जीवन में कई बार ऐसी ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती है जब मनुष्य सही गलत का निर्णय नहीं ले पाता है। इस दौरान व्यक्ति के पास दो ही मार्ग होते हैं एक अच्छा बनकर अपने साथ बुरा होते देखना, दूसरा बुरा बनकर अपने साथ अच्छा करवाना। अकसर बड़े बुजुर्ग हमेशा यह सिखाते हैं कि चाहे कोई भी सिचुएशन हो इंसान को अपनी अच्छाई कभी नहीं छोड़नी चाहिए। लेकिन आचार्य चाणक्य की नीति अनुसार हमेशा अच्छा बने रहने से अपना ही नुकसान होता है। इसलिए जिंदगी में कुछ ऐसी परिस्थितियां आती हैं जब इंसान को दूसरों की नजर में बुरा बनना पड़ता है।
चाणक्य नीति कहती है कि ना बोलने की अपने अंदर आदत डालें, क्योंकि अगर व्यक्ति गुड़ की तरह सरल और मीठा बना रहेगा तो दुनिया ऐसे इंसान को निगल जाएगी। जिस तरह जंगल में खड़े सीधे पेड़ भी सबसे पहले काट दिये जाते हैं उसी तरह हमेशा सीधा और अच्छा बने रहने से अपना ही नुकसान होता है। अगर कोई आपको दबाना चाहता है तो ऐसी जगह आपको दबना नहीं चाहिए क्योंकि यह जिंदगी आपकी है। आपने इस धरती पर जन्म अपनी जिंदगी जीने के लिए लिया है तो इसे अच्छे से बिना किसी के दबाव के जीना चाहिए। रिश्ता चाहे कितना भी करीबी क्यों न हो आपको ना बोलने की आदत अपने अंदर डालनी चाहिए।
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इंसान को जिस काम में खुशी मिले उसे वही काम करना चाहिए। लेकिन अकसर हर इंसान इसी सोच में रहता है कि अगर वह सामने वाले इंसान को किसी चीज के लिए मना कर देगा। तो वह उस इंसान का बुरा बन जाएगा और उसे अपने से दूर कर देगा। लेकिन चाणक्य अनुसार ऐसे व्यक्ति का दूर जाना ही बेहतर होता है जो आपको अपना जीवन खुशी से नहीं जीने देता है और आपकी आजादी आपसे छीन लेता है। किसी व्यक्ति को किसी चीज के लिए मना करने का मतलब यह नहीं है कि आप उसकी भावनाओं की कदर ना करें। अगर कोई व्यक्ति आपका उतना ही सम्मान देता है जितना की आप तो ऐसे लोगों की बातों को कभी इनकार नहीं करना चाहिए।