आज सीता नवमी है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को माता सीता का जन्म हुआ था। इस दिन व्रत रखकर माता सीता और भगवान राम की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार मिथिला के राजा जनक के यहां भयंकर सूखा पड़ गया था। अपनी प्रजा की परेशानी देखकर राजा काफी परेशान हो गए थे। उन्होंने इस समस्या का हल निकालने के लिए ऋषियों को दरबार में बुलाया और इस समस्या के समाधान के बारे में जानना चाहा। ऋषियों ने इस समस्या का हल निकालकर राजा जनक से कहा कि अगर महाराज खुद हल चलाकर खेत को जोतते हैं तो उससे भगवान इंद्र की कृपा प्राप्त होगी। जिससे इस अकाल से मुक्ति मिल जाएगी। अपने राज्य की भलाई के लिए राजा जनक ने ऋषियों की यह सलाह मानकर हल चलाने का निर्णय लिया।

राजा ने हल चलाना शुरु कर दिया। हल चलाते चलाते उनकी अचानक से किसी धातु से टक्कर हुई जिस कारण उनका हल वहीं रूक गया। तमाम कोशिशों के बाद भी हल उस जगह से नहीं निकल पाया। तब राजा जनक ने उस जगह की खुदाई करवाने का निर्णय लिया। जमीन की खुदाई के दौरान सैनिकों ने वहां एक कलश देखा। जिसमें एक सुंदर सी कन्या थी। राजा जनक की कोई संतान नहीं होने के कारण उन्होंने इस कन्या को अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार कर लिया। कहा जाता है उसी दौरान मिथिला में जोर की बारिश हुई और राज्य का अकाल दूर हो गया। जिस समय राजा जनक को माता सीता मिली थी उसी समय को माता का जन्म का दिन मान लिया गया।

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वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को जन्मीं माता सीता की जयंती को खासकर नेपाल में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। क्योंकि वर्तमान में मिथिला नेपाल का भाग है। राजा जनक की पुत्री होने के कारण माता सीता को जानकी और धरती से इनकी उत्पत्ति होने के कारण इन्हें भूमिपुत्री भी कहा जाता है। माता सीता को मिथिला की राजकुमारी होने के कारण मैथिली भी कहा जाता है।