अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद अब अवाम ने आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी है। तालिबान को इस तरह के प्रदर्शन की उम्मीद नहीं रही होगी। खास बात है कि महिलाएं भी आंदोलन से पीछे नहीं हैं। आम जनता तालिबान के खिलाफ सड़कों पर उतर चुकी है। देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
बता दें कि अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति रहे अमरुल्लाह सालेह ने खुद को यहां का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। अगर यहां तालिबान के खिलाफ विरोध बढ़ा तो इसका फायदा वह भी उठा सकते हैं। तालिबानी अपनी बंदूकों के दम पर इस विरोध को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं। गुरुवार को भी तालिबानी लड़ाकों ने प्रदर्शन को रोकने के लिए गोलीबारी का सहारा लिया था। इसके बाद खोस्त प्रांत में 24 घंटे का कर्फ्यू लगा दिया गया था।
तालिबान ने कब्जे के बाद जगह-जगह अपने झंडे लगाए हैं। लोगों का कहना है कि उनके देश अफगानिस्तान का झंडा लहराना चाहिए। इस बात को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए तो गोलीबारी में कई लोगों की जान भी चली गई।
वहीं आज नाटो ने आपातकालीन बैठक बुलाई है। इस अहम बैठक में वहां के हालात को लेकर विचार होगा। वहीं, नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग 30 देशों के सैन्य गठबंधन के विदेश मंत्रियों की आज होने वाली आपातकालीन बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें अफगानिस्तान पर मुख्य रूप से चर्चा होगी। वहीं एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि अमेरिका ने 14 अगस्त से 7,000 लोगों को एयरलिफ्ट किया है और जुलाई के अंत से 12,000 लोगों को निकाला है। अमेरिकी प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि काबुल हवाई अड्डे के आसपास 5,200 अमेरिकी सैनिक जमीन पर तैनात हैं।
सोमनाथ मंदिर से जुड़े कई प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आतंक स्थायी नहीं हो सकता और यह आस्था को नहीं कुचल सकता। इसका एक उदाहरण सोमनाथ मंदिर है जिसे बार-बार तोड़ो गया। मूर्तियों को खंडित किया गया लेकिन यह मंदिर जितनी बार गिराया गया, उतनी बार खड़ा हुआ। मोदी के इस बयान को तालिबान के वर्तमान घटनाक्रम से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार गठित करने का विचार कर रहा है। हालांकि अभी देखकर यही लगता है कि दुनिया के ज्यादातर देश इसे मान्यता देने से कतरा रहे हैं। ऐसे में तालिबान के लिए फंड जुटाना भी मुश्किल हो सकता है। यहां की जीडीपी मात्र 19.8 अरब डॉलर है। अमेरिका ने अफगानिस्तान जा रही नकदी के शिपमेंट पर रोक लगा दिया है। वहीं आईएमएफ ने भी एसडीआर और अन्य मौद्रिक संसाधनों को तालिबान के लिए सीज कर दिया है।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां के हालात तेजी से बदल रहे हैं। डॉयचे वेले (डीडब्ल्यू) के एक पत्रकार की तलाश में तालिबान घर-घर जाकर उसे ढूंढ रहे थे। इस दौरान तालिबानियों ने पत्रकार के दो रिश्तेदारों को गोली मार दी गई जिनमें से एक की मौत हो गई। पत्रकार के अन्य रिश्तेदार आखिरी पलों में तालिबान से बच निकलने में कामयाब रहे और अब इधर-उधर छिपे हुए हैं। डॉयचे वेले के महानिदेशक पीटर लिंबोर्ग ने इस हत्या की कड़ी निंदा करते हुए जर्मनी की सरकार से कार्रवाई करने का आग्रह किया है।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने शुक्रवार को कहा कि तीसरे निकासी विमान के बाद काबुल से ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान के 160 से अधिक नागरिकों को निकाला जा चुका है। मॉरिसन ने कहा कि अफगानिस्तान में 20 साल तक चले युद्ध के दौरान ऑस्ट्रेलिया की मदद करने वाले अफगान लोगों और ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को मिलाकर 60 लोगों को रात में विमान के जरिए संयुक्त अरब अमीरात भेजा गया। उन्होंने बताया कि पहला ऑस्ट्रेलियाई विमान 94 लोगों को लेकर शुक्रवार को पश्चिमी तटीय शहर पर्थ में उतरा। मॉरिसन के अनुसार ऑस्ट्रेलिया काबुल विमानपत्तन के अतिरिक्त अफगानिस्तान के अन्य हिस्सों से लोगों को नहीं निकाल सका। मॉरीसन के अनुसार, ‘‘काबुल के हालात अभी उथल-पुथल वाले हैं।’’ ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने 600 ऑस्ट्रेलियाई और अफगान लोगों को निकालने संबंधी खबरों पर कोई टिप्पणी नहीं की।
तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता में काबिज होने के साथ चीन की नजर अब वहां धरती पर मौजूद खरबों डॉलर मूल्य की दुर्लभ धातुओं पर है। सीएनबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में अफगान दूतावास के पूर्व राजनयिक अहमद शाह कटवाजई के हवाले से कहा कि अफगानिस्तान में मौजूद दुर्लभ धातुओं की कीमत 2020 में एक हजार अरब डॉलर से लेकर तीन हजार अरब डॉलर के बीच लगाई गई थी। इन कीमतों धातुओं का इस्तेमाल हाई-टेक मिसाइल की प्रणाली जैसी उन्नत तकनीकों में प्रमुख तौर पर किया जाता है। चीन ने बुधवार कहा था कि वह देश में सरकार बनने के बाद अफगानिस्तान में तालिबान को राजनयिक मान्यता देने पर फैसला करेगा।
श्रीलंका के पूर्व प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने अफगानिस्तान में तालिबान के शासन को मान्यता देने के खिलाफ सरकार को आगाह किया है और काबुल के साथ संबंध तोड़ने की वकालत करते हुए कहा है कि किसी को पुनर्विचार करना चाहिए कि क्या देश को आतंकवाद को फिर से सिर उठाने में मदद करने वाली पार्टी के रूप में आगे बढ़ना चाहिए।
पेंटागन ने कहा कि अमेरिकी सेना अफगानिस्तान से लोगों को निकालने में तेजी ला रही है और 14 अगस्त से अब तक 7,000 नागरिकों को देश से बाहर निकाला जा चुका है। सेना के मेजर जनरल हैंक टेलर ने संवाददाताओं से कहा कि पिछले 24 घंटों में 12 सी-17 विमान 2,000 लोगों को लेकर रवाना हुए। बृहस्पतिवार को पेंटागन ब्रीफिंग में टेलर ने कहा कि सेना के पास अब एक दिन में 5,000-9,000 लोगों को बाहर निकालने के लिए पर्याप्त विमान हैं, जो जरुरत और मौसम जैसे अन्य कारक पर निर्भर करता है। हवाई अड्डे पर अब लगभग 5,200 अमेरिकी सैनिक हैं। यह संख्या हाल के दिनों में लगातार बढ़ रही है। टेलर की टिप्पणी काबुल हवाई अड्डे पर जारी अराजकता के बीच आई क्योंकि रविवार को तालिबान के कब्जे के मद्देनजर अफगान और अन्य नागरिक अफरातफरी के माहौल में देश से बाहर जाने की कोशिश कर रहे हैं।
मेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत के अपने समकक्ष एस जयशंकर से अफगानिस्तान में स्थिति पर बृहस्पतिवार को बात की। तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर रविवार को अचानक कब्जा जमा लिया था। 20 साल तक लड़े युद्ध के बाद अमेरिकी सेना के वापस जाने पर हुई तालिबान की इस जीत ने काबुल हवाईअड्डे पर अफरातफरी का माहौल पैदा कर दिया जहां से अमेरिका और अन्य सहयोगी देश हजारों नागरिकों और सहयोगियों को देश से सुरक्षित बाहर निकलने की कोशिश में हैं। विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बातचीत का ब्यौरा देते हुए एक बयान में कहा, ‘‘ब्लिंकन और जयशंकर ने अफगानिस्तान पर चर्चा की और समन्वय जारी रखने पर सहमति जतायी।’’
अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के साथ वर्षों तक काम करने वाले अफगान राष्ट्रीय पुलिस के हाई-प्रोफाइल अधिकारी मोहम्मद खालिद वरदाक के लिए समय बहुत कम बचा था। तालिबान उनकी तलाश में था और वह अपने परिवार के साथ काबुल में छिपे हुए थे। वरदाक लगातार जगह बदल रहे थे और ऐसे स्थान पर पहुंचने की बार-बार कोशिश कर रहे थे जहां से उन्हें उनके परिवार समेत सुरक्षित निकाला जा सके लेकिन उनकी कोशिश बार-बार नाकाम हो रही थी। पिछले कई दिनों में कम से कम चार बार देश से निकलने की कोशिश के बाद आखिरकार उन्हें परिवार समेत बुधवार को एक नाटकीय बचाव अभियान जिसे ‘ऑपरेशन वादा निभाया’ नाम दिया गया, में हेलिकॉप्टर की मदद से निकाला गया।