अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक चार्ली कर्क (31) की बुधवार को एक कार्यक्रम में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कर्क टर्निंग प्वाइंट यूएसए (Turning Point USA) के संस्थापक थे और इमिग्रेशन, गर्भपात, हथियार रखने के अधिकार और नस्ल जैसे मुद्दों पर उनके विचार काफी आक्रामक थे। मौत के बाद कर्क की भारत विरोधी टिप्पणी सामने आई है।

कर्क ने पिछले हफ्ते अमेरिका में काम कर रहे भारतीय पेशेवरों के बारे में X पर पोस्ट की थी।

कर्क ने लिखा था, ‘अमेरिका को भारत को और वीजा देने की जरूरत नहीं है… बस, अब बहुत हुआ। हम भर चुके हैं। अब हमें अपने लोगों को प्राथमिकता देनी चाहिए।’ कर्क का यह बयान Fox News की पत्रकार लौरा इन्ग्राहम की एक पोस्ट के जवाब में आया था। 

H-1B वीजा प्रणाली की आलोचना

कर्क की यह टिप्पणी अमेरिका में H-1B वीजा प्रणाली को लेकर लगातार बढ़ रही आलोचना से जुड़ी थी। दक्षिणपंथी कार्यकर्ता लॉरा लूमर ने तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अपील की है कि वह भारतीय कॉल सेंटर्स को आउटसोर्सिंग पर रोक लगाने पर विचार करें। उन्होंने 5 सितंबर को X पर लिखा था, ‘अब आपको अंग्रेजी के लिए 2 दबाने की ज़रूरत नहीं है। कॉल सेंटर्स को फिर से अमेरिकी बनाएं।’

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हॉवर्ड लुटनिक ने बताया था H-1B वीजा कार्यक्रम को घोटाला

अमेरिकी कॉमर्स मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने हाल ही में H-1B वीजा कार्यक्रम को घोटाला बताया था। लुटनिक ने कहा था कि अमेरिकी कर्मचारियों को नियुक्त करना सभी बड़े अमेरिकी व्यवसायों की प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने बड़े सुधारों का संकेत दिया था जिसके बाद यह चिंता सामने आई थी कि इसका भारतीय पेशेवरों पर व्यापक असर पड़ सकता है क्योंकि H-1B वीजा पर बड़ी संख्या में भारतीय ही वहां काम कर रहे हैं।

क्या कहती है अमेरिकन इमिग्रेशन काउंसिल की रिपोर्ट?

अमेरिकन इमिग्रेशन काउंसिल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रवासी और स्थानीय प्रोफेशनल अक्सर एक-दूसरे के पूरक होते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय H-1B वीजा धारक सिलिकॉन वैली और स्वास्थ्य क्षेत्र में अहम भूमिका निभाते हैं। वे हर साल टैक्स के रूप में अरबों डॉलर चुकाते हैं और अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं।

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