डायबिटीज एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है। अनियंत्रित खानपान और आरामदायक जीवनशैली के कारण कम उम्र में ही लोग इससे प्रभावित हो जाते हैं। हालांकि, अपनी जीवनशैली में परिवर्तन लाकर डायबिटीज की इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो 45 या उससे अधिक उम्र के लोगों में या फिर जो लोग अधिक वजनदार होते हैं, उनमें डायबिटीज होने का खतरा सबसे अधिक होता है।

डायबिटीज में अपने वजन पर नियंत्रण रखने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। हालांकि, योग के जरिए डायबिटीज जैसी खतरनाक बीमारी को ठीक किया जा सकता है। इसके लिए योग गुरू बाबा रामदेव ने कई आसन बताए हैं।

1-मंडूकासन: मांडुक का अर्थ है मेंढक। यह आसन मेंढक की तरह बैठकर किया जाता है। इसके लिए सबसे पहले वज्रासन की स्थिति में बैठ जाएं। फिर अपने दोनों हाथों में मुट्ठी बनाएं और उसे जोड़ लें। अपनी दोनों मुट्ठी के अंगूठो को नाभि पर रखें। इस दौरान सांस लेते और छोड़ते समय शरीर के ऊपरी भाग को आगे की और ले जाएं। फिर अपने पूरे वजन को दोनों जांघों पर रखिये और अपनी गर्दन को सीधा करिए। इस स्थिति मे करीब एक मिनट के लिए रहें। इससे ना सिर्फ डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है, बल्कि उसे ठीक भी किया जा सकता है।

2-शशकासन: इस आसन को करने के लिए वज्रासन में बैठें। फिर अपने हाथ जांघों पर रखें। अपने शरीर के ऊपरी भाग को सीधा करें। दोनों बाजुओं को सिर से ऊपर उठाते हुए आगे की तरफ मोड़ें। इस दौरान अपनी पीठ को भी सीधा कर लें। आसन करते समय आपके नितंब एड़ियों पर रहेंगे। आराम से सांस लेते हुए कुछ देर तक इस स्थिति में रहें।

3-योगमुद्रासन: इस आसन में पद्मासन की स्थिति में बैठ जाएं। फिर अपने हाथों को नाभि के पास रख लें और सांस अंदर की ओर खींचे। अब श्वास छोड़ते हुए शरीर को आगे की तरफ झुका कर भूमि पर टेक दें। इस दौरान अपने सांस को पूरी तरह से रोक लें। इस स्थिति में सांस को नियंत्रित रखें।

4-वक्रासन: जमीन पर बैठकर अपने पैरों को सामने की ओर फैलाएं। ध्यान रखें की इस दौरान पैरों के बीच में कोई गैप ना हो। इसके बाद बाएं पैर को मोड़ते हुए दाहिने पैर के घुटने के पास ले आएं और बाय हाथ को पीठ के पीछे जमीन पर रख दें। दूसरी तरफ से भी ऐसा ही करें। इससे पेट में खिंचाव होता है। जो मोटापे को कम करने में फायदेमंद साबित होता है।

5-गौमुखासन: इस आसन को करने के लिए अपने बाएं पैर को शरीर की ओर खींचें। इसके बाद दाएं पैर को बाएं पैर की जांघों पर रखें दें। अब अपने दाएं हाथ को कंधे के ऊपर कर लें और फिर कोहनी को मोड़ कर अपनी पीछ के पीछे जितना अधिक हो सके ले जाएं। इस आसन को करते हुए सांस को नियंत्रित रखें।