अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 फ़ीसदी टैरिफ लगाया है। 25 फीसदी टैरिफ पहले लगाया था और उसके बाद रूस से कच्चे तेल के आयात को लेकर 25 फ़ीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया। लेकिन एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि यूक्रेन में युद्ध से खुद अमेरिका को भी भारी फायदा हुआ है। थिंक टैंक ऑब्ज़र्वर रिसर्च फ़ाउंडेशन (ORF) के अनुसार यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से अमेरिका के डिफेंस नेटवर्क की कमाई में बड़ी वृद्धि देखी गई है। वर्तमान में यूक्रेन के कुल हथियार खरीद का 45 फीसदी अमेरिका बेच रहा है।

वैश्विक रक्षा खर्च 2024 में 9.4 प्रतिशत बढ़ा

रिपोर्ट में कहा गया है, “वैश्विक रक्षा खर्च 2024 में 9.4 प्रतिशत बढ़कर 2.72 ट्रिलियन डॉलर हो गया, जो कोल्ड वॉर की समाप्ति के बाद से सबसे तेज वार्षिक वृद्धि है। इसका मुख्य कारण यूक्रेन संघर्ष है। यूक्रेन संघर्ष में, अमेरिका ने अपने रक्षा-औद्योगिक आधार (DIB) का उपयोग युद्ध प्रयासों में सहायता के लिए करने की कोशिश की है। इसके लिए उसने यूक्रेनी सशस्त्र बलों (UAF) को घरेलू स्तर पर उत्पादित हथियार, युद्ध सामग्री और अन्य सैन्य उपकरण प्रदान किए हैं। साथ ही अमेरिका और सहयोगी देशों के भंडार को भी बढ़ाया है।”

रिपोर्ट के अनुसार जो बाइडेन के प्रशासन में शुरू हुआ मुनाफ़ा ट्रंप के कार्यकाल में भी जारी रहा। 2020 से 2024 के बीच यूक्रेन दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक बन गया, जिसकी वैश्विक आयात में 8.8 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जो 2015-19 में केवल 0.1 प्रतिशत थी। यानी इस दौरान आयात में 9,627 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस दौरान अमेरिका ने यूक्रेन को 45 प्रतिशत हथियार बेचे, जो इस अवधि के दौरान अमेरिका के कुल हथियार निर्यात का 9.3 प्रतिशत था। 2023 और 2024 में यूक्रेन हथियार खरीदने के मामले में पहले स्थान पर रहा। रिपोर्ट में पाया गया कि 2024 के बाद से और 2025 में तेज़ी से, अमेरिका ने आपूर्ति को प्रत्यक्ष सहायता से बिक्री की ओर ट्रांसफर करना शुरू कर दिया।

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यूक्रेन को हथियार बेच रहा अमेरिका

रिपोर्ट के अनुसार, “अगस्त 2025 में अमेरिका ने यूक्रेन को 3,350 विस्तारित रेंज अटैक म्यूनिशन (ERAM) मिसाइलों और संबंधित उपकरणों की 825 मिलियन डॉलर की बिक्री को मंज़ूरी दी। इन बिक्री के लिए फंड नाटो सहयोगियों (डेनमार्क, नॉर्वे, नीदरलैंड) और अमेरिकी विदेशी सैन्य वित्तपोषण (FMF) कार्यक्रमों से आता है, जो एक प्रकार का लोन है। इसमें पुनर्भुगतान शामिल हो सकता है, लेकिन ये बिक्री ही हैं।”

नाटो महासचिव मार्क रूट और ट्रंप के बीच 14 जुलाई, 2025 को हुई बैठक में संपन्न हुए समझौते के तहत यूक्रेन को इसमें भाग लेने वाले देशों को लगभग 500 मिलियन डॉलर के किश्तों या पैकेजों के लिए धन मुहैया कराना होगा। इस माध्यम से यूक्रेन को लगभग 2 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता जताई जा चुकी है। 4 अगस्त को तोपखाने और गोला-बारूद के पहले पैकेज की घोषणा की गई, जिसका मूल्य 500 मिलियन डॉलर से अधिक था और जिसका फंड नीदरलैंड द्वारा किया गया।

नाटो को भी फायदा

5 अगस्त को डेनमार्क, नॉर्वे और स्वीडन ने संयुक्त रूप से उपकरणों और गोला-बारूद के लिए 500 मिलियन डॉलर देने का वादा किया। 13 अगस्त को जर्मनी ने घोषणा की कि वह 500 मिलियन डॉलर के PURL पैकेज के लिए धन मुहैया कराएगा और 24 अगस्त को कनाडा ने यूक्रेन के लिए 500 मिलियन डॉलर के PURL पैकेज के लिए धन मुहैया कराने की घोषणा की। इसके अलावा हेग में 2025 के नाटो शिखर सम्मेलन में, सदस्य देशों ने 2035 तक वार्षिक रक्षा और सुरक्षा खर्च को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5 प्रतिशत तक बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई।

रिपोर्ट में कहा गया है, “यह 2 प्रतिशत के लक्ष्य से 150 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है, जिस पर 2006 में नाटो रक्षा मंत्रियों द्वारा पहली बार सहमति व्यक्त की गई थी और क्रीमिया संकट के बाद 2014 में राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों द्वारा इसकी पुष्टि की गई थी। 2020-24 में नाटो सहयोगियों के हथियारों के आयात में अमेरिका की हिस्सेदारी 64 प्रतिशत थी, जो 2015-19 में 52 प्रतिशत थी, जिसका मुख्य कारण यूक्रेन संकट था।” यह भी पाया गया कि वैश्विक हथियार निर्यात में अमेरिकी हिस्सेदारी 2014-19 के 35 प्रतिशत से 21 प्रतिशत बढ़कर 2020-24 में 43 प्रतिशत हो गई।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “2024 में विदेशी सैन्य बिक्री (FMS) प्रणाली के तहत हस्तांतरित रक्षा वस्तुओं, सेवाओं और सुरक्षा सहयोग गतिविधियों का कुल मूल्य 117.9 बिलियन डॉलर था, जो 2023 के 80.9 बिलियन डॉलर से 45.7 प्रतिशत अधिक है। इसी अवधि में डायरेक्ट कमर्शियल सेल 157.5 बिलियन डॉलर से बढ़कर 200.8 बिलियन डॉलर हो गई, जो 27.6 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। 100,000 से अधिक कंपनियों के अमेरिकी रक्षा औद्योगिक आधार के भीतर, पांच प्रमुख ठेकेदारों (लॉकहीड मार्टिन, आरटीएक्स, जनरल डायनेमिक्स, नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन और बोइंग) ने पेंटागन के सभी अनुबंधों में से एक-तिहाई से अधिक हासिल किए।”