Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद मची अफरा-तफरी के बीच काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के निकट एकत्र हुई लोगों की भीड़ में शामिल सात अफगान नागरिकों की मौत हो गई है। ब्रितानी रक्षा मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा, ‘‘जमीनी स्थितियां अत्यंत चुनौतीपूर्ण हैं, लेकिन हम अधिक से अधिक सुरक्षित तरीके से हालात को संभालने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं।’’ अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद उसके शासन से बचकर भागने की कोशिश में हजारों लोग हवाईअड्डे पर एकत्र हो गए हैं।
इससे पहले, वहां फंसे 107 भारतीयों को लेकर सी-17 ग्लोबमास्टर विमान आज सुबह भारत पहुंचा। यह दिल्ली से सटे गाजियाबाद के हिंडन एयर बेस आया, जहां लोगों ने प्लेन से उतरकर सरकार को सुरक्षित लाने के लिए शुक्रिया अदा किया।
बता दें कि अफगानिस्तान संकट के बीच काबुल में सरकारी और निजी दफ्तर फिलहाल बंद हैं। तालिबान के कब्जा करने के बाद से हफ्ते भर से इन पर ताला लटक रहा है, जिससे लोगों को खासा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अफगानी न्यूज पोर्टल ‘टोलो न्यूज’ की रिपोर्ट के मुताबिक, काबुल में बैंक, पासपोर्ट दफ्तर और कुछ सरकारी मंत्रालयों के बंद होने के कारण बड़ी दिक्कतें पनपने लगी हैं। शनिवार को दर्जनों अफगानी अपने काम के लिए सरकारी दफ्तर पहुंचे, पर उनका काम न बन पाया।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद काबुल में खराब होती सुरक्षा स्थिति की पृष्ठभूमि में भारत अफगान राजधानी से अपने नागरिकों को बाहर निकालने के अपने प्रयासों के तहत तीन उड़ानों के जरिए अपने 329 नागरिकों और दो अफगान सांसद समेत करीब 400 लोगों को रविवार को देश वापस ले आया। भारतीय वायुसेना के सी-19 सैन्य परिवहन विमान के जरिए 107 भारतीयों और 23 अफगान सिखों एवं हिंदुओं समेत कुल 168 लोगों को काबुल से दिल्ली के निकट हिंडन वायुसेना अड्डे पर लाया गया। अधिकारियों ने बताया कि 87 भारतीयों और दो नेपाली नागरिकों के एक अन्य समूह को दुशाम्बे से एअर इंडिया के एक विशेष विमान से वापस लाया गया। इससे एक दिन पहले उन्हें भारतीय वायु सेना के एक विमान के जरिए ताजिकिस्तान की राजधानी दुशाम्बे ले जाया गया था।
अफगानिस्तान में अमेरिकियों को इस्लामिक स्टेट के संभावित खतरे के मद्देनजर अमेरिकी सेना उन्हें काबुल में हवाईअड्डे तक लाने के नए तरीके खोज रही है। अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अफरा-तफरी के माहौल में वहां से लोगों को बाहर निकालने के प्रयास अब और जटिल हो गए हैं। अधिकारी ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर शनिवार को बताया कि अमेरिकियों के छोटे-छोटे समूहों और अफगानिस्तान से निकलने के इच्छुक संभवत: अन्य लोगों को विशेष निर्देश दिए जाएंगे कि उन्हें क्या करना है। उन्हें उन बिंदुओं पर आवागमन को लेकर निर्देश दिए जाएंगे, जहां सेना उन्हें एकत्र कर सकती है। अमेरिकी दूतावास ने शनिवार को एक नयी सुरक्षा चेतावनी जारी करते हुए नागरिकों से कहा कि वे काबुल हवाई अड्डे के द्वार पर सुरक्षा खतरों को देखते हुए "अमेरिकी सरकार के प्रतिनिधि के व्यक्तिगत निर्देश" के बिना वहां नहीं आएं। अधिकारियों ने आईएस के खतरे के बारे में विस्तार से जानकारी देने से इनकार कर दिया, लेकिन उसने कहा कि यह खतरा बड़ा है। उन्होंने कहा कि अभी तक आईएस के किसी हमले की पुष्टि नहीं हुई।