इंसाफ में देरी के मामले भारत ही दुनिया के अन्य देशों में भी भारी तादाद में सामने आते हैं। अब ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला बांग्लादेश में सामने आया है। यहां करीब 27 साल जेल में जिंदगी गुजार चुके मुफिजुर रहमान को सभी आरोपों से हाई कोर्ट ने बरी कर दिया। इस मामले में निर्दोष साबित हुए अन्य शख्स की जेल में ही मौत हो चुकी है। दरअसल दो लोगों को शारशा पुलिस ने साल 1986 में गिरफ्तार किया था। तब बांग्लादेश राइफल्स के लांस नायिक आमिर अली ने दोनों के खिलाफ भारत से जानवरों की अवैध तस्करी के आरोप केस दर्ज किया। स्थानीय कोर्ट ने उसी साल मामले की सुनवाई करते हुए मुफिजुर और कादिर को पांच साल की कारावास की सजा सुनाई। बाद में दोनों अभियुक्तों ने साल 1987 में हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की।

हालांकि किसी तरह की रियायत ना मिलने पर दोनों सजा पूरी कर साल 1991 में जेल से बाहर आ गए, लेकिन दोनों की मुश्किलें कम नहीं हुईं। इसी साल स्थानीय अदालत के सभी मामलों को समाप्त कर दिया गया और दोनों से जुड़ा केस ढाका हाईकोर्ट के समक्ष पेश किया गया। यह मामला तभी से हाईकोर्ट में लंबित रहा। अब हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट की कानूनी सहायता वाली समिति ने हाई कोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए अपील की।

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस रियाजुल हक की पीठ ने मंगलवार (20 मार्च, 2018) को अपने फैसले में दोनों अभियुक्तों को सभी आरोपों से बरी कर दिया। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की कानूनी सहायता वाली समिति के वकील कुमार देबुल्दे ने हाईकोर्ट में कहा, ‘अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि मुफिजुर और कादिर भारत से जानवरों की तस्करी करने में शामिल थे।’

कोर्ट के फैसले के बाद कुमार देबुल्दे ने बांग्लादेशी वेबसाइट डेली स्टार को बताया, ‘दोनों कोर्ट में निर्दोष साबित हुए हैं जबकि वो पूर्व में पांच साल की सजा काट चुके थे, लेकिन फिर भी उन्हें 27 सालों तक जेल में रहना पड़ा।’ अदालत के समक्ष मामला 27 सालों तक विचारधीन पड़ा रहा।’