पिछले महीने पूर्व पीएम शेख हसीना के देश छोड़कर भागने के बाद बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को सालों की नजरबंदी से रिहा कर दिया गया है। खालिदा की कट्टर दुश्मन मानी जाने वाली हसीना को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया था और प्रदर्शनकारियों ने उनके महल पर हमला कर दिया था। जिसके बाद वे देश छोड़कर भाग गईं थीं और भारत में शरण ली थी, तब से फ़िलहाल वह इंडिया में ही हैं। इस सबके बीच पूर्व पीएम खालिदा को 5 मामलों में बरी कर दिया गया है।

मंगलवार को एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को पांच अलग-अलग मामलों में बरी कर दिया गया है, जिसमें एक “फर्जी जन्मदिन” मनाने का आरोप और दूसरा युद्ध अपराधियों का समर्थन करने का मामला शामिल है।

ढाका ट्रिब्यून अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, ढाका के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट महबुबुल हक की अदालत ने चार मामलों में बरी करने के आदेश जारी किए। वहीं, अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट तोफज्जल हुसैन की अदालत ने मंगलवार को एक मामले में उन्हें बरी कर दिया। प्रतिवादी जिया को वादी के अदालत में पेश नहीं होने के बाद बरी कर दिया गया।

खालिदा जिया के खिलाफ फर्जी जन्मदिन मनाने का मामला

अगस्त 2016 में, एक पत्रकार द्वारा खालिदा जिया के खिलाफ फर्जी जन्मदिन मनाने का मामला दर्ज किया गया था। शिकायत में आरोप लगाया गया कि हालांकि विभिन्न स्रोतों से जिया की पांच अलग-अलग जन्मतिथियां मिलीं लेकिन उनमें से कोई भी 15 अगस्त की नहीं थी। इसमें कहा गया है कि इसके बावजूद, वह 15 अगस्त को अपना जन्मदिन मना रही हैं जो 1996 से बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की हत्या की याद में राष्ट्रीय शोक दिवस है।शिकायत में आरोप लगाया गया कि बीएनपी नेता बंगबंधु और उनके परिवार की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए इस दिन अपना जन्मदिन मनाती हैं।

युद्ध अपराधियों का समर्थन करने के लिए मामला

नवंबर 2016 में, बांग्लादेश जननेत्री परिषद के अध्यक्ष एबी सिद्दीकी द्वारा जिया के खिलाफ कथित रूप से युद्ध अपराधियों का समर्थन करने के लिए मामला दर्ज किया गया था। जनवरी 2017 में सिद्दीकी ने खालिदा जिया पर बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान और अवामी लीग के संबंध में बदनामी का आरोप लगाते हुए मानहानि का मुकदमा दायर किया था।

मामले में जिया द्वारा दिसंबर 2016 में छात्र दल की वर्षगांठ समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में दिए गए भाषण का उल्लेख किया गया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि बंगबंधु रहमान बांग्लादेश की आजादी नहीं चाहते थे बल्कि अविभाजित पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा रखते थे। शिकायत में आरोप लगाया गया कि उनका बयान मानहानिकारक था।

जनवरी 2016 में सिद्दीकी ने मुक्ति संग्राम के पीड़ितों के बारे में अपमानजनक टिप्पणियों के लिए खालिदा जिया और बीएनपी नेता गायेश्वर चंद्र रॉय के खिलाफ मामला दर्ज किया था। नवंबर 2016 में, बीएनपी अध्यक्ष पर सिद्दीकी द्वारा दायर एक अन्य मानहानि और हत्या की धमकी के मामले में आरोप लगाया गया था।

खालिदा ज़िया पिछले 5 सालों से घर में नज़रबंद थीं

खालिदा ज़िया पिछले 5 सालों से घर में नज़रबंद थीं और पिछले महीने राष्ट्रपति द्वारा क्षमादान के बाद एक स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में अस्पताल से अपने घर लौट आईं। 5 अगस्त को उनकी कट्टर प्रतिद्वंद्वी शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के पतन के बाद उन्हें उनके खिलाफ सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था।

शेख हसीना के जाने के बाद विरोध प्रदर्शनों के बीच कैदियों और ज़िया की रिहाई के आदेश जारी किए गए थे। 78 वर्षीय जिया खालिदा को शेख हसीना के शासन के तहत 2018 में भ्रष्टाचार के आरोप में 17 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। जिया खालिदा प्रमुख विपक्षी बांग्लादेश नेशनल पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष हैं। जिया ने मार्च 1991 से मार्च 1996 तक और फिर जून 2001 से अक्टूबर 2006 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था।

दशकों पुराना है खालिदा और हसीना के बीच का झगड़ा

ज़िया खालिदा और शेख हसीना के बीच की दुश्मनी को बांग्लादेश में “बेगमों की लड़ाई” के रूप में जाना जाता है, जहां ‘बेगम’ शक्तिशाली महिलाओं के लिए दक्षिण एशिया में एक मुस्लिम सम्मान है। उनके झगड़े की जड़ें 1975 के सैन्य तख्तापलट में शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक नेता शेख मुजीबुर रहमान – उनकी मां, तीन भाइयों और कई अन्य रिश्तेदारों की हत्या में हैं।