Bangladesh News: बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान 17 साल बाद ढाका लौटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। रहमान गुरुवार को बांग्लादेश पहुंचेंगे। रहमान की वापसी ऐसे महत्वपूर्ण समय में हो रही है जब उनकी माँ और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया बीमार हैं और सक्रिय राजनीति से लगभग दूर हैं, फरवरी में राष्ट्रीय चुनाव होने वाले हैं और बांग्लादेश हिंसा और राजनीतिक अशांति की लहरों से जूझ रहा है। आइए समझते हैं कि तारिक रहमान के बांग्लादेश आने के सियासी मायने क्या हैं।
रहमान के समर्थक मानते हैं कि वह इस अस्थिर समय में बांग्लादेश देश को सही दिशा देने की क्षमता रखते हैं। उनकी पार्टी बांग्लादेश नेशनल पार्टी (बीएनपी) और शेख हसीना नीत बांग्लादेश अवामी लीग देश की दो सबसे बड़े राजनीतिक दल रहे हैं। खालिदा जिया दो बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं। अगले साल फरवरी में कार्यवाहक सरकार द्वारा प्रस्तावित चुनाव में अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
साल 2008 में सत्ता संभालने के बाद से शेख हसीना सभी चुनाव जीतती आ रही हैं मगर अगले साल होने वाले चुनाव में उनकी पार्टी के मौजूद न होने के कारण बीएनपी की राह आसान होगी जिसका नेतृत्व अब तारिक रहमान कर रहे हैं।
मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली कार्यवाहक सरकार की विदेश नीति पर कई विशेषज्ञ सवाल खड़ा कर रहे हैं। उन पर आरोप है कि वह बांग्लादेश में पनप रही भारत-विरोधी ताकतों पर कोई रोक नहीं लगा रहे हैं। वहीं यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश की पाकिस्तान से नजदीकी बढ़ती दिख रही है। यूनुस के उलट तारिक रहमान ने भारत और पाकिस्तान दोनों से समान दूरी बनाने की बात कही है।
बांग्लादेश फर्स्ट पॉलिसी
बांग्लादेश आने से पहले दिए गए एक भाषण में तारिक रहमान ने साफ किया था कि बांग्लादेश रावलपिंडी या दिल्ली के साथ में घनिष्ठ संबंध नहीं चाहेगा, बल्कि बांग्लादेश को आगे रखेगा। रहमान की यह नीति मोहम्मद यूनुस की मौजूद नीति से उलट है। यूनुस ने पूर्व पीएम शेख हसीना सरकार की विदेश नीति को उलटते हुए अलग रास्ता अपनाया।
शेख हसीना ने भारत के साथ सम्बन्ध बेहतर करने पर जोर दिया था। वह बांग्लादेश के हितों को तरजीह देते हुए पाकिस्तान से उचित दूरी बनाये रखने की नीति पर चलती थीं। वहीं, यूनुस के नेतृत्व वाली कार्यवाहक सरकार ने सत्ता में आते ही पाकिस्तान के साथ संबंधों को बढ़ावा शुरू कर दिया।
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मोहम्मद यूनुस के साथ कई मुद्दों पर रहा मतभेद
तारिक रहमान और यूनुस की अंतरिम सरकार के बीच कई अन्य मुद्दों पर मतभेद रहे हैं। इसमें फरवरी को चुनाव कराने को लेकर भी रहा है। वहीं, जमाते इस्लामी को यूनुस के सत्ता में बने रहने से कोई आपत्ति नहीं है, जब तक कि वह पूरी तरह से संगठित होकर बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामी ताकतों पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित नहीं कर लेती। जमात के प्रमुख डॉ. शफीकुर रहमान ने किसी भी पारंपरिक चुनावी गठबंधन में शामिल होने से इनकार किया है। हालाँकि जमाते इस्लामी का चुनावी प्रदर्शन कभी इतना मजबूत नहीं रहा है कि उसे अकेले दम पर सत्ता का दावेदार माना जा सके।
पिछले साल अगस्त में हुए आन्दोलन का नेतृत्व करने वाले युवाओं ने शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) का गठन किया। इसके नेता कार्यवाहक सरकार में भी शामिल हैं। अवामी लीग के चुनावी मैदान में न होने के बाद बीएनपी के सामने एनसीपी ही एकमात्र प्रमुख चुनौती हो सकती है। अब देखना है कि तारिक रहमान क्या सचमुच अपनी पार्टी को जीत दिला पाते हैं।
आन्दोलनकारियों की मांगों पर जनमत संग्रह
बांग्लादेश में आम चुनाव के साथ ही उन माँगों पर जनमत संग्रह भी होने वाला है जिन्हें आन्दोलनकारियों ने शेख हसीना के तख्तापलट के बाद जारी किया था। यूनुस सरकार ने राष्ट्रीय चुनाव के दिन ही इन माँगों पर जनमत संग्रह कराने का निर्णय लिया है।
यूनुस सरकार के इस फैसले की जमाते इस्लामी ने आलोचना की है। जमाते इस्लामी ने कहा है कि राष्ट्रीय चुनाव और जनमत संग्रह एक ही दिन कराने से व्यापक हिंसा हो सकती है।
बांग्लादेश में ताजा हिंसा का चक्र शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद शुरू हुआ। उस्मान हादी जिस ‘इंकलाब मंच’ का संस्थापक सदस्य था वह भी पिछले साल हुए आन्दोलन में शामिल थी। यूनुस सरकार ने इस मंच को उग्रपंथी करार देते हुए उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी। हादी की हत्या के बाद इस मंच के आक्रामक होने की आशंका बढ़ गयी है।
ऐसे हालात में रहमान के सामने पूरे देश को एकजुट करने का दायित्व है। रहमान ने पहले से ही एक चुनावी कैंपेन की रूपरेखा को आकार दे दिया है। साथ ही कई कार्यक्रमों की घोषणा कर दी है। इनको बीएनपी चुनाव जीतने के बाद में लागू करेगी।
अमेरिकी दूत को यूनुस का आश्वासन
बांग्लादेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंताओं के बीच, अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने अमेरिकी विशेष दूत सर्जियो गोर को आश्वासन दिया है कि चुनाव समय पर होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार 12 फरवरी को होने वाले चुनावों के लिए पूरी तरह तैयार है। प्रोफेसर यूनुस ने कहा, “चुनाव से पहले हमारे पास लगभग 50 दिन बचे हैं। हम स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराना चाहते हैं। हम इसे यादगार बनाना चाहते हैं।”
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