संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में, सीरियाई शहर अलेप्पो से लोगों को सुरक्षित निकाले जाने की निगरानी करने और और नागरिकों की सुरक्षा के संबंध में रिपोर्ट देने के लिए पर्यवेक्षकों को वहां भेजने के फ्रांस के प्रस्ताव पर आज मतदान होगा। रूस ने लोगों को सुरक्षित निकाले जाने की निगरानी करने और और नागरिकों की सुरक्षा के संबंध में रिपोर्ट देने के लिए पर्यवेक्षकों को अलेप्पो भेजने के संबंध में फ्रांस के पहले प्रस्ताव के खिलाफ अपने वीटो के अधिकार के इस्तेमाल करने की धमकी दी थी। बहरहाल, कल करीब चार घंटे तक चले विचार-विमर्श के बाद एक नए निकासी समझौते पर सहमति बन गई। रूस के राजदूत विताली चुरकिन ने संवाददाताओं को बताया कि कुछ घंटे तक हुआ विचारविमर्श बहुत सार्थक रहा और मुझे लगता है कि हमें इसके नतीजे भी अच्छे मिले हैं । ’ फ्रांसीसी राजदूत फ्रांस्वा देलात्रे ने घोषणा की कि परिषद में ‘आपसी सहमति’ बन गई है जबकि अमेरिकी राजदूत सामन्था पावर ने सुबह नौ बजे (स्थानीय समयानुसार) परिषद के सभी सदस्यों के ‘सर्वसम्मति’ से मत डालने की उम्मीद जताई है।
पूर्व में मतदान कल किया जाना था लेकिन संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के अलेप्पो भेजे जाने के संबंध में अंतिम मसौदा तैयार करने के लिए रूस के प्रतिनिधिमंडल को मॉस्को के साथ विचार-विमर्श करने का समय दिए जाने के बाद इसे एक दिन की खातिर टाल दिया गया ।

गौरतलब है कि अलेप्पो में विद्रोहियों के आखिरी गढ़ वाले इलाकों में रविवार (18 दिसंबर) को दर्जनों बसों ने प्रवेश करना शुरू कर दिया, ताकि हजारों सीरियाई नागरिकों और विद्रोहियों को निकाला जा सके। इस निकासी अभियान को शुक्रवार को स्थगित कर दिया था। इसके एक दिन पहले लोगों का एक काफिला विद्रोहियों के सेक्टरी से रवाना हुआ था। यह एक समझौते के तहत हुआ था जो शासन को युद्धग्रस्त शहर का पूरा कब्जा लेने की इजाजत देता है। सरकारी समाचार एजेंसी सना ने विद्रोहियों के हवाले से बताया है कि बसें आज कई इलाकों में प्रवेश करना शुरू कर गईं। ये रेड क्रीसेंट और इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस की निगरानी में प्रवेश कर रही हैं ताकि शेष चरमपंथियों और उनके परिवारों को बाहर लाया जा सके। एक सैन्य सूत्र ने पुष्टि की है कि एक नया निकासी समझौता हुआ है। सरकारी टेलीविजन ने कहा है कि 100 बसें अलेप्पो से लोगों को बाहर ले जाएगी। निकाले जाने की कार्रवाई बहाल होने में मुख्य बाधा दो शिया गांवों से निकाले जाने वाले लोगों की संख्या को लेकर मतभेद थे। लोगों को निकालने पर असहमति का होना था। येगांव उत्तर पश्चिम सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे में हैं।