अमेरिका के सर्वाधिक शक्तिशाली नगर परिषदों में से एक सिएटल नगर परिषद ने भारत में हाल में लागू संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की निंदा करने वाला एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया। शहर परिषद की भारतीय अमेरिकी सदस्य क्षमा सावंत द्वारा पेश प्रस्ताव में कहा गया कि प्रस्ताव भारत की संसद से सीएए को निरस्त करके भारतीय संविधान को बरकरार रखने, राष्ट्रीय नागरिक पंजी को रोकने और शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न संधियों में सुधार करके आव्रजकों की सहायता करने की अपील करता है।
भारतीय अमेरिका मुस्लिम काउंसिल के अध्यक्ष एहसान खान ने कहा, ‘‘बहुलतावाद और धार्मिक स्वतंत्रता को कमतर करने की इच्छा रखने वालों के लिए सीएए की निंदा करने का सिएटल शहर का निर्णय एक संदेश होना चाहिए। वे घृणा और कट्टरता फैलाकर यह उम्मीद नहीं कर सकते कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे स्वीकार किया जाएगा।’’ प्रस्ताव के पक्ष में समुदाय को लाने वाली थेनमोझी सुंदरराजन ने कहा,‘‘ आज इतिहास के सही पक्ष में खड़े होने के लिए हमें सिएटल नगर परिषद पर गर्व है। सीएए के खिलाफ वैश्विक प्रतिक्रिया में सिएटल आगे है।’’
इससे पहले एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अमेरिकी सांसदों से कहा था कि हाल ही में लागू हुआ संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) भारत के संविधान तथा अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का ‘‘स्पष्ट उल्लंघन’’ है तथा यह धर्म के आधार पर ‘‘भेदभाव को वैध बनाता है।’’ भारतीय संसद द्वारा दिसंबर 2019 में पारित नये नागरिकता कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान के सताए गए गैर मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के एशिया प्रशांत एडवोकेसी मैनेजर फ्रांसिस्को बेनकोस्मे ने अफ्रीका, वैश्विक स्वास्थ्य, वैश्विक मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों पर सदन की विदेश मामलों की उपसमिति के समक्ष गवाही के दौरान ये टिप्पणियां की थी।
बेनकोस्मे ने कहा था, ‘‘भारतीय संसद ने संशोधित नागरिकता कानून पारित किया जो धर्म के आधार पर भेदभाव को वैध बनाता है और भारत के तथा अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है।’’ वहीं, भारत का कहना है कि सीएए पर कानून को उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद लागू किया गया है।