अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों के जाने और तालिबान का का कब्जा बढ़ने से मुल्क में फिर आंतकवाद पनपने का खौफ बढ़ता जा रहा है। इस बीच पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के पूर्व प्रमुख हामिद गुल के बेटे अब्दुल्ला गुल ने कहा है कि अफगानिस्तान पाकिस्तान की राह का रोड़ा है। तालिबान के हाथों उस मुल्क को बर्बाद करवा दूंगा।
दक्षिण वजीरिस्तान के माकिन में एक सभा को संबोधित करते हुए अब्दुल्ला गुल ने कहा कि उनके पिता ने अफगानिस्तान से रूसियों को खदेड़ दिया और मुजाहिदीन की मदद से मोहम्मद नजीबुल्लाह की सरकार को उखाड़ फेंका। और अब वह अफगानिस्तान के वर्तमान गणतंत्र को नष्ट करने जा रहे हैं। देश को तबाह कर देंगे जिससे यह पाकिस्तान के साथ प्रतिस्पर्धा न कर सके। अब्दुल्ला गुल ने कहा कि एक युवा के रूप में वह अपने पिता के मार्गदर्शन में हक्कानी नेटवर्क के सदस्य बन गए, और इसलिए मीडिया रिपोर्टों के अनुसार उन्होंने अफगान नेशनल आर्म के खिलाफ कई लड़ाइयों में भाग लिया है।
उन्होंने दावा किया कि तालिबान पूरी तरह से उनकी बात मानते हैं और उन्होंने उन्हें अफगानिस्तान के आर्थिक बुनियादी ढांचे, सरकारी सुविधाओं और गणतंत्र को नष्ट करने का काम सौंपा है। तालिबान और अफगानिस्तान सरकार ने अभी तक इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
इस बीच अमेरिका ने कहा है कि अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया में पाकिस्तान की अहम भूमिका रहेगी और पड़ोसी मुल्क में शांति से सबसे अधिक लाभ पाकिस्तान को ही होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने सोमवार को दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि, “हम तालिबान को सार्थक बातचीत के लिए प्रेरित करने सहित अफगान शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और दक्षिण एशिया में स्थिरता लाने के पाकिस्तान के प्रयासों की सराहना करते हैं।”
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान को बेहद लाभ मिलने वाला है और उसकी भूमिका अहम रहने वाली है। इसके अलावा वह उन नतीजों को सामने लाने में भूमिका निभाने की स्थिति में है, जो न सिर्फ अमेरिका बल्कि उसके बहुत से अंतरराष्ट्रीय साझेदार चाहते हैं साथ ही जिसकी इच्छा क्षेत्र के बहुत से देश रखते हैं। इसलिए हम काम करना जारी रखेंगे और इस मुद्दे पर पाकिस्तानी साझेदारों के साथ संवाद जारी रखेंगे।”
पिछले सप्ताह पाकिस्तानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोइद यूसुफ ने अमेरिका के सुरक्षा सलाहकार जेक सुलीवन से मुलाकात की थी। प्राइस ने कहा, “(पाकिस्तानी) राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने विदेश मंत्री (टोनी ब्लिंकन) से मुलाकात नहीं की।”
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया के संबंध में चीन के हालिया बयान का जिक्र किया कि शांति प्रक्रिया अफगान नीत और अफगान स्वामित्व वाली होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “तो हितों में कहीं न कहीं मेल है, खासतौर पर उन क्षेत्रों में कि हम अफगानिस्तान में चाहते हैं, पीआरसी (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) अफगानिस्तान में क्या चाहता है और सीमाई अंतरराष्ट्रीय समुदाय अफगानिस्तान में क्या चाहते हैं। हम साझा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए साथ मिल कर काम करने के वास्ते तरीकों की तलाश जारी रखेंगे।”
(भाषा से इनपुट के साथ)