ब्रेन ट्यूमर एक गंभीर बीमारी है, जिसमें मस्तिष्क में असामान्य कोशिकाओं का एक समूह या गांठ बन जाताी है, जिसे ट्यूमर कहते है। इस बीमारी के मुख्य कारणों का अभी तक पता नहीं चला है, लेकिन इसके जोखिम कारक में रेडिएशन का दुष्प्रभाव, फैमिली हिस्ट्री, HIV/AIDS शामिल है। इस बीमारी के लक्षणों की बात करें तो सिरदर्द ब्रेन ट्यूमर का सबसे पहला और बड़ा लक्षण है। ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क में सूजन पैदा कर सकता है जिससे सिर में दबाव बढ़ जाता है और सिरदर्द होता है। ब्रेन ट्यूमर बहुत खतरनाक स्थिति है। समय रहते इसकी पहचान करके अगर सही इलाज नहीं मिले तो इंसान की मौत भी हो सकती है।

ब्रेन ट्यूमर के मुख्य चार स्टेज होते हैं। अगर डॉक्टर ब्रेन ट्यूमर के तीसरे स्टेज की पहचान समय रहते कर लेते हैं और इलाज शुरू कर देते हैं तो मरीज की जान बचाई जा सकती है। चौथे स्टेज में ट्यूमर जानलेवा साबित हो सकता है।

दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल ने दक्षिण एशिया की पहली ZAP-X मशीन स्थापित की है जो ब्रेन ट्यूमर को मारने के लिए रेडिएशन प्रदान कर सकती है। ये मशीन दर्द रहित और गैर आक्रामक होती है। इस मशीन से इलाज कराने के लिए पारंपरिक सर्जरी के विपरीत अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती। ज्यादातर मामलों में ट्यूमर का इलाज करने के लिए एक ही सत्र काफी है।

ZAP-X मशीन कैसे करती है काम?

ब्रेन ट्यूमर की मुश्किल सर्जरी भी इस मशीन की मदद से आसान हो गई है। पहले जहां सर्जरी में तीन से चार घंटों का वक्त लगता था अब ZAP-X मशीन की मदद से 30 मिनट में ही ये काम पूरा हो जाता है। अपोलो हॉस्पिटल्स में ZAP-X जाइरोस्कॉपिक रेडियो सर्जरी प्लेटफार्म के दम पर ये सर्जरी मुमकिन हो पाएगी। ये तकनीक पूरे दक्षिण एशिया में पहली बार भारत में अपोलो अस्पताल में लॉन्च की गई है। ZAP-X रेडियोसर्जरी मशीन ब्रेन ट्यूमर को मारने के लिए रेडिएशन प्रदान कर सकती है।

यह मशीन कैसे काम करती है?

ये मशीन एक मिलीमीटर से भी कम परिशुद्धता के साथ ब्रेन ट्यूमर तक हाई इंटेंसिटी फोकस रेडिएशन पहुंचाती है, जिससे आसपास के ऊतक क्षतिग्रस्त नहीं होते हैं। इससे ट्यूमर मर जाता है जो बाद में नेचुरल तरीके से डिसॉल्व हो जाता है। मशीन के निर्माता और जैप सर्जिकल के सीईओ डॉ. जॉन एडलर ने कहा, “रेडियोसर्जरी सबसे आम प्रक्रिया है जो अमेरिका में न्यूरोसर्जन करते हैं लेकिन वैश्विक स्तर पर 10 में से एक से भी कम मरीज को इसका एक्सेस मिलती है। इस मशीन को बाकी दुनिया को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया था। भारत में इस थेरेपी से लगभग दस लाख लोगों को फायदा हो सकता हैं।

पारंपरिक सर्जरी की तुलना में ये मशीन कैसे अलग हैं?

इस मशीन से सर्जरी कराने के लिए अस्तपताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती। इस सर्जरी में मरीज को एनेस्थीसिया देने की जरुरत नहीं होती। इस मशीन से सर्जरी कराने के बाद किसी तरह की कोई रिकवरी करने की जरूरत नहीं होती। डॉक्टरों के मुताबिक इस ट्यूमर का इलाज घंटों में नहीं बल्कि मिंटों में किया जा सकता है।डॉक्टरों के मुताबिक कई सत्रों की योजना तभी बनाई जाती है जब ट्यूमर बहुत बड़ा हो या मस्तिष्क में महत्वपूर्ण संरचनाओं के करीब हो।