अमेरिका ने भारत से निर्यात होने वाले कई उत्पादों पर सात अगस्त से 25 फीसदी टैरिफ लागू कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि 27 अगस्त से टैरिफ की दर 50 फीसदी हो जाएगी। ट्रंप टैरिफ के नाम से कुख्यात हो चुके इन घोषणाओं से पहले भारत द्वारा निर्यात किए जाने वाले इन उत्पादों पर शून्य से 15 फीसदी तक वाणिज्य कर (टैरिफ) लगता था। हालांकि अब अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) ने कहा है कि ट्रंप के 50 फीसदी टैरिफ का असर भारत पर ना के बराबर पड़ने वाला है।

S&P Global Ratings का दावा

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) के डायरेक्टर यीफार्न फुआ ने बुधवार को कहा कि भारत की सीमित व्यापार ओरिएंटेड ट्रेड स्ट्रक्चर को देखते हुए ट्रंप के टैरिफ से भारत की वृद्धि प्रभावित नहीं रहेगी, जबकि उसकी सॉवरेन रेटिंग का दृष्टिकोण सकारात्मक बना रहेगा। पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी टैरिफ के संभावित जोखिमों के बारे में पूछे जाने पर यीफार्न ने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर रहेगी। उन्होंने कहा कि अमेरिका को निर्यात जीडीपी का मात्र 2% है, जो न्यूनतम व्यापार निर्भरता को दर्शाता है।

पीटीआई के अनुसार S&P Global Ratings के डायरेक्टर यीफार्न ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि भारत पर लगाए गए टैरिफ का आर्थिक विकास पर कोई असर पड़ेगा, क्योंकि भारत बहुत ज़्यादा व्यापार-केंद्रित अर्थव्यवस्था नहीं है। अगर आप जीडीपी के मुकाबले निर्यात के लिहाज़ से भारत के अमेरिका से संबंध को देखें, तो यह लगभग 2% ही है।”

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6.5% रहेगी जीडीपी

एसएंडपी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5% पर स्थिर रहेगी, जो पिछले वित्त वर्ष के प्रदर्शन के बराबर है। यीफार्न ने बताया कि अमेरिका को निर्यात करने वाले महत्वपूर्ण क्षेत्र (जिनमें दवाइयां और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं) ट्रंप के टैरिफ से प्रभावित नहीं रहेंगे।

एशिया-प्रशांत सॉवरेन रेटिंग्स पर ने कहा, “लंबी अवधि में हमें नहीं लगता कि इससे (हाई टैरिफ) भारत की अर्थव्यवस्था पर कोई बड़ा असर पड़ेगा और इसलिए भारत के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बना हुआ है। भारत के व्यवसायों ने हाल के वर्षों में ‘चीन प्लस वन’ रणनीति अपनाई है और मुख्य रूप से स्थानीय बाजार की सुविधा के लिए भारत में परिचालन स्थापित किया है।”

यीफार्न ने कहा, “कई (व्यवसाय) वहां इसलिए नहीं जा रहे हैं क्योंकि वे केवल अमेरिका को निर्यात करना चाहते हैं। उनमें से कई बड़े घरेलू बाजार के कारण भी वहाँ जा रहे हैं। एक उभरता हुआ मध्यम वर्ग बड़ा हो रहा है। इसलिए जो लोग भारत में अधिक निवेश करना चाहते हैं और निर्यात करना चाहते हैं, उनके लिए भी यह जरूरी नहीं कि अमेरिकी बाजार ही हो।”

क्या है ट्रेड की स्थिति?

2021-25 में अमेरिका भारत का प्रमुख व्यापारिक साझेदार बनकर उभरा। अमेरिका का भारत के कुल निर्यात में लगभग 18% का योगदान था, जबकि आयात में 6.22% और द्विपक्षीय व्यापार में 10.73% का योगदान था। 2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार कुल 186 अरब डॉलर रहा। इस दौरान भारत का अमेरिका को निर्यात 86.5 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात 45.3 अरब डॉलर का रहा।