क़ब्ज़ एक ऐसी परेशानी है जो हर किसी को कभी न कभी ज़रूर परेशान करती है। कब्ज़ एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी इंसान का मल बहुत टाइट हो जाता है और मल त्याग करते समय परेशानी होती है, इस स्थिति को कब्ज कहा जाता है। कब्ज होने पर पाचन तंत्र खराब हो जाता है। पाचन तंत्र के खराब होने के कारण शरीर से मल निकलने की मात्रा बहुत कम हो जाती है और मल डिस्चार्ज करने के लिए अधिक जोर लगाना पड़ता है। लंबे समय तक क़ब्ज़ की परेशानी पाइल्स का कारण बन जाती है।

वैज्ञानिक तौर एक स्वस्थ्य इंसान को 7 दिनों में कम से कम 12 बार मल डिस्चार्ज करना चाहिए, जिन लोगों को इससे कम मल डिस्चार्ज हो उन्हें क़ब्ज़ की परेशानी संभव है। जिन लोगों को क़ब्ज़ परेशान करता है वह सबसे पहले अपनी डाइट पर ध्यान दें। डाइट में अनाज हमारी डाइट का प्रमुख हिस्सा है। गेहूं हमारी प्रमुख डाइट है जिसका सेवन हम दिन में तीन बार करते हैं। अगर गेहूं का सेवन ख़ास तरीक़े सी किया जाये तो ना सिर्फ़ क़ब्ज़ से निजात पा सकते हैं बल्कि बॉडी को हेल्दी भी रख सकते हैं। आइए जानते हैं कि गेहूं का सेवन कैसे करें कि कब्ज़ से निजात मिलें।

गेहूं कैसे कब्ज़ का इलाज करता है?

डाइट में फाइबर का कम सेवन करना कब्ज का कारण बनता है। फाइबर खाने के जरिए आंतों में जाकर अपनी जगह बनाता है और भोजन को पचाने में आंतों की मदद करता है। भोजन में फाइबर की मात्रा को बढ़ाने के लिए आप गेहूं के आटे का सेवन चोकर के साथ करें। अक्सर हमारे घरों में आटा बनाते समय आटा छाना जाता है। आटा छानने से आटे के साथ भूसी चली जाती है और सिर्फ फोक रह जाता है जिसे पकाकर हम खा लेते हैं।

वेबएमडी के मुताबिक गेहूं की भूसी गेहूं के दाने की बाहरी परत होती है जो पीसने पर गेहूं की अंदर की परतों से अलग हो जाती है। आप जानते हैं कि जिसे आप आटे से निकालकर फेंक रहे हैं वो यह घुलनशील और अघुलनशील फाइबर से भरपूर भूसी है जो आपके पेट के लिए सोना है। गेहूं की भूसी पोषक तत्वों का भंडार होती है जिसमें प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, खनिज , विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं। ये सभी पोषक तत्व पाचन को दुरुस्त करते हैं और कब्ज से निजात दिलाते हैं।

गेहूं में ऐसे गुण मौजूद होते हैं जो मल की मात्रा और आंतों की सेहत को दुरुस्त रखते हैं। गेहूं की भूखी का सेवन कब्ज, बवासीर और इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम का इलाज करने में असरदार है। गेहूं की भूसी का सेवन कोलन कैंसर,डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में जादुई असर करता है। आटे के साथ भूसी का सेवन करने से कब्ज का इलाज होता है और आंतों की सेहत दुरुस्त रहती है। गेहूं के साथ भूसी का सेवन करने से बवासीर का खतरा टल जाता है। शोधकर्ताओं के अनुसार चोकर खून में इम्यूनोग्लोब्यूलीन्स की मात्रा को बढ़ाता है, जो इम्युनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाने में मददगार है। गेहूं के आटे का सेवन कर रहे हैं तो चोकर के साथ करें।

गेहूं का सेवन चोकर के साथ करने से सेहत को होने वाले फायदे

  • गेहूं का सेवन चोकर के साथ करने से बॉडी को भरपूर फाइबर मिलता है और कब्ज की बीमारी दूर होती है।
  • दिल और दिमाग को हेल्दी रखने में चोकर युक्त आटा दवाई की तरह असर करता है।
  • इस आटे की रोटी बनाकर खाने से पाइल्स,अपेंडिसाइटिस, बड़ी आंत और मलाशय के कैंसर से बचाव होता है।
  • पाचन को दुरुस्त करने में ये आटा बेहद असरदार साबित होता है।
  • मोटापा को कंट्रोल करना चाहते हैं तो गेहूं के आटा का सेवन चोकर के साथ करें। इसका सेवन करने से भूख कम लगती है और आप ओवर इटिंग से बचते हैं और मोटापा कंट्रोल रहता है।
    चोकर युक्त आटा एनेमिया का उपचार करता है। रोजाना आप चोकर के साथ रोटी बनाकर खाएं आपकी सेहत को अनगिनत फायदे होंगे।