मोर को आजीवन ब्रह्मचारी बताने वाले राजस्थान हाईकोर्ट के जज (अब रिटायर्ड) महेश चंद्र शर्मा जहां एकाएक चर्चा में आ गए हैं, वहीं थोड़ी मुसीबत में भी घिर गए हैं। विदेश विशेषज्ञ उनकी जानकारी का स्रोत जानने और उन्हें अपने शोध का हिस्सा बनाने के लिए लगातार उनसे संपर्क साध रहे हैं। उन्हें कई देशों से बुलावा आ रहा है, पर अफसोस के साथ ठुकराना पड़ रहा है। उनके विदेश जाने पर पाबंदी लगा दी गई है। अब यह सर्वविदित है कि शर्मा ने अपनी नौकरी के आखिरी दिन एक आदेश जारी करते हुए अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर नया सिद्धांत दिया था।
उन्होंने गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा देने के लिए कदम उठाने का आदेश देते हुए दलील दी थी और बताया था कि मोर राष्ट्रीय पक्षी क्यों है। उन्होंने कहा था, ‘मोर सेक्स नहीं करते। वह आजीवन ब्रह्मचारी रहता है। मोरनी मोर के आंसुओं को चुग कर गर्भवती होती है।” उन्होंने ऑर्डर में गोमूत्र के 11 फायदे भी गिनाए थे।
जज की टिप्पणी पर कई लोगों ने काफी मजे लिए तो कई ने उन्हें राष्ट्रवादी जज बता दिया। कांग्रेस ने तत्काल मांग की कि जज के सभी फैसलों की समीक्षा करवाने के लिए एक न्यायिक कमेटी बनवाई जाए, क्योंकि उनका झुकाव भाजपा और संघ परिवार की ओर लगता है और इस बात की पूरी आशंका है कि उन्होंने अपने कॅरिअर के सभी फैसले ”राष्ट्रवादी सिद्धांतों” से प्रेरित होकर ही लिए होंगे। जब राजस्थान की भाजपा सरकार ने कांग्रेस की नहीं सुनी तो पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वहां आरोपों की जांच का आश्वासन मिला।
उत्साहित कांग्रेस ने किसी के जरिए एक और याचिका डलवा कर जज शर्मा की डिग्रियों की जांच की मांग भी करवा डाली। इस पर कोर्ट ने ऑर्डर जारी कर दिया कि इसके लिए कमिटी बनेगी और जांच पूरी होने तक जज शर्मा अपना ज्ञान कहीं नहीं फैला सकेंगे। उन्हें राजस्थान छोड़ने की इजाजत नहीं होगी।
उधर, जज की टिप्पणी पर सोशल मीडिया पर जंग छिड़ गई है। दो खेमे बन गए हैं। दोनों ओर से वार-प्रतिवार किए जा रहे हैं। जज ने एहतियातन राजस्थान की भाजपा सरकार से सुरक्षा मांगी है। सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है और एंटी मोरियो स्क्वैड बना कर सोशल मीडिया पर जज के खिलाफ लिखने वालों पर लगाम लगाने की रणनीति बनाई है।
जब से इस दस्ते की घोषणा हुई है, तब से लोगों ने राज्य सरकार को भी निशाने पर ले लिया है। फेसबुक-ट्विटर पर आ रहे कमेंट्स एंटी मोरियो स्क्वैड से संभाले नहीं संभल रहे हैं। ऐसी स्थिति में राजस्थान सरकार ने इस दस्ते के पांच बड़े अफसरों को यूपी जाकर अनुभव लेने के लिए कहा है। तब तक लोग अपनी टिप्पणी बदस्तूर जारी रखे हैं और इनसे बचने के लिए जज अंडरग्राउंड हो गए हैं।
(यह खबर आपको हंसने-हंसाने के लिए कोरी कल्पना के आधार पर लिखी गई है। इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है। इसी तरह की मजेदार खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें। )