संकटग्रस्त अफगानिस्तान में कब्जा कर चुका तालिबान भले ही इस बार अपने रवैये में कथित बदलाव को पेश करने के संकेत दे रहा हो, पर उसके लड़ाकों के जुल्म की कहानी सुना पीड़ित आज भी दर्द से कराह उठते हैं।

हिंदी न्यूज चैनल “न्यूज 18 इंडिया” से बातचीत में ऐसे ही कुछ पीड़ितों ने आपबीती सुनाते हुए कड़वे अनुभव साझा किए। किसी ने कहा कि उन्हें चाकुओं से मारा गया, तो किसी पर गोलियों से वार किया गया। एक महिला ने बताया कि उनकी हालत अब जिंदा लाश जैसी हो चुकी है। वे उनकी आंखें तक निकाल चुके हैं। वे तालिबान को पसंद नहीं करती थीं। न करती हैं। न आगे करेंगी। उनका मुल्क इसी की वजह से बर्बाद हो गया।

अफगानिस्तान के गजनी की निवासी खातिरा कुछ वक्त पहले वहां से भारत भाग कर आ गई थीं। दरअसल, वह वहां पुलिस में काम करती थीं, जिसके बाद तालिबानी लड़ाकों ने उन पर हमला किया। उनका दावा है कि तालिबानियों ने उन पर गोली से हमला किया था, जिसके बाद वह बेहोश हो गई थीं। इसके बाद उनकी दोनों आखें चाकू से निकाल ली गईं। उनके पांच बच्चे अफगानिस्तान में फंसे हैं। वे फोन कॉल कर हमें रो-रोकर वहां का हाल सुनाते हैं।

ऐसा ही कुछ हाल फरीबा का भी है। 14 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी और तब उनकी मां बीमार थीं। 20 साल के लड़के से तब उनकी शादी हुई थी। पति महिलाओं की इज्जत नहीं करता था। बाद में उन्हें जब मालूम पड़ा कि उनका पति तालिबान से जुड़ा है, तब उन्होंने घर और मुल्क छोड़ने की ठान ली। वह चार बेटियों की मां हैं, जिनमें से दो को उनके सामने ही बेच दिया गया था।

तालिबान ने नौ अल्पसंख्यकों की हत्या की’: अफगानिस्तान में हजारा अल्पसंख्यक समुदाय के कई सदस्यों के उत्पीड़न एवं हत्या के लिए तालिबान जिम्मेदार है। यह बात एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कही है। अधिकार समूह ने शुक्रवार को कहा कि अफगानिस्तान में इसके शोधकर्ताओं ने गजनी प्रांत में प्रत्यक्षदर्शियों से बात की जिन्होंने बताया कि किस तरह तालिबान ने चार से छह जुलाई के बीच मुंदाराख्त के गांव में नौ लोगों की हत्या कर दी। इसने बताया कि छह लोगों की गोली मारकर हत्या की गई जबकि तीन लोगों को प्रताड़ित कर मार डाला गया।

आतंकी शक्तियों का अस्तित्व स्थायी नहीं- मोदीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि आतंक के बूते साम्राज्य खड़ा करने की सोच और ‘‘तोड़ने वाली शक्तियां’’ भले ही कुछ समय के लिए हावी हो जाएं लेकिन उनका अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता और वह मानवता को दबाकर नहीं रख सकतीं। पीएम का यह बयान बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह ऐसे समय में आया है, जब पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है। प्रधानमंत्री के इस बयान को अफगानिस्तान की परिस्थितियों से जोड़कर देखा जा रहा है। वैसे, उन्होंने संबोधन में ना तो किसी देश का नाम लिया और ना ही किसी संगठन का।