एक साल में 24 एकादशी होती है। एक महीने में दो एकादशी आती है। सभी एकादशी में कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व है। इसे देवप्रबोधनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार 31 अक्टूबर (मंगलवार) को यह एकादशी है। माना जाता है कि इस दिन 4 महीने बाद सोने के बाद भगवान विष्णु जगते हैं। इस एकादशी पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा और व्रत किया जाता है। माना जाता है इस दिन व्रत करने से इंसान के सारे किए पाप खत्म हो जाते हैं और मृत्यु के बाद उस इंसान को मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के मुताबिक देवप्रबोधनी एकादशी के दिन देवता भी भगवान विष्णु के जगने पर उनकी पूजा करते हैं। इसलिए शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन इंसानों को भी भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए।
इस दिन गन्ने का मंडप सजाकर मंडप के अंदर विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और तुलसी का पत्ता चढ़ाएं। इस दिन व्रती को तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए। ऐसा करने पर मांगलिक कार्यों जल्द पूरा हो जाते हैं और पूरे साल घर में सुख-समृद्धि रहती है।
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महत्व- इस एकादशी को देवोत्थनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन शादी, गृह प्रवेश, सगाई आदि सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। एक पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान श्रीविष्णु ने भाद्रपद महीने की शुक्ल एकादशी को महापराक्रमी शंखासुर नामक राक्षस को लम्बे युद्ध के बाद समाप्त किया था और थकावट दूर करने के लिए क्षीरसागर में जाकर सो गए थे और चार महीने बाद फिर जब वे उठे तो वह दिन देवोत्थनी एकादशी कहलाया। इस दिन व्रत करने का विशेष महत्व है।