बांग्लादेश में ‘जुलाई विद्रोह’ के एक नेता और इंकलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद तनाव व्याप्त हो गया है। शरीफ उस्मान हादी की छह दिन तक अस्पताल में जीवन और मौत के बीच संघर्ष के बाद बृहस्पतिवार रात सिंगापुर में मौत हो गयी। हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा में एक हिंदू युवक की भीड़ ने हत्या कर दी।
मयमनसिंह के भालुका में ईशनिंदा के आरोपों पर एक हिंदू युवक की कुछ लोगों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। बीबीसी बांग्ला के अनुसार, भालुका पुलिस स्टेशन के ड्यूटी ऑफिसर रिपन मिया ने बताया कि हत्या के बाद हमलावरों ने युवक के शव को एक पेड़ से बांधकर आग लगा दी। पुलिस के अनुसार, स्थानीय लोगों के एक समूह ने पीड़ित पर पैगंबर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया और रात करीब 9 बजे उस पर हमला कर दिया।
भीड़ ने पीड़ित के शव को एक पेड़ से बांधकर आग लगा दी
अधिकारियों ने बताया कि भीड़ ने पीड़ित दीपू चंद्र दास को पीट-पीटकर मार डाला, उसके शव को एक पेड़ से बांधकर आग लगा दी। पुलिस बाद में मौके पर पहुंची, स्थिति को नियंत्रण में किया और शव को बरामद किया। शव को पोस्टमार्टम के लिए मयमनसिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया है। अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। पुलिस ने बताया कि वे पीड़ित के परिवारवालों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं और औपचारिक शिकायत दर्ज होने के बाद कानूनी कार्यवाही शुरू की जाएगी।
भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई ने की हत्या की निंदा
भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई ने इस हत्या की निंदा करते हुए कहा, “इसी तरह कल रात बांग्लादेश में एक हिंदू, दीपू चंद्र दास को पीट-पीटकर मार डाला गया, फांसी दी गई और जला दिया गया। यह सिर्फ बांग्लादेश में दीपू चंद्र दास का मामला नहीं है; यह हरगोबिंदो दास और चंदन दास का भी मामला है, जिन्हें ममता बनर्जी के शासन में पश्चिम बंगाल में इसी तरह की नियति का सामना करना पड़ा। चाहे पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के शासन में हो या बांग्लादेश में यूनुस के शासन में, उन्हें सिर्फ इसलिए मारा गया क्योंकि वे हिंदू थे।”
बांग्लादेश में हादी की हत्या के बाद प्रदर्शन
उस्मान बिन हादी के निधन की खबर के बाद प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने चटगांव स्थित भारतीय सहायक उच्चायोग के बाहर धरना प्रदर्शन किया। हादी की मौत की घोषणा के बाद ढाका विश्वविद्यालय परिसर के पास शाहबाग चौराहे पर सैकड़ों छात्र और लोग जमा हो गए और ‘‘तुम कौन हो, मैं कौन हूं – हादी, हादी’’ जैसे नारे लगाए। ‘जातीय छात्र शक्ति’ नामक एक छात्र समूह ने ढाका विश्वविद्यालय परिसर में मातमी जुलूस निकाला और प्रदर्शन में शामिल होने के लिए शाहबाग की ओर मार्च किया।
पिछले साल के हिंसक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ (एसएडी) के एक बड़े सहयोगी संगठन नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) ने भी छात्रों के साथ आंदोलन में हिस्सा लिया और भारत विरोधी नारे लगाते हुए आरोप लगाया कि हादी पर हमला करने के बाद हमलावर भारत भाग गए। उन्होंने अंतरिम सरकार से मांग की कि जब तक हमलावरों को वापस नहीं लाया जाता, तब तक भारतीय उच्चायोग को बंद रखा जाए।
छात्र शक्ति ने गृह मामलों के सलाहकार का पुतला फूंका और हादी के हत्यारों को गिरफ्तार करने में उनकी विफलता को लेकर उनके इस्तीफे की मांग की। प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने राजधानी के कारवां बाजार में शाहबाग चौराहे के पास स्थित बांग्ला समाचार पत्र ‘प्रोथोम आलो’ के कार्यालय और पास के ‘डेली स्टार’ अखबार के कार्यालयों पर हमला किया। खबरों के अनुसार, उन्होंने कई मंजिलों में तोड़फोड़ की और भीड़ ने इमारत के सामने आग लगा दी। इस दौरान इमारत में पत्रकार और अखबार के कर्मचारी अंदर ही फंसे रहे। पढ़ें- बांग्लादेश में फिर भड़की हिंसा
(भाषा के इनपुट के साथ)
