तालिबान ने अपने विरोधियों के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान के आखिरी प्रांत पंजशीर को कब्जे में लेने का दावा किया है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि पंजशीर अब तालिबान लड़ाकों के नियंत्रण में है।

उन्होंने एक बयान में पंजशीर के निवासियों को आश्वासन दिया कि वे सुरक्षित रहेंगे, जबकि तालिबान के वहां पहुंचने से पहले कई परिवार पहाड़ों में भाग गए थे। उन्होंने आगे बताया, ‘‘हम पंजशीर के माननीय निवासियों को आश्वासन देते हैं कि उनके साथ किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा, सभी हमारे भाई हैं और हम सभी को देश की सेवा तथा समान हितों के लिए काम करेंगे।’’

इलाके में मौजूद चश्मदीदों ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर बताया कि हजारों तालिबान लड़ाकों ने रातों-रात पंजशीर के आठ जिलों पर कब्जा कर लिया। तालिबान विरोधी लड़ाकों का नेतृत्व पूर्व उपराष्ट्रपति और तालिबान विरोधी अहमद शाह मसूद के बेटे ने किया था, जो अमेरिका में 9/11 के हमलों से कुछ दिन पहले मारे गए थे। विशाल हिंदू कुश पहाड़ों में स्थित, पंजशीर घाटी में प्रवेश का एक ही संकीर्ण रास्ता है।

हालांकि, नेशनल रेसिस्टेंस फोर्स (एनआरएफ) ने तालिबान की ओर से किए गए बड़े दावे को गलत करार दिया है। अली नाजरी ने ‘सीएनएन’ को बताया, “पंजशीर घाटी में हर जगह अभी भी एनआरएफ है।” इसी बीच, सोशल मीडिया पर कुछ फोटो और वीडियो सामने आए, जिनमें सफेद रंग का तालिबानी झंडा लहराते कुछ लड़ाके नजर आए। वैसे, इन फोटो और वीडियो को लेकर फिलहाल किसी तरह की आधिकारिक पुष्टि नहीं का जा सकी है।

वहीं, पंजशीर की लड़ाई में फहीम दश्ती जान गंवा बैठे। वह एनआरएफ कमांडर और रेसिस्टेंट फ्रंट के प्रवक्ता थे। साथ ही अहमद मसूद के करीबी भी थे। उनके गुजरने पर मसूद ने ट्वीट कर कहा, “वह मेरे अच्छे दोस्त और भाई थे। वह हमेशा आजादी और अपने आदर्शों के लिए खड़े हुए और अपनी मातृभूमि के लिए एक नायक की तरह शहीद हुए।” वैसे, मसूद सुरक्षित और इस बारे में उन्होंने ट्वीट कर के जानकारी भी दी।

बता दें कि अफगानिस्तान के 34 प्रातों में पंजशीर ही आखिरी जगह बच रही है, जिस पर तालिबान को अपनी फतह कायम करने में लोहे के चने चबाने पड़ रहे हैं। बहरहाल, तालिबान द्वारा पंजशीर पर कब्जे के ऐलान के बाद सरकार गठन की तैयारियां भी तेज हो चली हैं। जानकारी के मुताबिक, सरकार गठन पर तालिबान की ओर से छह देशों के न्योता दिया गया था, जिनमें पाकिस्तान, तुर्की, ईरान, कतर, रूस और चीन शामिल हैं।

तालिबान ने चार विमानों को उड़ान भरने से रोकाः अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद यहां से निकलने का प्रयास कर रहे सैकड़ों लोगों को लेकर उड़ान भरना चाह रहे कम से कम चार विमान बीते कई दिन से वहां से निकल नहीं पा रहे हैं। उत्तरी शहर मजार ए शरीफ के हवाईअड्डे पर एक अफगान अधिकारी ने बताया कि विमानों में सवार लोग अफगानिस्तान के होंगे, जिनमें से ज्यादातर के पास पासपोर्ट और वीजा नहीं है इसलिए वे देश से निकल नहीं पा रहे हैं। अब इस स्थिति का हल निकलने के इंतजार में वे हवाईअड्डे से होटल चले गए हैं।

हालांकि अमेरिका में संसद की विदेश मामलों की समिति में एक शीर्ष रिपब्लिकन सदस्य ने कहा कि समूह में अमेरिकी शामिल हैं और वे विमानों में बैठे हुए हैं, लेकिन तालिबान उन्हें उड़ान नहीं भरने दे रहा और उन्हें ‘बंधक बना रखा है’’। उन्होंने यह नहीं बताया कि यह सूचना कहां से आई। इसकी अभी पुष्टि नहीं हुई है। अफगानिस्तान में अमेरिका की करीब 20 साल की जंग के आखिरी दिनों में काबुल हवाईअड्डे से अफरा-तफरी के बीच हजारों लोगों को निकाला गया जिनमें अमेरिकी और सहयोगी देशों के नागरिक शामिल रहे।