गायत्री मंत्र का हिंदू धर्म में काफी महत्व माना जाता है। इसलिए बहुत से लोग अपने बच्चों को सबसे पहले इसी मंत्र को सिखाते हैं। पूजा-पाठ में गायत्री मंत्र का जप किया जाता है। इस मंत्र को काफी प्रभावशाली और कल्याणकारी माना जाता है। इस मंत्र का प्रयोग किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए किया जाता है। लेकिन इस मंत्र का सही तरीके से जप करना जरूरी होता है। जानिए गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए किन बातों का ध्यान रखने की जरूरत होती है…
गायत्री मंत्र का जाप वैसे तो लोग किसी भी समय करते हैं लेकिन इसके जाप का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए इसके तीन सबसे असरदार समय बताए गए हैं। गांयत्री मंत्र का जाप सूर्योदय से पहले शुरु करें और फिर सूर्योदय के कुछ देर बाद तक इसका जाप पूरा करें। अगर व्यक्ति चाहे तो दोपहर के समय भी इस मंत्र का जाप कर सकता है। साथ ही तीसरा समय है सूर्यास्त से पहले इस मंत्र का जाप शुरु करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक जाप पूरा करें।
इस मंत्र का जाप कम से कम 3 बार किया जाता है। इसके जाप के लिए रूद्राक्ष की माला का इस्तेमाल करें। मौन रहकर इस मंत्र का जाप किसी भी समय किया जा सकता है। यानी इस मंत्र का जाप करने के लिए तेज आवाज में बोलना जरूरी नहीं है। आप शांत रहकर मन ही मन में इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। ध्यान रखें कि इस मंत्र का जाप कभी भी ऊंची आवाज में नहीं किया जाना चाहिए। शुक्रवार के दिन पीले वस्त्र पहनकर हाथी पर विराजमान मां गायत्री का ध्यान करें। और गायत्री मंत्र का अपनी सुविधानुसार जाप करें।
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शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए मंगलवार, अमावस्या या रविवार के दिन लाल वस्त्र पहनकर इस मंत्र का जाप करना फलदायी माना गया है। रोगों से मुक्ति पाने के लिए भी इस मंत्र का जाप करना अच्छा होता है। गायत्री मंत्र के उच्चारण के लिए शरीर ही नहीं मन का भी पवित्र होना जरूरी होता है। साफ और सूती कपड़े पहनकर आसन पर बैठकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए। सुबह के समय पूर्व दिशा में और शाम के समय पश्चिम दिशा में बैठकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

