अमेरिका और रुस के बीच इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेस संधि समाप्त हो गई है। जिसके बाद दोनों देशों के बीच हथियारों की होड़ फिर से शुरू होने के आसार हैं। अमेरिका ने एक बयान में एशिया-प्रशांत इलाके में इंटरमीडिएट-रेंज मिसाइलें तैनात करने का ऐलान किया है। अमेरिका के रक्षा सचिव मार्क एस्पर ने एक बयान में कहा है कि अमेरिका जल्द ही या कुछ दिनों बाद एशिया प्रशांत के इलाके में मिसाइलों की तैनाती पर विचार कर रहा है। अब चीन ने उस पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। चीन ने मंगलवार को अमेरिका के ऐलान पर कहा है कि यदि अमेरिका ऐसा करता है तो हम भी उसका मुंहतोड़ जवाब देंगे।

चीन के विदेश मंत्रालय के आर्म्स कंट्रोल डिपार्टमेंट के निदेशक फू कॉन्ग ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि यदि अमेरिका एशिया प्रशांत इलाके में इंटरमीडिएट रेंज की मिसाइलें तैनात करता है तो हम भी मूकदर्शक बनें नहीं रहेंगे और इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे।

फू कॉन्ग ने कहा कि अमेरिका के इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेस संधि से बाहर होने का वैश्विक रणनीति पर बुरा असर पड़ेगा। इसके साथ ही इससे यूरोप और एशिया प्रशांत इलाके की सुरक्षा पर भी बड़ा असर पड़ेगा। चीनी अधिकारी ने इसके साथ ही अन्य देशों खासकर दक्षिण कोरिया, जापान और ऑस्ट्रेलिया को भी ‘विवेक का इस्तेमाल’ करने की सलाह दी और कहा कि ये देश अमेरिका को अपनी सीमा में मिसाइलों की तैनाती ना करने दें, क्योंकि ऐसा करना इन देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में नहीं होगा।

फू कॉन्ग ने यह भी कहा कि चीन फिलहाल परमाणु हथियारों की कमी करने का इच्छुक नहीं है। अमेरिका और रुस के परमाणु हथियारों की ओर इशारा करते हुए फू कॉन्ग ने कहा कि दोनों देशों के पास परमाणु हथियारों का बड़ा जखीरा है, जिसकी तुलना में चीन के पास काफी कम परमाणु हथियार हैं।

बता दें कि अमेरिका और रुस के बीच शीतयुद्ध के समय में साल 1987 में इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेस संधि हुई थी। इस संधि के तहत दोनों देश 500 से 5,500 किलोमीटर रेंज की कन्वेंशनल और न्यूक्लियर मिसाइल का इस्तेमाल नहीं करने पर सहमत हुए थे। अब अमेरिका ने खुद को इस संधि से बाहर कर लिया है। वहीं रुस ने भी कहा है कि यदि अमेरिका मिसाइलों की तैनाती करता है तो फिर उसे भी इस पर विचार करना होगा।