संयुक्त राष्ट्र (UN) की खाद्य एजेंसी के अनुसार अफगानिस्तान में 1 करोड़ 40 लाख लोग भुखमरी के कगार पर हैं। अराजकता के आलम के बीच संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि इससे निपटना गंभीर चुनौती है। इस बीच यूएन ने यहां काम कर रहे अपने 100 कर्मचारियों को हालात बिगड़ने के बाद सुरक्षित निकालकर कजाखस्तान भेज दिया है।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने तालिबान संकट से पहले अपनी रिपोर्ट में कहा था कि गंभीर खाद्य असुरक्षा से पीड़ित लोगों की सबसे अधिक संख्या वाले नौ देशों में अफगानिस्तान भी एक है। रिपोर्ट में कहा गया था कि अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी से हिंसा में वृद्धि हो सकती है, अधिक लोगों का विस्थापन हो सकता है और मानवीय सहायता वितरित करने में कठिनाई हो सकती है।
खाद्य एजेंसी के अनुसार अब अफगानिस्तान में अनिश्चय की स्थिति है। जिसके चलते वहां पर सामान्य कामकाज नहीं हो पा रहा है। इससे लोगों के सामने अपना पेट भरने का संकट खड़ा हो रहा है। ऐसे में जल्दी कुछ नहीं किया गया तो 1 करोड़ 40 लाख लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे। तालिबान के कब्जे के बाद ये लोग पहले ही गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं।
अमेरिकी सांसदों के दल ने राष्ट्रपति जो बाइडन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है कि वो इस बात की जांच कराए कि आखिरकार किन हालातों में तालिबान सत्ता पर कब्जा करने की स्थिति में इतनी जल्दी पहुंच गया। एक डेमोक्रेटिक सांसद का कहना है कि उनकी कमेटी इस बात की जांच करेगी।
उधर, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार को कहा कि वह अफगानिस्तान में तब तक सैनिकों को रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जब तक प्रत्येक अमेरिकी नागरिक को सुरक्षित बाहर नहीं निकाल लिया जाता, भले ही इसके लिए 31 अगस्त के बाद भी वहां सेना मौजूद रहे।
बाइडन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को वापस बुलाने के लिए 31 अगस्त की समयसीमा तय की थी। बाइडन ने कहा कि अमेरिका समय सीमा खत्म होने से पहले अफगानिस्तान से अमेरिकियों और अमेरिका के सहयोगियों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए हरंसभव कदम उठाएगा। राष्ट्रपति ने कहा- अगर कोई अमेरिकी नागरिक वहां रह जाता है तो हम तब तक वहां रुकेंगे जबकि उन्हें बाहर न निकाल लें। तालिबान के गत सप्ताहांत अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा जमाने के बाद वहां 15,000 अमेरिकी फंसे हुए हैं।