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने रविवार को कहा कि भारत ने अफगानिस्तान से लौट रहे लोगों को एहतियाती उपाय के तहत पोलियो रोधी टीका नि:शुल्क लगाने का फैसला किया है। मंत्री ने ट्विटर पर एक तस्वीर भी साझा की है, जिसमें युद्धग्रस्त देश से लौटे लोगों को दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर टीका लगवाते हुए देखा जा सकता है। दुनिया में अफगानिस्तान और पाकिस्तान ही ऐसे दो देश हैं जहां पोलियो अब भी ‘एन्डेमिक’ (किसी विशेष स्थान या व्यक्ति वर्ग में नियमित रूप से पाया जाने वाला रोग) है। मांडविया ने ट्वीट किया, “ हमने अफगानिस्तान से लौट रहे लोगों को ‘वाइल्ड पोलियो वायरस’ के खिलाफ एहतियातन नि:शुल्क पोलियो रोधी टीका - ओपीवी एवं एफआईपीवी लगाने का फैसला किया है।” उन्होंने कहा, “ सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुनिश्वचित करने के लिए स्वास्थ्य टीम को उनके प्रयास के लिए बधाई।”

काबुल से भारत आई फ्लाइट में एक नवजात भी था। वह बगैर पासपोर्ट के स्पेशल विमान से आया है। यह जानकारी एक अफसर ने समाचार एजेंसी एएनआई को दी।
#watch | An infant was among the 168 people evacuated from Afghanistan's Kabul to Ghaziabad on an Indian Air Force's C-17 aircraft pic.twitter.com/DoR6ppHi4h— ANI (@ANI) August 22, 2021
एक अनुमान के मुताबिक, अफगानिस्तान में करीब 400 भारतीय फंसे हो सकते हैं और भारत उन्हें वहां से निकालने का प्रयास कर रहा है और इसके लिए वह अमेरिका एवं अन्य मित्र राष्ट्रों के साथ समन्वय से काम कर रहा है।
काबुल पर एक सप्ताह पहले तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की राजधानी में खराब होती सुरक्षा स्थिति के बीच भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के एक सैन्य परिवहन विमान ने काबुल से 107 भारतीयों समेत 168 लोगों को रविवार को वहां से निकाला। इस संबंध में जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि भारतीय वायु सेना के एक सैन्य परिवहन विमान में 87 अन्य भारतीयों और दो नेपाली नागरिकों को शनिवार को काबुल से ताजिकिस्तान की राजधानी दुशाम्बे ले जाया गया और यह समूह रविवार तड़के वहां से एअर इंडिया के एक विशेष विमान से दिल्ली पहुंचा। इस बीच, अमेरिका और नाटो के विमान के जरिए पिछले कुछ दिन में काबुल से दोहा ले जाए गए 135 लोगों का एक समूह भी भारत पहुंचा। ऐसा बताया जा रहा है कि काबुल से दोहा लाए गए भारतीय अफगानिस्तान स्थित कई विदेशी कंपनियों के कर्मी हैं।
तालिबान के राजनीतिक नेतृत्व के एक वरिष्ठ सदस्य ने रूस से कहा है कि वह ‘पंजशीर वैली’ में लड़ाकों से कहे कि वहां स्थिति सामान्य करने के वास्ते तालिबान को एक राजनीतिक समझौते की उम्मीद है। अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव ने शनिवार को यह जानकारी दी।
झिरनोव ने कहा कि तालिबान ने दावा किया है कि वह उक्त क्षेत्र में खून खराबा नहीं चाहता। राजधानी काबुल के उत्तर में स्थित पंजशीर वैली ‘नॉर्दर्न अलायंस’ के कब्जे में है और केवल यही क्षेत्र तालिबान से मुक्त है। ‘नॉर्दर्न अलायंस’ ने वर्ष 2001 में अमेरिकी सेनाओं के साथ मिलकर तालिबान के विरुद्ध युद्ध लड़ा था।
उधर, तालिबान के वरिष्ठ पदाधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा है कि नई सरकार का ढांचा जल्द ही सामने आएगा और इसका ऐलान आने वाले कुछ हफ्तों में किया जाएगा। इसी बीच, बागलान के तीन दिलों में स्थानीय फोर्सेज ने तीन जिलों (पुल-ए-हेसार, बानू और देह सलाह) को तालिबान से वापस ले लिया।
अफगानिस्तान संकट के बीच अमेरिका को वहां के काबुल एयरपोर्ट पर इस्लामिक स्टेट (आईएस) द्वारा हमला किए जाने का डर सता रहा है। शनिवार को इस बारे में समाचार एजेंसी बीबीसी ने सुरक्षा इनपुट के हवाले से कहा कि संभावित "गेट्स के बाहर सुरक्षा खतरों" के कारण अमेरिकी नागरिकों से दूर रहने के लिए कहा गया है।
