उरी आतंकी हमले और भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से ही भारत पाकिस्तान को कूटनीतिक और आर्थिक तौर पर दुनिया में अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है। इस दिशा में भारत की पहली बड़ी सफलता तब मिली थी जब भारतके बहिष्कार के बाद दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) के कई देशों ने संगठन के पाकिस्तान में होने वाले सालाना सम्मेलन में जाने से इनकार कर दिया। अब पाकिस्तान के खिलाफ भारत को एक और बड़ी जीत मिली है। एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में बांध बनाने के लिए पाकिस्तान को 14 अरब डॉलर का कर्ज देने से इनकार कर दिया है। दो साल पहले विश्व बैंक ने भी पाकिस्तान की पनबिजली परियोजना के लिए पैसे देने से इनकार कर दिया था क्योंकि भारत इस परियोजना के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) नहीं दिया था। भारत ने विश्व बैंक से कहा कि पीओके की इस परियोजना को फंड नहीं देना चाहिए।
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दियामेर-भाशा बांध पाकिस्तान सरकार के लिए गिलगित-बाल्टीस्तीन इलाके में प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है। इस बांध की योजना 2009-10 में बनाई गई थी। भारत की तत्कालीन यूपीए सरकार ने उसी समय पाकिस्तान की तत्कालीन आसिफ जरदारी सरकार से इस पर आपत्ति जताई थी। भारत की आपत्ति के बावजूद पाकिस्तान ने इस योजना को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। जवाब में भारत ने फंड उपबल्ध कराने वाली विश्व बैंक और एशियन बैंक जैसी संस्थाओं में अपनी आपत्ति दर्ज कराई। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अक्टूबर 2014 में अमेरिका के साथ ये मुद्दा उठाते हुए कहा कि अमेरिकी संस्था यूएसएड को पीओके में इस परियोजना के लिए पैसा नहीं देना चाहिए।
भारत पीओके में पाकिस्तान किसी भी परियोजना का विरोध करता रहा है क्योंकि पीओके भारत का हिस्सा है जिस पर पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है। मोदी सरकार इस मुद्दे को लेकर काफी मुखर रही है। एडीबी विवादित क्षेत्रों में प्रस्तावित परियोजनाओं को फंड उपलब्ध कराने में काफी एहतियात बरतता है। ऐसी हर परियोजना पर अलग से विचार किया जाता है। अरुणाचल प्रदेश में भारत की एक प्रस्तावित परियोजना को एडीबी ने चीन ने कड़े प्रतिरोध के बावजूद फंड देने का निर्णय लिया था।
एडीबी के अध्यक्ष ताकेहिको नाकाओ इसी हफ्ते पाकिस्तान की यात्रा पर थे। माना जा रहा है कि उन्होंने पाकिस्तानी सरकार से कहा है कि ये परियोजना काफी जोखिम भरी है और इसके लिए वो बड़ी धनराशि नहीं दे सकते। दूसरी तरफ पाकिस्तान सरकार ने यूएसएड से इस परियोजना को फंड देने की पुनर्विचार करने को कहा है जबकि भारत यूएसएड इसमें शामिल हो। इस मसले पर अमेरिकी सरकार ने अभी तक कोई आधिकारिक रुख नहीं जाहिर किया है।
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