भगोड़े व्यवसायी को एक बड़ा झटका दिया, जो पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में 13,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के सिलसिले में वांछित है। इसे कथित तौर पर उसके भतीजे नीरव मोदी के साथ मिलीभगत से रची गई थी, जो लंदन की एक जेल में बंद है। नीरव मोदी भी प्रत्यर्पण की कार्यवाही का सामना कर रहा है। केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने अपने आरोपपत्र में आरोप लगाया है कि 13,000 करोड़ रुपये में से अकेले चोकसी ने 6,400 करोड़ रुपये की हेराफेरी की है।

इस घटनाक्रम से अवगत अधिकारियों ने बताया कि अपीलीय न्यायालय ने माना है कि भारत के अनुरोध पर बेल्जियम के अधिकारियों द्वारा चोकसी की गिरफ्तारी वैध थी। उन्होंने कहा कि यह आदेश भारत द्वारा चोकसी के प्रत्यर्पण के मामले को पुख्ता मान्यता प्रदान करता है, क्योंकि चोकसी के पास बेल्जियम के सर्वोच्च न्यायालय में इस फैसले के खिलाफ अपील करने का विकल्प है। एक अधिकारी ने कहा, “बेल्जियम में मेहुल चोकसी के खिलाफ चल रही प्रत्यर्पण कार्यवाही में भारत को यह पहली सफलता मिली है।”

अप्रैल से जेल में बंद है मेहुल चोकसी

66 वर्षीय मेहुल चोकसी अप्रैल में अपनी गिरफ्तारी के बाद से एंटवर्प जेल में बंद है। सीबीआई की मदद से बेल्जियम के अभियोजकों द्वारा प्रभावी ढंग से प्रतिवाद किए जाने के बाद उसकी कई जमानत याचिकाएँ खारिज कर दी गई हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “आदेश हमारे पक्ष में आया है। अदालत ने भारत के अनुरोध पर बेल्जियम के अधिकारियों द्वारा की गई उनकी गिरफ्तारी को वैध करार दिया है। उनके प्रत्यर्पण की दिशा में पहला कानूनी कदम अब स्पष्ट हो गया है।”