यूरोपीय संघ (ईयू) के टॉप अधिकारियों ने शनिवार को तालिबान को चेतावनी दी कि फिलहाल हो रही बातचीत ज्यादा से ज्यादा संख्या में अफगान लोगों को वहां से सुरक्षित निकालने से जुड़ा हुआ है। इसका अर्थ यह नहीं है कि संघ नये शासन को मान्यता देने के लिए तैयार है। स्पेन द्वारा मैड्रिड के पास शरणार्थियों के लिए स्थापित केन्द्र पर ईयू परिषद प्रमुख चार्ल्स मिशेल के साथ पहुंचीं यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वान दे लेयेन ने तालिबान के साथ बातचीत जारी रखने की जरुरत पर बल दिया। ईयू नेता ने कहा, ‘‘संकट की इस घड़ी में हम तालिबान के साथ संपर्क बनाए हुए हैं, क्योंकि हमें इस पर चर्चा करनी है कि इस मुश्किल घड़ी में काबुल में लोगों को हवाई अड्डे तक पहुंचने में कैसे मदद की जाए।’’
वह बोले, ‘‘लेकिन यह पूरी तरह अलग है और राजनीतिक बातचीत से बिलकुल अलग है। तालिबान के साथ कोई राजनीतिक बातचीत नहीं हो रही है और तालिबान को कोई मान्यता नहीं दी गयी है।’’ उर्सुला ने कहा कि अफगानिस्तान को यूरोप से मिलने वाली मानवीय सहायता तालिबान द्वारा मानवाधिकारों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा किए जाने पर निर्भर है। उन्होंने कहा, ‘‘हम तालिबान का बयान सुन रहे हैं, जिसमें जोर दिया जा रहा है कि महिलाओं को समाज में उनका स्थान मिलेगा और इस्लाम के दायरे में रहते हुए उन्हें शिक्षा प्राप्त करने और नौकरी करने का अधिकार होगा। लेकिन ऐसी खबरें भी मिल रही हैं कि पुराने काम या विचारों को लेकर लोगों को परेशान किया जा रहा है और सामान्य रूप से दफ्तर पहुंचने वाली महिलाओं को वहां से लौटाया जा रहा है।’’
काबुल में खराब होती सुरक्षा स्थिति के मद्देनजर वहां से लोगों को निकालने के भारत के अभियान के तहत अफगानिस्तान से रविवार को करीब 300 भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाया जा सकता है। इस संबंध में जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने यह बताया।
भारतीय वायु सेना के एक सैन्य परिवहन विमान में 87 भारतीयों को शनिवार को काबुल से ताजिकिस्तान की राजधानी दुशाम्बे ले जाया गया और समूह को रविवार तड़के मध्य एशियाई शहर से एअर इंडिया के एक विशेष विमान से दिल्ली वापस लाया जाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट किया कि एअर इंडिया के विमान के जरिए दो नेपाली नागरिक भी भारत आ रहे हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट किया, "लोगों को सुरक्षित निकालने से जुड़ा काम जारी है! 107 भारतीय नागरिकों सहित 168 यात्रियों के साथ IAF की विशेष उड़ान काबुल से दिल्ली के रास्ते में है।"
पूर्व थल सेना प्रमुख जनरल शंकर रॉय चौधरी ने कहा है कि सरकार को कश्मीर में अपनी पहुंच बढ़ाने और वहां के लोगों को आश्वस्त करने की जरूरत है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र बना रहेगा क्योंकि अफगानिस्तान में तालिबान की जीत से पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों द्वारा नए सिरे से हमला करने की आशंका है।
कश्मीर में नब्बे के दशक के शुरुआत में आतंकवाद के चरम पर होने के दौरान 16वीं कोर की कमान संभालने और बाद में उसी दशक के दौरान थल सेना प्रमुख बने जनरल रॉय चौधरी का मानना है कि हाल में तालिबान की जीत से उत्साहित पाकिस्तान जैश-ए-मोहम्मद जैसे समूहों का उपयोग करके ‘‘कश्मीर को लेकर नया प्रयास शुरू करेगा।’’
उन्होंने कहा कि भारत को तालिबान के भीतर भारत के प्रति मित्रता का रुख रखने वाले गुटों के अलावा पंजशीर घाटी में तालिबान विरोधी कमांडर दिवंगत अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद के समर्थन वाले पूर्व अफगान सरकारी बलों तक पहुंच बनाने की जरूरत है।