New Canada Foreign Minister, Anita Anand: अनीता आनंद बुधवार को कनाडा की नई विदेश मंत्री की शपथ लेने वाली पहली हिंदू महिला बन गई हैं। लिबरल सांसद ने 2019 में पॉलिटिक्स में एंट्री करने के बाद में कई अहम भूमिकाएं निभाई हैं। मार्क कार्नी की नई सरकार के तहत विदेश मंत्री के तौर पर भारतीय मूल की सांसद की नियुक्ति कनाडा और भारत के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच हुई है। आइए अब विस्तार से जानते हैं अनीता आनंद का भारत कनेक्शन।
अनीता आनंद का जन्म 1967 में कनाडा के पूर्वी तट पर मौजूद नोवा स्कोटिया प्रांत के केंटविले में भारतीय माता-पिता के घर हुआ था। उनके पिता तमिलनाडु से थे और उनकी मां पंजाब के जंडियाला गुरु से थीं। यह अमृतसर के बाहर एक शहर है। बताया जाता है कि वे 1950 के दशक में आयरलैंड में मिले थे, इंग्लैंड में शादी की और 1965 में कनाडा जाने से पहले नाइजीरिया और भारत में रहे।
आनंद हिंदू और सिख कार्यक्रमों में ज्यादा से ज्याद हिस्सा लेती हैं। इतना ही नहीं दिवाली की पार्टियां भी आयोजित करती हैं। उन्होंने एक बार संसद में कहा था, ‘मैं एक कनाडाई हूं और मुझे अपनी पंजाबी और तमिल विरासत पर बहुत गर्व है।’ पिछले साल अप्रैल में उन्होंने द ग्लोब एंड मेल से कहा, ‘यह तथ्य कि मुझे नस्लीय तौर देखा गया था, कभी भी मेरी चेतना से नहीं गया। मेरे स्कूल में मेरे और मेरी बहनों जैसे दिखने वाले बहुत कम लोग थे।’
अनीता आनंद का पॉलिटिकल करियर
अनीता आनंद ने क्वीन्स यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड से दो बैचलर ऑफ आर्ट्स की डिग्री हासिल की है। उन्होंने डलहौजी यूनिवर्सिटी से लॉ में ग्रेजुएशन और टोरंटो यूनिवर्सिटी से इस विषय में मास्टर डिग्री भी हासिल की है। उन्होंने 2019 तक अपने शैक्षणिक करियर में यूनिवर्सिटी में भी कई खास भूमिकाएं निभाई हैं। 2019 में वह कनाडा की संसद की सदस्य बनने वाली पहली हिंदू महिला बनीं और कैबिनेट मंत्री बनने वाली पहली हिंदू बनीं।
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उस समय से उन्होंने कई पदों पर जनता की सेवा की है। 2021 में वह कनाडा की रक्षा मंत्री बनने वाली दूसरी महिला बनीं। उन्होंने जुलाई 2023 तक उस पद को संभाला। वह जुलाई 2023 से दिसंबर 2024 तक ट्रेजरी बोर्ड सचिवालय की अध्यक्ष थीं। इसके बाद उन्होंने ट्रांसपोर्ट और इंटरनल ट्रेड मिनिस्टर के तौर पर काम किया।
भारत-कनाडा के संबंध पर अनीता का प्रभाव
पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में कनाडा के साथ भारत के संबंध खराब हो गए थे। यह हालात उस समय और भी ज्यादा बिगड़ गए जब पिछले साल अक्टूबर में दोनों देशों ने एक-दूसरे के देशों के राजदूतों को निष्कासित कर दिया। ट्रूडो द्वारा आरोप लगाए जाने के एक दिन बाद संसद में बोलते हुए आनंद ने एकता और कानून-व्यवस्था को बनाए रखने की जरूरत पर बल दिया। आनंद ने कहा कि वह ट्रूडो के साथ इस बात पर सहमत हैं कि सभी कनाडाई लोगों की सुरक्षा के लिए एजेंसियों को अपना काम करने देना चाहिए।
उन्होंने कनाडा की इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी का बचाव करते हुए इसे सही बताया। भारत सरकार द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद कि कनाडा सिख आतंकवाद के मामले में बहुत नरम है। कनाडा ने जापान और दक्षिण कोरिया के साथ मजबूत संबंध बनाने और चीन के मुकाबले भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के लिए पूर्व विदेश मंत्री मेलानी जोली के नेतृत्व में 2022 में इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी शुरू की थी।
हिंदू मंदिरों पर हमलों की भी कड़ी निंदा की
हाल ही में 5 मई को भारत ने टोरंटो में आयोजित एक परेड में भारतीय नेताओं और नागरिकों को निशाना बनाकर की गई धमकी भरी भाषा पर कनाडा के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया। भारतीय अधिकारियों ने कथित तौर पर अपने कनाडाई समकक्षों से घृणा फैलाने वालों के खिलाफ सख्ती से निपटने के लिए कहा था। अपने पिछले बयानों में आनंद ने भारतीय हस्तियों और हिंदू मंदिरों पर बर्बरता की घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाई है। जून 2024 में उन्होंने कनाडा के ब्रैम्पटन में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की विवादास्पद झांकी की निंदा की।
विदेश मंत्री के तौर पर उनकी नियुक्ति को लेकर भारत में काफी उत्सुकता थी, क्योंकि कई लोगों को उम्मीद है कि नई सरकार के तहत द्विपक्षीय संबंध बेहतर होंगे। इस साल मार्च में कार्नी ने कहा था कि भारत के साथ संबंधों को फिर से बनाने के मौके हैं। गीता पर हाथ रखकर ली शपथ