नीतीश कुमार ने 16 घंटे में इस्तीफे से शपथग्रहण तक का सफर पूरा कर भले ही एक नया रिकॉर्ड बना लिया हो, लेकिन उनका यह कार्यकाल शायद सबसे छोटा भी हो सकता है। उनकी पार्टी में बगावत हो गई है। इस बगावत के अगुआ बने हैं पार्टी में पूरी तरह शांत कर दिए गए शरद यादव। वह अब मुख्यमंत्री बनने का दावा पेश करेंगे। उनका कहना है कि उनके पास पर्याप्त विधायक हैं। ऐसे में वह बिहार में सांप्रदायिक सरकार नहीं रहने देंगे। उनका दावा है कि बिहार में जदयू के 71 विधायकों में 25 उनके साथ हैं। कांग्रेस, राजद और जीतन राम मांझी की पार्टी के विधायकों को मिलाकर उनके पास नीतीश से ज्यादा विधायकों का समर्थन है।
इससे पहले शरद यादव के घर पर जदयू के बागी नेताओं की बैठक हुई। रांची से लालू प्रसाद यादव भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस बैठक में जुड़े। उन्होंने अपने चिर परिचित अंदाज में बागी विधायकों का उत्साह बढ़ाया और कहा कि नीतीश ने बुड़बक वाला काम किया है, हम सब मिल कर उसे सीधा करेंगे। उन्होंने शरद यादव की दुखती रग पर भी हाथ रखा। वह बोले- शरद बाबू जैसे भले आदमी अगर अभी भी भोले बाबा ही बने रहेंगे तो नीतीश उनका हाल भी जॉर्ज साहब जैसा कर देगा। लालू की बातें सुन कर बैठक में शामिल नेता जोश से भर गए। उन्होंने तुरंत बगावत का झंडा बुलंद करने का संकल्प उठा लिया।
अब शाम को जदयू के बागी विधायकों की पटना में बैठक होगी। इसके बाद सारे नीतीश विरोधी विधायक राजभवन मार्च करेंगे। इसके बाााद राज्यपाल से मांग की जाएगी कि वह नीतीश को तुरंत विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहें। मार्च के बाद सारे विधायकों को राजगीर ले जाया जाएगा। माना जाता है कि राजगीर राजनीतिक चिंंतन के लिहाज से सही जगह है। नीतीश कुमार भी बीमारी के बहाने तीन दिन वहां रहे और इसी दौरान भाजपा-जदयू सरकार बनाने की पटकथा पर संपूर्ण चिंतन कर लिया। अब विरोधी विधायक भी एकजुट होकर वहीं चिंतन करेंगे, ऐसा सोच कर लालू ने ही सबको राजगीर प्रवास की सलाह दी है।
कोर्ट के फैसलों के चलते खुद मंत्री नहीं बन पाने को अभिशप्त लालू यादव ने एक सलाह यह भी रखी कि नेता चाहें तो अपने-अपने छोटे बेटे को मंत्री बनवा सकते हैं। लालू के छोटे बेटे बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे। बड़ा बेटा उप मुख्यमंत्री था, पर भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण वह अब नई सरकार से उन्हें दूर ही रखना चाहते हैं ताकि फिर कोई विवाद पैदा नहीं हो। हो सकता है दो-तीन दिन में बिहार एक और सीएम का इस्तीफा व दूसरे की ताजपोशी देखेगा। और इस बार का इस्तीफा अंतरात्मा की आवाज पर नहीं, बल्कि मजबूरी मेें होगा।
(नोटः इस खबर का सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं है। यह खबर सिर्फ आपको हंसाने के लिए लिखी गई है।)