हिंदू धर्म में लोग वर-वधु के खुशहाल जीवन के लिए कुंडलियों का मिलान करवाते हैं। जिससे की दांपत्य जीवन में किसी तरह की मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़े। जिन लोगों की कुंडली में दोष होता है या तो उस दोष का निवारण किया जाता है या फिर उन जातकों की शादी नहीं करवाई जाती है। लेकिन फिर भी कई बार स्थिति ऐसी हो जाती है जब पति-पत्नी के विचार नहीं मिल पाने के कारण या फिर किसी और वजह से शादी टूटने की नौबत आ जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसका संबंध ग्रहों से होता है जो तलाक जैसी स्थिति उत्पन्न कर देता है। यहां आप जानेंगे कि कुंडली में वह कौन से दोष है जिससे शादीशुदा लोगों की शादी टूटने के योग बन जाते हैं…
– अगर शादी से पहले वर वधु की कुंडली के गुणों का अच्छे से मिलान नहीं किया गया हो तो ऐसे लोगों का तलाक होने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ज्योतिष अनुसार वर वधु की कुंडली में कम से कम 18 गुणों का मिलना जरूरी होता है।
– तलाक का सबसे बड़ा कारण गुरु और शुक्र ग्रह से भी जुड़ा हुआ है। अगर गुरु में शुक्र की दशा या फिर शुक्र में गुरु की दशा चल रही हो तब भी पति पत्नी के बीच अलगाव की स्थिति उत्पन्न होती है।
– पति या पत्नी की कुंडली में शनि का सप्तम भाव में होना भी वैवाहिक जीवन के लिए अच्छा नहीं माना गया है। इससे संबंध टूटने के आसार होते हैं।
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– पति या पत्नी किसी की भी कुंडली के सप्तम या अष्टम भाव में किसी पापी ग्रह का होना भी तलाक के योग बनाता है।
– अगर कुंडली में चौथे भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो या छठे भाव का स्वामी चौथे भाव में हो तब भी तलाक होने का योग बनता है।
– शनि, सूर्य और राहु का सातवें भाव, सप्तमेश और शुक्र पर प्रभाव पड़ रहा हो तब भी पति पत्नी के बीच दूरी बढ़ने लगती है।
– अगर जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह कृत्तिका, आर्द्रा, मूल या ज्येष्ठा नक्षत्र में बैठा हो तो ऐसे शादीशुदा जातकों की शादी टूटने की संभावना होती है।