अमेरिकी सांसदों को एक विशेषज्ञ ने बताया है कि 2023 में भारत के 7,000 से अधिक छात्र और आगंतुक अमेरिका में निर्धारित समय से अधिक अवधि तक ठहरे। उन्होंने देश की आव्रजन नीतियों में कई सुधारों का सुझाव दिया, जिनमें एच-1बी वीजा से संबंधित सुधार भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि दुनिया के 32 देशों में छात्र और विनिमय आगंतुकों के अमेरिका में तय समय से अधिक रुकने की दर 20 फीसद से भी ज्यादा है। विशेष रूप से, एफ-1 और एम-1 वीजा धारक, जो शैक्षिक और व्यावसायिक कामो के लिए आते हैं, इनमें सबसे ज्यादा लोग तय समय से अधिक रुकते हैं।

‘सेंटर फार इमिग्रेशन स्टडीज’ की जेसिका एम वान ने अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा की न्यायपालिका संबंधी समिति को बताया कि निर्धारित समय से अधिक ठहरने वालों में सबसे अधिक संख्या एफ और एम श्रेणी के वीजा धारकों की रही। एफ-1 के तहत वीजा में किसी व्यक्ति को किसी मान्यता प्राप्त कालेज, विश्वविद्यालय, सेमिनरी, कंजर्वेटरी, अकादमिक हाई स्कूल, प्राथमिक विद्यालय या अन्य शैक्षणिक संस्थान या भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम में पूर्णकालिक छात्र के रूप में अमेरिका में रहने की अनुमति मिलती है। एम-1 वीजा भाषा प्रशिक्षण के अलावा व्यावसायिक या अन्य गैर-शैक्षणिक कार्यक्रमों में अध्ययनरत छात्रों को मिलता है।

भारत समेत ब्राजील, चीन, कोलंबिया के भी नागरिक अधिक समय तक ठहरे

वान ने बुधवार को कहा कि चार देशों ब्राजील, चीन, कोलंबिया और भारत के दो-दो हजार से अधिक नागरिक 2023 में छात्र/एक्सचेंज वीजा की अवधि से अधिक समय तक ठहरे। इन देशों में भारतीयों की संख्या सबसे अधिक (7,000) है। उन्होंने कहा कि वीजा जारी करने की नीतियों में समायोजन की आवश्यकता है और आंतरिक प्रवर्तन को मजबूत किया जाना चाहिए। इसके अलावा, संसद को कई महत्त्वपूर्ण तरीकों से कानून में संशोधन करना चाहिए। वान ने अमेरिकी संसद को बताया कि छात्र वीजा आवेदकों पर दोहरे इरादे की अवधारणा लागू नहीं होनी चाहिए। इसका मतलब यह है कि छात्रों को यह दिखाना चाहिए कि वे अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद अपने देश वापस लौटेंगे, न कि अमेरिका में बसने का इरादा रखें।

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इसके अलावा, उन्होंने एच-1बी वीजा के लिए एक और सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि यह वीजा दो साल की अवधि के लिए दिया जाना चाहिए, जिसे चार साल तक बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि हर साल एच-1बी वीजा की संख्या 75,000 या उससे कम होनी चाहिए, जिसमें गैर-लाभकारी और अनुसंधान क्षेत्रों के वीजा भी शामिल हैं। अगर आवेदन ज्यादा आते हैं, तो सबसे कुशल श्रमिकों को ही वीजा मिलना चाहिए और इसके लिए उच्चतम वेतन देने वाले नियोक्ताओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।