कोरोनावायरस की वैक्सीन लॉन्च होने के बाद से ही अलग-अलग देश टीका खरीदने में जुटे हैं। जहां ज्यादातर अमीर देश बड़ी कंपनियों से करोड़ो वैक्सीन डोज का समझौता कर चुके हैं, वहीं गरीब देशों को अब भी टीका जुटाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। अमीर और गरीब देशों के बीच असमानता की इस बड़ी खाई पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के निदेशक टेडरोस अदनहोम ग्रेब्रेहेसुस तक ने भारी चिंता जता चुके हैं। अब दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सायरिल रामफोसा ने भी इसे भेदभाव के मसले को उठाया है।

रामफोसा ने कहा है कि अमीर देश कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के टीके की जमाखोरी कर रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा, “दुनिया के अमीर देशों ने उत्पादकों से बड़ी मात्रा में टीके की खुराकें ले ली हैं और कुछ देशों ने तो अपनी जनसंख्या की जरूरत से चार गुना ज्यादा मात्रा में टीके लिए हैं।”

राष्ट्रपति ने कहा, “चार करोड़ की जनसंख्या वाले किसी देश को टीके की 12 करोड़ या 16 करोड़ खुराकों की जरूरत नहीं है।” रामफोसा ने विश्व आर्थिक मंच दावोस वार्ता में कहा, “हम यह कहना चाहते हैं कि आपने टीके की जो अतिरिक्त मात्रा जमा कर ली हैं उसे जारी कीजिए।”

उन्होंने कहा कि यदि कुछ देश अपने लोगों का टीकाकरण कर रहे हैं और कुछ नहीं कर पा रहे हैं, तो हम सभी सुरक्षित नहीं हैं। रामफोसा ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा ‘कोवैक्स’ प्रतिष्ठान की स्थापना करने की सराहना की। उन्होंने कहा कि इससे टीके का समान रूप से वितरण हो सकेगा।

भारत पर निर्भर हैं दुनियाभर के कई देश: इससे पहले भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सूचित किया था कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की कोवैक्स पहल को धीरे-धीरे टीके की आपूर्ति करेगा और विभिन्न देशों को अनुबंध के आधार पर चरणबद्ध तरीके से टीके की आपूर्ति करेगा। नयी दिल्ली ने “टीका कूटनीति“ के जरिए नौ देशों को टीके की 60 लाख से ज्यादा खुराकें भेजी हैं।