अस्थमा एक श्वसन संबंधी बीमारी है, जो दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। हर साल 6 मई को विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day 2025) मनाया जाता है। वर्ल्ड अस्थमा डे मनाने का उद्देश्य इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करना है। अस्थमा के मरीजों को अपने खानपान से लेकर लाइफस्टाइल और अच्छी नींद भी ध्यान रखना पड़ता है। न्यूबर्ग लेबोरेटरी के प्रबंध निदेशक, डॉ. अजय शाह ने बताया कि अस्थमा का अटैक किन कारणों के चलते आता है। इसके अलावा अस्थमा से कैसे बचाव किया जा सकता है।
डॉ. अजय शाह के मुताबिक, अस्थमा एक ऐसी हेल्थ प्रॉब्लम है जो फेफड़ों को प्रभावित करती है। अस्थमा से पीड़ित लोगों को अक्सर सांस लेने में तकलीफ होती है, उन्हें बहुत खांसी आती है या सीने में जकड़न महसूस होती है। कई बार ये लक्षण अचानक से बढ़ जाते हैं। जिसे अस्थमा का दौरा भी कहते हैं। अस्थमा के दौरे के कारणों और उन्हें रोकने के तरीकों को समझने और जानने से लोगों को बेहतर और स्वस्थ लाइफ जीने में मदद मिल सकती है।
क्यों पड़ता है अस्थमा का अटैक?
डॉ. अजय शाह ने बताया कि जब फेफड़ों में वायुमार्ग तंग यानी हवा पास होने में दिक्कत और सूजन पड़ जाती है तब अस्थमा का अटैक पड़ सकता है। इससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, अस्थमा का दौरा पड़ने के पीछे कई कारण होते हैं, जिन्हें ट्रिगर कहा जाता है।
धूल और एलर्जी
अस्थमा की समस्या पैदा करने में धूल और एलर्जी मुख्य कारणों में से एक है। घर या बाहर की धूल अस्थमा का कारण बन सकती है। पराग, फफूंद, जानवरों के बाल और यहां तक कि धूल के कण भी अस्थमा के दौरे को ट्रिगर कर सकते हैं।
मौसम में बदलाव
मौसम में अचानक बदलाव खासतौर पर ठंडी हवा, अस्थमा को और भी बदतर बना सकती है। ठंडी, शुष्क हवा में सांस लेने से वायुमार्ग तंग हो सकते हैं, जिससे अस्थमा का दौरा पड़ सकता है।
धुआं और प्रदूषण
सिगरेट का धुआं, फैक्ट्री का धुआं और वाहन प्रदूषण सभी फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यहां तक कि जो लोग धूम्रपान नहीं करते हैं, लेकिन दूसरे धुएं में सांस लेते हैं, उन्हें भी अस्थमा की समस्या हो सकती है। प्रदूषित हवा फेफड़ों को स्वस्थ रहने में मुश्किल बनाती है।
व्यायाम
अस्थमा से पीड़ित कुछ लोगों को व्यायाम के दौरान या बाद में सांस लेने में परेशानी होती है। इसे व्यायाम से प्रेरित अस्थमा कहा जाता है। इसका मतलब यह नहीं है कि वे व्यायाम नहीं कर सकते, लेकिन उन्हें शारीरिक गतिविधियां करते समय कुछ सावधानी बरतने की जरूरत है।
संक्रमण
सर्दी, फ्लू और फेफड़ों के अन्य संक्रमण अस्थमा के दौरे का कारण बन सकते हैं। एक छोटा सा संक्रमण भी अस्थमा के लक्षणों को बदतर बना सकता है, खासकर बच्चों और बड़े वयस्कों में।
अस्थमा से बचाव कैसे करें?
अस्थमा के दौरे डरावने हो सकते हैं, लेकिन सही देखभाल और ध्यान से उन्हें रोका जा सकता है। अस्थमा ट्रिगर्स से दूर रहने के लिए कुछ चीजों का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है। इनकी मदद से अस्थमा के अटैक के जोखिम को कम किया जा सकता है।
अपने घर को साफ रखें
धूल और एलर्जी को दूर करने के लिए अपने घर को नियमित रूप से साफ करने की कोशिश करें। धूल को उड़ने से रोकने के लिए सफाई करते समय नम कपड़े का इस्तेमाल करें। बेडशीट, तकिए के कवर और पर्दे अक्सर धोएं।
धूम्रपान से बचें
धूम्रपान न करें और धूम्रपान करने वाले लोगों से दूर रहने की कोशिश करें। अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए धूम्रपान बहुत हानिकारक है और इससे सांस लेने में गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
मास्क का इस्तेमाल करें
अगर आप बहुत ज्यादा प्रदूषण वाले इलाके में रहते हैं या धूल भरे दिन बाहर जा रहे हैं, तो फेस मास्क पहनें। यह हवा को फिल्टर करने और आपके फेफड़ों की सुरक्षा करने में मदद कर सकता है।
टीका लगवाएं
फ्लू और निमोनिया के टीके लगवाने से अस्थमा को बढ़ावा देने वाले संक्रमणों को रोकने में मदद मिल सकती है। अपने डॉक्टर से बात करें कि आपको कौन से टीके लगवाने चाहिए।