हिंदू धर्म में शिशु का नामकरण करना बेहद जरूरी माना जाता है। इसके लिए परिवार के बड़े लोग शिशु के नाम पर विचार करते हैं। शिशु का नाम नक्षत्र के अनुसार तय किया जाता है। जिस नक्षत्र में शिशु का जन्म होता है उसी नक्षत्र में बच्चे का नाम रखा जाता है। शिशु के नामकरण से पहले गृह शुद्धि की जाती है। बच्चे की मां के सभी कपड़ों को साफ किया जाता है। इसके बाद बच्चे का नामकरण किया जाता है।

हिंदू धर्म में नामकरण के धार्मिक कारण 
आयुर्वर्चोभिवृद्धिश्च सिद्धिर्व्यवहतेस्तथा।
नामकर्मफलं त्वेतत् समुदिष्टं मनीषिभ:।।

हिंदू धर्म में विधि के अनुसार नामकरण करना शिशु के लिए अच्छा माना जाता है। इससे शिशु की उम्र व तेज में वृद्धि होती है। शिशु का नामकरण 10वें दिन जन्म लेने के बाद किया जाता है। नामकरण के बाद बच्चे को शहद चटाकर कहा जाता है कि तू अच्छा और प्रिय वाला बोल। इसके बाद सूर्य के दर्शन करवाए जाते हैं। माना जाता है कि सूर्य के दर्शन करवाने से बच्चा सूर्य के समान तेजस्वी और प्रखर बन जाएगा।

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शिशु के नामकरण के वैज्ञानिक कारण भी माने जाते हैं। मनोवैज्ञोनिकों के मुताबिक इंसान को जिस इंसान नाम से पुकारा जाता है, उसे उसी गुणों की अनुभूति होती है। इसलिए शिशु के नामकरण के दौरान बच्चे के नाम का अर्थ क्या है इस पर खास ध्यान रखा जाता है। इसलिए बच्चे का नाम ऐसा रखा जाता है कि वह प्रोत्साहित करने वाला और गौरव अनुभव कराने वाला हो।