बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान 1971 में युद्ध अपराधों में संलिप्तता को इस्लामाबाद द्वारा नकारे जाने के बाद नागरिक समाज और मुख्यधारा के मीडिया में गुस्सा भड़क उठा और उन्होंने सरकार से पाकिस्तान के साथ संबंध तोड़ने की आज मांग की। मुक्ति संग्राम के दौरान किए गए युद्ध अपराधों के लिए पिछले हफ्ते विपक्ष के एक बड़े नेता को फांसी की सजा दिए जाने के बाद दोनों देशों के बीच वाक्युद्ध छिड़ गया है। सोमवार को पाकिस्तान ने युद्ध अपराधों में अपनी किसी तरह की संलिप्तता से इनकार किया था और युद्ध अपराधियों को फांसी की सजा दिए जाने पर गहरी चिंता के साथ रोष जताया था।

ढाका विश्वविद्यालय के कुलपति एएएमएस आरेफीन सिद्दीकी ने पाकिस्तान की इस कार्रवाई को आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करार देकर इसका विरोध किया था। गौरतलब है कि बांग्लादेश में इस समय एक महीने का उत्सव चल रहा है और 16 दिसंबर को बांग्लादेश में विजय दिवस की 44वीं वर्षगांठ मनाई जानी है। सिद्दीकी ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि युद्ध अपराधियों पर चल रहे मुकदमे पर पाकिस्तान की टिप्पणी हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है।

पाकिस्तान के इस बयान के बाद सरकार को उसके साथ तब तक कोई राजनयिक संबंध नहीं रखने चाहिए जब तक कि वह बिना शर्त माफी नहीं मांग लेता। इसके अतिरिक्त पाकिस्तान की इस टिप्पणी के चलते स्थानीय मीडिया ने भी अपना रोष जताया।